Aalu Bukhara Ki Kheti: आलू बुखारा की खेती कैसे करे? 5 लाख तक होगी कमाई

Aalu Bukhara Ki Kheti | प्रिय किसान भाईयों आलू बुखारा की खेती एक व्यवसायिक खेती है. इसकी खेती देश के ठंडे और पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है. आलू बुखारा की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार विभिन्न राज्यों में अलग- अलग योजनाएं तथा सब्सिडी का लाभ किसानों को दे रही है. बता दे आलू बुखारा की खेती भारतीय उपमहाद्वीपो से शुरू हुई थी, जिसे बाद में विश्व के अन्य क्षेत्रों में भी पसंद किया जाने लगा. आलू बुखारा एक गुठलीदार फल है. वर्तमान समय में इसकी खेती अन्य देशों में भी की जाती है जिसमे चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, थाईलैंड, अमेरिका, फिलिपिंस, नेपाल और इंडोनेशिया शामिल है.

Aalu Bukhara Ki Kheti
Aalu Bukhara Ki Kheti

यदि आप भी आलू बुखारा की खेती करने की सोच रहे है तो इस लेख को पूरा पढ़े क्योंकि इस लेख में हम आपको इसकी खेती से जुडी विस्तार सहित जानकारी देने वाले है. इस लेख में हम आलू बुखारा की खेती? आलू बुखारा की खेती वाले राज्य? आलू बुखारा की वैज्ञानिक खेती? आलू बुखारा खाने के लाभ? आलू बुखारा की खेती में लागत व कमाई? Aalu Bukhara Ki Kheti आदि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे.

आलू बुखारा की खेती की जानकारी

बता दे आलू बुखारा का वैज्ञानिक नाम “Prunus Domestica” है. यह फल गुलाबी, भूरा और हल्का पीला रंग का होता है. इसकी खेती एक लाभदायक कृषि व्यवसाय है. अगर आप इसकी खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त करना चाहते है तो इसके लिए आपको कुछ जरुरी जानकारी होना आवश्यक है. बता दे आलू बुखारा एक उच्च वर्षा तथा तापमान के मौसम की खेती है.

इसके पेड़ को नियमित रूप से पानी देना बहुत ही जरूरी है, खासतौर पर पेड़ों के विकास के समय यह और भी आवश्यक हो जाता है. आलू बुखारा की खेती में उचित कृषि प्रौद्योगिकीयों का उपकरण करना ही फायदेमंद होता है. कृषि मशीनरी, उन्नत उपकरण, जल संरचना, सिंचाई प्रणाली आदि का उपयोग करके उत्पादकता में सुधार किया जा सकता है.

आलू बुखारा लगाने का समय

जानकारी हेतु बता दे आलू बुखारा के पौधे को उगाने का समय मुख्य रूप से उस स्थान की भूमि तथा जलवायु पर निर्भर करता है परंतु आमतौर पर आलू बुखारा के पौधे लगाने के लिए जनवरी- फरवरी का महीना सबसे उचित माना जाता है.

आलू बुखारा की खेती वाले राज्य

फल आलू बुखारा की खेती (Aalu Bukhara Ki Kheti) भारत में कई राज्यों में की जाती है. परंतु, जम्मू- कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, झारखंड, असम, छत्तीसगढ़ और ओडिसा जैसे राज्यों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है.

आलू बुखारा की खेती के लिए जलवायु

इस फल की अच्छी उपज के लिए ठंडी जलवायु उपयुक्त होती है. इसकी खेती पहाड़ी अंचल के साथ- साथ जमीनी क्षेत्रों में भी आसानी से की जा सकती है. परंतु, आलू बुखारा की अच्छी उपज के लिए समुद्रतल से 900 से 2500 मीटर तक की ऊंचाई वाले क्षेत्र जहां पाला न पड़ता हो, वह सर्वोत्तम होती है.

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आलू बुखारा का पौधा कैसे तैयार करे?

बता दे आलू बुखारा का पौधा तैयार करने के लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा, जिससे आप आलू बुखारा के पौधे को अच्छी तरह से तैयार कर सकते है:

  • आलू बुखारा के पौधे को उगाने के लिए आपको सबसे पहले, अच्छे गुणवक्ता वाले बीजों का चयन करना होगा.
  • चयनित बीजों को 12 से 15 घंटे तक पानी में भिगो दे. इसके बाद, इन्हे अच्छे से धूप में सुखा ले.
  • फिर बीजों को उपचार कर ले.
  • फिर एक बार जांच कर ले कि आपके खेत की मिट्टी में नमी है या नही.
  • यदि आपके खेत की मिट्टी में नमी नही है तो, आपको एक बार खेत की अच्छे से सिंचाई कर देनी है. फिर 5 से 6 दिनों के बाद जब मिट्टी में नमी आ जाए तब आपको बुवाई कर देनी है.
  • आलू बुखारा की खेती में देखभाल करना आवश्यक है. उन्हें नियमित रूप से पानी देना, खरपतवार का ध्यान रखना आदि देखभाल करना जरुरी होता है.

आलू बुखारा की वैज्ञानिक खेती

फल आलू बुखारा की खेती (Aalu Bukhara Ki Kheti) से यदि आप अच्छी पैदावार प्राप्त करना चाहते है तो, आपको इसकी खेती वैज्ञानिक तरीके से करनी चाहिए. इसके लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:

  • आलू बुखारा की खेती के लिए उपयुक्त भूमि का चयन करना महत्वपूर्ण है.
  • इसकी बुवाई तथा रोपाई उपयुक्त समय पर करना अत्यंत आवश्यक है.
  • इस खेती में सिंचाई का ध्यान रखना जरूरी है, इसमें आपको समय- समय पर पानी देना होगा.
  • इसके पेड़ों की देखभाल करने में समय- समय पर कटाई, खेत की खरपतवार, विषाणुरोधी रसायनों का उपयोग तथा उर्वरक का समयबद्ध रूप से इस्तेमाल करना शामिल होता है.

Note: ध्यान रहे की आलू बुखारा की वैज्ञानिक खेती भिन्न- भिन्न क्षेत्रों तथा जलवायु में भिन्न तरीको से की जाती है, इसलिए स्थानीय विशेषज्ञ की सलाह जरुर ले.

आलू बुखारा की खेती कैसे करें?

इसकी उत्तम खेती करने के लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:

  • इसके पौधे को धूप तथा ताजा हवा वाले स्थान पर उगाना ज्यादा उत्तम होता है.
  • खेती के लिए सामान्य उपजाऊ मिट्टी का चयन करे और उसमे खाद तथा कंपोस्ट मिश्रित करके उपयुक्त बनाए.
  • फिर खेत की अच्छे से गहरी जुताई करे.
  • बीज बुवाई उचित समय पर करे.
  • अगर आप ऊपर वाले स्टेप को फॉलो करते हो तो आप पहले आलू बुखारा की पौध भी तैयार कर सकते हो.
  • खेत की देखभाल करे ताकि उन्हें कीट और रोगों से बचाया जा सके.
  • ध्यान रहे इसकी खेती को ऐसे स्थान पर करे जहां पाला ना पड़े.

आलू बुखारा खाने के लाभ

बता दे आलू बुखारा लाल, पीला तथा काले आदि रंग में पाए जाते है. अगर इसके फायदे की बात की जाए तो, इसके फायदे निम्नलिखित है:

  • पेट से जुडी कई प्रकार की समस्याओं के लिए आलू बुखारा लाभदायक है. पेट की समस्या जैसे कि भूख न लगना तथा पाचन में समस्या आदि के लिए आलू बुखारा लाभदायक है.
  • कब्ज, बवासीर जैसी कई बीमारियों को दूर करता है.
  • आलू बुखारा फल में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन आदि भरपूर मात्रा में होते है.
  • यदि हम इसका सेवन करते है तो यह हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है.

आलू बुखारा की खेती में खाद

इसकी खेती में खाद तथा उर्वरक की उचित मात्रा देना आवश्यक होता है. इसके लिए 10 से 15 किलोग्राम गोबर की सड़ी हुई खाद, नाइट्रोजन 25 ग्राम, पोटाश 25 ग्राम प्रति पेड़ प्रति वर्ष के हिसाब से 10 वर्ष तक देना चाहिए तथा इसके बाद मात्रा स्थिर कर देनी चाहिए.

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आलू बुखारा की खेती में रोग

इसकी खेती में कुछ सामान्य रोग और समस्याएं हो सकती है जैसे कि कुलरा या जंगली कुलरा, शीवर अमरी, मेजानीन आदि रोग इस खेती में लग सकते है. यदि किसानों को अपनी आलू बुखारा की खेती में ये समस्याएं आती है तो आप कृषि वैज्ञानिको से संपर्क करके सलाह ले सकते है.

आलू बुखारा की खेती में सिंचाई

बता दे आलू बुखारा (Aalu Bukhara Ki Kheti) की अच्छी उपज के लिए सिंचाई की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. इसमें आपको 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए. इसके अलावा, आवश्कतानुसार सिंचाई भी कर सकते है. इस खेती में आप ड्रिप सिंचाई विधि का भी उपयोग कर सकते है.

आलू बुखारा की खेती में लागत व कमाई

जानकारी के लिए बता दे आलू बुखारा की खेती में लागत कई तत्वों पर निर्भर करती है. इसमें उर्वरकों और कीटनाशकों की खरीद, भूमि की तैयारी, सिंचाई की व्यवस्था आदि शामिल है. आलू बुखारा की खेती की लागत 1 हेक्टेयर के लिए लगभग 1 लाख रुपए तक होती है.

अब अगर मुनाफा की बात करे तो 1 हेक्टेयर खेत से 100 क्विंटल की पैदावार प्राप्त होती है. भारतीय बाजारों में आलू बुखारा के वर्तमान भाव 130 रुपए प्रति किलो है. किसानों को उनकी फसलों के अनुसार, मंडियों में 100 रुपए प्रति किलोग्राम का भाव बड़ी आसानी से मिल जाता है. इस हिसाब से किसान को 4.8 लाख रुपए प्रति हेक्टर कमाई होती है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

आलू बुखारा कितने प्रकार के होते है?

सैंटा रोज़ा, ब्लैक एंबर, रेड ब्यूटी, अफ्रीकन रोज़ और ब्लैक ब्यूटी आलू बुखारा की कुछ प्रमुख किस्में है. आलू बुखारा हरा, लाल, बैंगनी और पीले रंग के होते है.

आलू बुखारा कब मिलता है?

आमतौर पर आलू बुखारा मई से अक्टूबर तक बाजारों में मिलता है.

क्या बेर और आलू बुखारा एक ही है?

जी, नही बेर और आलू बुखारा एक नही है. ताजा आलू बुखारा खाने पर इसका स्वाद बहुत अच्छा होता और इसमें ज्यादा मिठास होती है.

आलू बुखारा में कौनसा विटामिन होता है?

आलू बुखारा में Vitamin K और Vitamin B6 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, ये दोनो ही विटामिन आंखे और त्वचा के लिए अच्छे माने जाते है.

क्या आलू बुखारा फाइबर से भरपूर है?

आलू बुखारा में वसा की मात्रा कम होती है और आहारीय फाइबर की मात्रा अधिक होती है. यह फल आमतौर पर मीठा और गुरेदार होता है.

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