Dhan Ki Kheti: धान की खेती कैसे करे? 3 लाख रुपए तक कमाई करने का बढ़िया मौका

Dhan Ki Kheti | धान एक प्रमुख फसल है जिससे चावल निकलता है. बता दे चावल भारत सहित एशिया एव विश्व के बहुत से देशों का मुख्य भोजन भी है. वैसे देखा जाए तो चावल के उत्पादन में चीन पूरे विश्व में सबसे आगे है और उसके बाद दूसरे नंबर पर भारत देश है. धान की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि इसकी खेती कम समय में ही तैयार हो जाती है और थोड़ी लागत में अच्छा मुनाफा हो जाता है.

Dhan Ki Kheti
Dhan Ki Kheti

आज का यह लेख आप सभी किसान भाईयो के लिए महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि आज हम आपको धान की खेती से संबंधित विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे. जैसे कि- धान की खेती कैसे करें? धान की खेती का समय? धान की खेती के लिए जलवायु? धान की जैविक खेती? धान की खेती में लागत व कमाई? Dhan Ki Kheti आदि की जानकारी आपको यहां इस लेख में मिलेगी.

धान की खेती की जानकारी

बता दे धान की खेती भारत के खाघ सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इसकी खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, ऊर्जा स्रोत तथा ज्यादा पानी की जरूरत होती है. धान की खेती वर्षा की मात्रा, उर्वरक की व्यवस्था और बुआई का समय आदि कारको पर निर्भर करती है.

धान की खेती का समय

बता दे धान एक प्रकार की खरीफ फसल है जो मुख्य रूप से बरसात शुरू होने के पहले लगाई जाती है. धान की रोपाई का उपयुक्त समय 21 जून से 21 जुलाई तक होता है.

धान की खेती वाले राज्य

हमारे भारत देश में धान की खेती (Dhaan Ki Kheti) को पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में मुख्य रूप से किया जाता है. वैसे, झारखंड एक ऐसा राज्य है जहा धान की खेती 71 फीसदी भूमि पर की जाती है.

धान की खेती के लिए उचित जलवायु

बता दे धान की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है. वैसे, इस फसल के लिए 20 से 35 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान उचित होता है. जानकारी के लिए बता दे धान की उपज के लिए 100 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है.

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धान की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

धान की अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए मटियार तथा दोमट भूमि मिट्टी अति उत्तम मानी जाती है. अच्छी वृद्धि के लिए मिट्टी का पी.एच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए.

धान की उन्नत किस्में

बता दे धान की खेती (Dhan Ki Kheti) में भी कई किस्में पाई जाती है, जगह के हिसाब से सही किस्म का चुनाव करना बहुत जरुरी होता है. इनमें से कुछ किस्मों में फसल 90 से 135 दिनों में ही तैयार हो जाती है. प्रमुख किस्मो की जानकारी निम्नलिखित है:

  • पूसा 1460
  • W.G.L 32100
  • DRR धान 45
  • DRR धान 310
  • I.R 36
  • I.R 64
  • M.T.U 1010
  • पूसा सुगंध 3
  • पूसा सुगंध 4

गर्मी में धान की खेती

बता दे गर्मी में धान की खेती करने के लिए बुवाई का समय चुनना बहुत जरुरी होता है. गर्मी के मौसम में बुवाई का समय मार्च से जून महीने के पहले सप्ताह के बीच करना उपयुक्त होता है. इसके अलावा, धान के लिए उपयुक्त खेत की तैयारी करना भी महत्वपूर्ण है. इसमें खेत को अच्छी तरह से जोतना, खाद का सही मात्रा तथा समय पर देना भी जरुरी होता है.

सरना धान की खेती

भारत में सरना धान की खेती (Dhaan Ki Kheti) कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण है और इसका बड़ा महत्व है. बता दे सरना धान एक प्रमुख अनाज है जो भारतीय खाघ आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है. सरना धान की खेती करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना आवश्यक है. सबसे पहले, सही समय पर बुवाई करना बहुत जरुरी है. वैसे, सरना धान की बुवाई गर्मियों में की जाती है, बुवाई के समय पर उचित खाद देना चाहिए ताकि फसल को अच्छा विकास मिल सके.

सरना धान की खेती में कीट प्रबंधन और रोग प्रबंधन का भी ध्यान रखना चाहिए ताकि फसल को कीटो या बीमारियों से सुरक्षा मिल सके. इन सभी बातो को ध्यान में रखके, सरना धान की खेती किसानों को अच्छा मुनाफा दिला सकती है.

1010 धान की खेती

भारत में 1010 धान की खेती एक प्रकार की धान वार्षिक फसल होती है और यह आमतौर पर उच्च बर्फीले क्षेत्रों में बोई जाती है. इसका नाम “1010” इसके बीज कोड के आधार पर होता है. 1010 धान की खासियत है कि यह अन्य धान प्रजातियों की तरह पानी के साथ ज्यादा सही से उग सकता है और यह ठंड के मौसम में भी अच्छी तरह से बढ़ सकता है.

1121 बासमती धान की खेती

बता दे 1121 बासमती धान की खेती एक महत्वपूर्ण धान प्रजाति की खेती है जो उच्च गुणवत्ता वाले चावल के लिए प्रसिद्ध है. यह धान प्रजाति खुशबूदार और लंबे दानों के लिए जानी जाती है, जिससे इसका मूल्य बाजार में अच्छा मिलता है. 1121 बासमती धान की खेती (Dhan Ki Kheti) के लिए उपयुक्त जलवायु और भूमि का चयन करना महत्वपूर्ण होता है. यह धान प्रजाति ठंडे और सूखे जलवायु को पसंद करती है.

1509 धान की खेती

यह किस्म कम समय और कम पानी में अधिक पैदावार के लिए जानी जाती है. बता दे यह लगभग 120 से 130 दिनों में ही तैयार हो जाती है तथा इससे प्रति एकड़ 20 से 25 क्विंटल धान की पैदावार होती है.

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धान की खेती कैसे करें?

खरीफ फसलों में धान की खेती देश की प्रमुख फसल है. इस फसल से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. धान की अधिक पैदावार प्राप्त करने के हेतु निम्न बातों पर ध्यान देना आवश्यक है:

  • धान फसल को खेत में लगाने से पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर लेनी चाहिए. इससे पुरानी फसल के अवशेष निकल जाते है.
  • इसके बाद, आपको खाली खेत मे पानी छोड़ देना है. उसके बाद, इसे कुछ दिनों के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दे.
  • उर्वरकों का प्रयोग हमेशा मिट्टी जांच के आधार पर ही करना चाहिए.
  • इसके बाद, खेत की फिर से जुताई कर मेड बंदी बना दे, ताकि खेत में बारिश का पानी अधिक समय तक जमा रहे.
  • धान की बुवाई या रोपाई के लिए एक सप्ताह पहले खेत की सिंचाई कर देनी चाहिए. 
  • धान की सीधी बुवाई करे तो, इसमें बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर लगभग 40 से 50 किलोग्राम तक होनी चाहिए.
  • वही, धान की रोपाई के लिए यह मात्रा लगभग 30 से 35 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए.
  • धान रोपाई के लिए पंक्तियों से पंक्तियों की दूरी 20 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी करीबन 10 सेंटीमीटर तथा एक स्थान पर 2 से 3 पौधे लगाने चाहिए.

धान की जैविक खेती

बता दे धान की जैविक खेती में केवल प्राकृतिक उर्वरक, जैविक कीटनाशक और उपयुक्त जैविक तत्वों का ही उपयोग किया जाता है. इसके अलावा, जैविक खेती पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले केमिकल उपयोग को कम करने में मदद करती है. जैविक खाद के अंर्तगत गोबर खाद, केंचुआ खाद, नाडेप खाद, कंपोस्ट खाद, हरी खाद, नील हरित काई, एजोला, एजोस्पाइरिलम, पीएसबी कल्चर आदि होते है जिनका प्रयोग धान में कर सकते है.

धान की खेती में सिंचाई

भारत में धान की फसल में सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है इसलिए खेत में बीजों की रोपाई के तुरंत बाद इसकी पहली सिंचाई कर देनी चाहिए. धान की फसल को रोपाई के एक सप्ताह तक पौधे के कल्ले फूटने से दाना भरते समय तक खेत में पानी की पूर्ती नियमित रूप से होनी चाहिए. इसके लिए बांध बना कर उसमे पानी भर देना चाहिए, ताकि खेत में पानी भरा रहे और फसल ठीक से वृद्धि कर सके.

धान की खेती में खाद

बता दे धान की अच्छी उपज के लिए खेत में आखिरी जुताई के समय लगभग 160 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सड़ी गोबर खाद खेत में डाले तथा उर्वरक में 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 से 70 किलोग्राम फास्फोरस तथा 50 से 60 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में इस्तेमाल करे.

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धान की खेती के फायदे

बता दे धान की खेती (Dhaan Ki Kheti) के कई फायदे होते है जो कृषि के क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. इनमे से मिलने वाले कुछ प्रमुख लाभों की जानकारी नीचे दी गई है:

  • धान की खेती खाघ सुरक्षा को बढ़ावा देती है.
  • धान की खेती कृषि व्यवसाय को सुधारने में भी मदद करती है.

धान की खेती में लागत व मुनाफा

यदि आप धान की खेती एक हेक्टेयर में करते है तो आपको लगभग 60 से 70 क्विंटल की उपज आसानी से मिल जाएगी. अगर मुनाफा की बात करे तो भारतीय बाजार या मंडी में धान का भाव लगभग 3000 से 4000 रुपए/ प्रति क्विंटल के आसपास रहता है. इसके अनुसार, किसान भाई धान की खेती करके आराम से 2 से 3 लाख रूपए कमा सकते है. इसमें से अगर 50 हजार रूपए खर्चे के भी निकाल दे तो किसान आसानी से 2 लाख तक का मुनाफा कमा सकता है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

सबसे अच्छा हाइब्रिड धान कौनसा है?

सबसे अच्छा हाइब्रिड धान अराइज 6444 है. इस हाइब्रिड धान को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 130 से 140 दिनों का समय लगता है.

एक एकड़ में कितना धान उत्पादन होता है?

किसान भाई उन्नत खेती के जरिए प्रति एकड़ 25 से 35 क्विंटल धान की उपज ले सकता है. इसकी उपज जलवायु, उर्वरक, उन्नत किस्म आदि पर भी निर्भर करती है.

90 दिन में कौनसा धान तैयार होता है?

दंतेश्वरी धान की प्रजाति अच्छी किस्म की मानी जाती है. यह किस्म मात्र 90 दिनों में ही पक कर तैयार हो जाती है.

धान की रोपाई के कितने दिन बाद यूरिया डालना चाहिए?

धान की रोपाई से लगभग 20 से 25 दिनों के बाद आपको 70 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से यूरिया डाल देना चाहिए. इससे धान फसल का विकास जल्दी होगा.

धान में नमक डालने से क्या फायदा होता है?

बता दे धान के बीज को नमक के घोल में डालकर रखने से ठोस व उत्तम बीज की प्राप्ति होती है. इसके अलावा, कुपोषित बीज भी अलग हो जाते है.

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