Anjeer Ki Kheti: अंजीर की खेती कैसे करे? लागत ज्यादा लेकिन मुनाफा मिलेगा 10 गुणा

Anjeer Ki Kheti | भारत में अंजीर की खेती व्यापारिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण खेती है. बता दे, अंजीर फल दुनिया के सबसे प्राचीन फलों में से एक है. इसे अंग्रेजी में “Fig” के नाम से जाना जाता है. बता दे, अंजीर की खेती से किसान को कम लागत में अधिक फायदा होता है क्योंकि बाजार में अंजीर के भाव अन्य फलों की अपेक्षा में काफी ज्यादा होता है. वैसा देखा जाए तो अंजीर की बाजार मांग हमेशा बनी रहती है.

Anjeer Ki Kheti
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यदि आप भी अंजीर की खेती करने की सोच रहे है तो इस लेख को पूरा पढ़े क्योंकि इस लेख में हम आपको इसकी खेती से जुडी विस्तार सहित जानकारी देने वाले है. इस लेख में हम- अंजीर की खेती कैसे करे? अंजीर की खेती वाले राज्य? अंजीर की उन्नत किस्म? अंजीर की वैज्ञानिक खेती? अंजीर की खेती में खाद की मात्रा? अंजीर की खेती में लागत व कमाई? Anjeer Ki Kheti आदि के बारे में पूरी जानकारी देंगे.

अंजीर की खेती की जानकारी

हमारे देश भारत में अंजीर की खेती एक लाभकारी कृषि प्रणाली है जिसे कई क्षेत्रों में उगाया जाता है. अंजीर का वैज्ञानिक नाम “Ficus carica” है. इसके पेड़ो को सुरक्षित और उचित सिंचाई के साथ उचित धूप, मिट्टी, खाद और सही प्रबंधन की जरुरत होती है. अंजीर की उन्नत खेती के लिए सही प्रबंधन और तकनीकी जानकारी से एक सफल पैदावार प्राप्त की जा सकती है, जिससे किसानों को अच्छी आय भी प्राप्त होगी.

अंजीर की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है क्योंकि इस मिट्टी में इसकी पैदावार अधिक होती है. वैसे, इसकी खेती में अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी होनी चाहिए जिसका पी.एच मान 6 से 7 के बीच में हो. वहीं, किसानों को अंजीर की खेती करने से पहले अपने खेत की मिट्टी की जांच अवश्य करवा लेनी चाहिए.

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अंजीर की खेती का समय

जी हां, अंजीर के पौधों को साल में 2 बार लगाया जा सकता है. जहां सिंचाई की उचित व्यवस्था हो वहां इसके पौधे को फरवरी या मार्च के माह में लगाया जाता है. वहीं, जहां सिंचाई की उचित वयवस्था न हो वहां इसके पौधे की रोपाई वर्षा के मौसम के दौरान जुलाई या अगस्त माह में की जाती है.

अंजीर की खेती करने वाले राज्य

हमारे भारत देश में अंजीर की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में महाराष्ट्र का प्रथम स्थान है. महाराष्ट्र में व्यापारिक दृष्टि से अंजीर की खेती (Anjeer Ki Kheti) की जाती है. इसके अलावा अंजीर की खेती सबसे ज्यादा तमिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में भी की जाती है.

अंजीर की खेती के लिए जलवायु 

बता दे, अंजीर की फसल के लिए शुष्क तथा कम आद्र जलवायु को उपयुक्त माना जाता है. इसके पौधे को कम बारिश की आवश्यकता होती है तथा सर्दियों में गिरने वाला पाला इसकी फसल के लिए अधिक हानिकारक होता है. इसके अलावा, अंजीर के पौधों को अच्छे से विकास करने के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरुरत होती है परंतु सर्दी के मौसम में 20 डिग्री से कम का तापमान इसके पौधों की वृद्धि के लिए सही नही है.

अंजीर की उन्नत किस्में

हमारे भारत देश में अंजीर की विभिन्न प्रकार की उन्नत किस्मों की खेती की जाती है. किसानों को अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार ही अंजीर की किस्मों का चयन करना चाहिए ताकि अच्छा उत्पादन मिल सके. कुछ प्रमुख किस्मो की जानकारी निचे दी गयी है:

  • पूना अंजीर
  • मार्सलीज अंजीर
  • पंजाब अंजीर
  • पुणेरी अंजीर
  • दिनकर अंजीर
  • पुणे अंजीर
  • ब्राउन टर्की

अंजीर की जैविक खेती

बता दे, अंजीर की जैविक खेती एक प्रगतिशील तकनीक है जिसमे प्राकृतिक तत्वों का उपयोग होता है. इस विधि में केवल जैविक खाद सामग्री और उर्वरक का प्रयोग होता है, जिससे मिट्टी को स्वस्थ बनाए रखा जा सकता है. यह खेती विधि उन किसानों के लिए भी फायदेमंद है जो स्थानीय बाजारों के लिए उत्पाद बनाते है, क्योंकि इन दिनों जैविक अंजीर की मांग काफी बढ़ रही है. जैविक खेती में प्रयुक्त उपायों में जैविक खाद, जल संरक्षण और प्राकृतिक रोग प्रबंधन शामिल है जिससे पर्यावरण को भी नुकसान नही होता है.

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अंजीर की खेती कैसे करे?

अगर आप अंजीर की खेती से अच्छा उत्पादन चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती सही विधि से करनी चाहिए. सही विधि से अंजीर की खेती (Anjeer Ki Kheti) करने के लिए नीचे दी गई बातो को अवश्य ध्यान में रखे:

  • अंजीर की खेती के लिए सबसे पहले आपको खेत अच्छे से तैयार कर लेना है. यदि पुरानी फसल की अवशेष बची हो तो उससे भी एक तरफ कर देना है.
  • इसके लिए खेत में अच्छे से 1-2 बार गहरी जुताई करवाए. फिर आपको खेत में रोटावेटर चला देना है, इससे खेत की मिट्टी भुरभूरी हो जाएगी.
  • इसके बाद, आपको पाटा की मदद से खेत को समतल कर देना है ताकि जलभराव जैसी समस्या का सामना न करना पड़े.
  • अब पौधे की रोपाई के लिए गड्डे तैयार कर लेने है. गड्डे की दूरी आप अपने अनुसार भी रख सकते है.
  • गड्डे तैयार करते समय उसमे उर्वरक की सही मात्रा अवश्य छिड़क दे ताकि मिट्टी में पोषण बना रहे.
  • जब गड्डे पूरी तरह से तैयार हो जाए तब आपको अंजीर के पौधों की रोपाई करनी है.
  • पौधा लगाने के तुरंत बाद ही आपको एक हल्की सिंचाई कर देनी है.
  • फिर, समय- समय पर सिंचाई पर ध्यान दे और सही से देखभाल करे. इसकी खेती में देखभाल की आवश्यकता ज्यादा होती है और इसका उत्पादन आपके देखभाल के ऊपर ही निर्भर होता है.

अंजीर की खेती में सिंचाई

हमारे देश की जलवायु के अनुसार, अंजीर के पौधों की अधिक सिंचाई की आवश्यकता नही होती है. गर्मी के मौसम में इसके पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है तथा इस मौसम में 5 से दिनों के अंतराल में सिंचाई कर देना उचित होता है. यदि हम सर्दी की बात करे तो, सर्दी के मौसम में 12 से 15 दिनों के अंतराल में इसके पौधों की सिंचाई करनी चाहिए. इसके अलावा, बारिश के मौसम में आवश्यकता पड़ने पर ही इसके पौधों की सिंचाई करनी चाहिए.

अंजीर की खेती में खाद

बता दे, अंजीर के छोटे पौधों को 1 से 3 वर्ष में 10 से 12 किलोग्राम गोबर की खाद और 3 वर्ष की आयु से बड़े पौधों में 15 से 25 किलोग्राम गोबर की खाद प्रति पौधा/ प्रति वर्ष डालनी चाहिए. इसके पौधों को अच्छे से विकास के लिए आवश्यकता ऊर्जा प्राप्त करने के लिए उर्वरक की मात्रा को सही रूप से नियंत्रित करना आवश्यक है.

आमतौर पर, अंजीर की खेती में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की अच्छी मात्रा में खाद डालना चाहिए. उचित खाद की मात्रा की जानकारी आपको विशेषज्ञों से ले लेनी चाहिए तथा मौसम की पर्याप्त जानकारी होना अंजीर की खेती में सफलता की कुंजी है.

अंजीर की खेती से लाभ

हमारे देश में अंजीर की खेती (Anjeer Ki Kheti) से कई लाभ हो सकते है. प्रमुख लाभों की जानकारी नीचे दी गई है जो कुछ इस प्रकार से है:

  • अंजीर की बाजार में अच्छी मांग है, जिससे आप अच्छा मुनाफा कमा सकते है.
  • अंजीर स्वस्थ खाद्य के रूप में माना जाता है जिसमे फाइबर, विटामिन की अच्छी मात्रा पाई जाती है. यह हमारी सेहत के लिए भी लाभदायक है.
  • अंजीर की खेती से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बन सकते है.

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अंजीर की खेती में लागत व मुनाफा

बता दे, अंजीर के पौधे किस्म के आधार पर अलग- अलग पैदावार देता है. यदि आप इसकी खेती एक हेक्टेयर खेत में करते है तो इससे लगभग 200 से 250 अंजीर के पौधे लगाए जा सकते है. वैसे, प्रत्येक पौधे से लगभग 20 से 25 किलोग्राम फल प्राप्त किया जा सकता है.

यदि इसकी खेती में लागत की बात करे तो, इसकी खेती में लगभग 2 से 3 लाख रुपए/ प्रति हेक्टेयर की लागत आती है और इसका बाजारी भाव गुणवत्ता के हिसाब से लगभग 700 से 900 प्रति किलोग्राम है. इस हिसाब से किसान भाई 1 हेक्टेयर के खेत से अंजीर की खेती कर लगभग 25 से 30 लाख रुपए तक की अच्छी कमाई कर सकते है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

अंजीर का पेड़ कितने साल में फल देता है?

अंजीर के पौधे रोपाई के लगभग 2 से 3 वर्ष के बाद ही फल देना शुरू कर देते है. यदि आप इसकी खेती में अच्छी देखभाल करते है तो फिर आपके पौधे में और भी जल्दी फल लग सकते है.

सबसे मीठा अंजीर का पेड़ कौनसा है?

ब्लैक मिशन अंजरी सबसे मीठा अंजीर का पौधा होता है.

अंजीर का साइज कितना होता है?

अंजीर फल का साइज लगभग 2 से 2.5 इंच लंबा होता है जिसमे हरे रंग की त्वचा होती है. यह कभी कभी बैंगनी या भूरे रंग की भी हो जाती है.

अंजीर पकने पर किस रंग के होते है?

अंजीर पकने का पहला संकेत उनके रंग में बदलाव है. कच्चे अंजीर छोटे और हरे रंग के होते है. बता दे, ब्राउन टर्की, शिकागो हार्डी, सेलेस्ट और एलएमयू पर्पल जैसी किस्मों के लिए फल पकने पर हरे रंग से भूरा या फिर बैंगनी हो जाएगा.

शिकागो अंजीर के पेड़ कितने बड़े होते है?

बता दे, शिकागो अंजीर के पेड़ की ऊंचाई लगभग 10 से 15 फीट तक की होती है परंतु कई क्षेत्रों में इसकी ऊंचाई लगभग 18 से 20 फीट तक भी देखने को मिलती है.

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