Aalu Ki Kheti: आलू की खेती कैसे करे? 3 लाख तक कमाई करने का शानदार मौका

Aalu Ki Kheti | अगर आप एक प्रगतिशील किसान है और खेती में कुछ नया करना चाहते है तो इस बार आपको आलू की खेती करनी चाहिए. आलू रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है. बता दे इसकी खेती कंदवर्गीय सब्जी के रूप में की जाती है तथा यह भारत में उगाई जाने वाली लोकप्रिय सब्जियों में से एक है. वहीं, आलू उत्पादन में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है. आलू की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि इसकी खेती कम समय में ही तैयार हो जाती है. इसके अलावा, आलू की खेती में लागत भी कम ही लगती है और मुनाफा अच्छा खासा हो जाता है.

Aalu Ki Kheti
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अगर आप आलू की खेती करने के बारे में सोच रहे है तो इस पोस्ट में हम आपको उन्नत तरीके से खेती करने की जानकारी देंगे. यहाँ आपको आलू की खेती का समय? आलू की खेती वाले राज्य? आलू की जैविक खेती? आलू की उन्नत किस्में? आलू की खेती के लिए उचित जलवायु? आलू की खेती में सिंचाई? आलू की खेती में लागत व मुनाफा? Aalu Ki Kheti आदि की विस्तारपूर्वक जानकारी मिलेगी.

आलू की खेती की जानकारी

भारत में आलू की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी व्यापारिक गतिविधि है. आलू का वैज्ञानिक नाम “Solanum Tuberosum” है और यह सर्दियों में उगाई जाने वाली फसल है. इसकी खेती के लिए सही मिट्टी, जलवायु और प्रबंधन की जरूरत होती है. साथ ही, आलू में प्रमुख कीट प्रबंधन के लिए जैविक और रासायनिक उपायों का सही तरीके से प्रयोग करना जरुरी होता है.

आलू की खेती में कार्बनिक तत्वों से भरपूर उपजाऊ मिट्टी की जरुरत होती है. इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी उत्तम है. बता दे सामान्य भूमि जिसका पी.एच मान लगभग 6 से 7 के बीच में हो उस भूमि पर आलू की खेती आसानी से की जा सकती है.

आलू की खेती का समय

भारत में आलू की बुवाई का समय इसकी किस्म पर भी निर्भर करता है. वैसे, इसकी अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए सितंबर से नवंबर तक का समय बुवाई के लिए उचित माना जाता है. जब भी आप आलू की खेती (Aalu Ki Kheti) की बुवाई करे तब आपको पंक्ति से पंक्ति के बीच 50 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे के बीच 20 सेंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिए.

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आलू की खेती वाले राज्य

भारत में आलू की खेती सबसे अधिक खेती उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, महाराष्ट्र आदि राज्यो में होती है. जानकारी के लिए बता दे केरल और तमिलनाडु प्रांतों को छोड़कर लगभग सभी राज्यों में आलू की खेती की जाती है.

आलू की खेती के लिए जलवायु

बता दे आलू की खेती के लिए ठंड का मौसम यानि रबी का सीजन काफी उपयुक्त है. इसकी खेती के लिए दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तथा रात का तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए. वहीं, कंद बनने के समय तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नही होना चाहिए क्योंकि ज्यादा तापमान होने पर कंदो का विकास रुक जाता है.

आलू की उन्नत किस्में

वर्तमान समय में अलग- अलग जगहो पर अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए आलू की कई उन्नत किस्मों को तैयार किया गया है जिन्हे उगाकर किसान अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते है. कुछ आलू की उन्नत किस्में इस प्रकार है:

  • कुफरी अशोक
  • JEX 166C
  • JH 222
  • कुफरी चंद्रमुखी
  • कुफरी बहार
  • कुफरी ज्योति
  • कुफरी लवकर

गर्मी में आलू की खेती

बता दे गर्मी में आलू की खेती (Aalu Ki Kheti) करने के लिए सही जानकारी और समय- समय पर कदम उठाना जरुरी होता है. वैसे, आमतौर पर आलू की खेती सर्दियों में होती है लेकिन उचित प्रबंधन से आप इसकी खेती गर्मियों में भी कर सकते हो. शुरुआत में आपको अच्छे बीज चुनने की आवश्यकता होती है और फिर अच्छे खेत का चयन भी महत्वपूर्ण होता है जिसमे अच्छी ड्रेनेज और उपजाऊ मिट्टी हो.

आलू के पौधों को बीमारियों तथा कीटो से बचाने के लिए नियमित तरीके से पौधों की देखभाल करनी चाहिए. फसल के विकास के साथ ही आपको उन्हें पानी देने की मात्रा बढ़ाना चाहिए. आलू की पूरी तरह से पकने की पहचान के लिए पौधों की जड़ों को खुदाई करके देखना चाहिए. इस तरीके से आप गर्मी में भी आलू की खेती आसानी से कर सकते है.

बरसात में आलू की खेती

आलू की खेती के लिए बरसात का मौसम सबसे अच्छा होता है क्योंकि इस समय पानी की जरूरत होती है और पौधों को पोषण देने के लिए पानी की अच्छी आपूर्ति हो जाती है. इसके अलावा, बरसात के पानी से मिट्टी में मिनरल्स और पोषक तत्वों की आपूर्ति अच्छी होती है, जो आलू के पौधों के विकास के लिए भी आवश्यक होती है. इसके अलावा, आपको बीमारियों और कीटो के प्रकोप को नियंत्रण करने के लिए भी उपयुक्त प्रबंधन की आवश्यकता होती है.

चिप्सोना आलू की खेती

बता दे चिप्सोना आलू जिसे अंग्रेजी में “Chipsona Potato” कहा जाता है, एक प्रमुख आलू किस्म है. चिप्सोना आलू छोटा आकार का होता है और उनका रंग सफेद होता है. इसकी खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और अच्छी जलवायु की आवश्यकता होती है. वहीं, आलू की यह किस्म 90 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है. इस किस्म के आलू की मांग भी बाजार में सालभर अच्छी बनी रहती है. इस किस्म को चिप्स, फिंगर फ्राई, रसोई व्यंजन बनाने पर उपयोग में लिया जाता है. इसकी पैदावार भी अन्य किस्म की तुलना में काफी अच्छी होती है.

काले आलू की खेती

भारत में काले आलू की खेती मुख्य रूप से उत्तर भारत के उच्च पहाड़ी इलाकों में की जाती है, लेकिन यह अब अन्य क्षेत्रों में भी की जाने लगी है. काले आलू का पौधा ज्यादातर सर्दियों में उगाया जाता है क्योंकि इसके लिए सूखी और ठंडी जगह की आवश्यकता होती है. यदि सही देखभाल की जाए, तो काले आलू की खेती (Aalu Ki Kheti) से उच्च गुणवत्ता वाला उत्पादन हो सकता है जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा कमाने का अवसर मिलेगा.

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आलू की खेती कैसे करे?

अगर आप आलू की खेती (Aalu Ki Kheti) सही तरीके से करते है तो इससे आपको अच्छा उत्पादन मिलेगा. अगर आप इसकी खेती सही विधि से करना चाहते है तो निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करे:

  • सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार कर ले.
  • इसके लिए आपको खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर लेनी है. जुताई से मिट्टी का पलटाव अच्छे से हो जाएगा. वहीं, इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बरक़रार रहती है.
  • इसके बाद, पाटा की मदद से खेत को समतल कर ले ताकि जलभराव की समस्या ना हो.
  • अब उचित मात्रा में गोबर खाद या कंपोस्ट खाद डाले.
  • अब एक बार पुनः जुताई करे. इससे खाद व मिट्टी अच्छे से मिल जाएंगे और भूमि को पोषण मिलेगा.
  • इसके बाद, खेत में पौधों की रोपाई के लिए मेड को तैयार करे.
  • आलू के बीजों की रोपाई आलू के रूप में की जाती है, बता दे इसके लिए छोटे आलू के कंदो को खेत में लगाया जाता है.
  • कंदो की रोपाई के पहले उन्हें इंडोफिल की उचित मात्रा को पानी में डालकर मिला लिया जाता है, जिसके बाद कंद को इस घोल में 15 मिनट तक रखा जाता है. फिर, इसके बाद कंदो की रोपाई की जाती है.
  • कंदो की रोपाई के लिए समतल भूमि में एक फीट की दूरी रखते हुए मेडो को तैयार कर लिया जाता है तथा प्रत्येक मेड की चौड़ाई एक फीट तक रखी जाती है.
  • इसके बाद, कंदो को 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी रखते हुए 5 से 7 सेंटीमीटर की गहराई में लगाया जाता है.

आलू की जैविक खेती कैसे करें?

बता दे आलू की जैविक खेती किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण और लाभकारी कृषि प्रथा है. जैविक आलू की खेती के लिए उपयुक्त भूमि का चयन और तैयारी महत्वपूर्ण होती है. अच्छी ड्रेनेज वाली भूमि का चयन करना और खाद की उचित मात्रा में उपयोग करना आलू के पौधों के स्वस्थ विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है.

इसके अलावा, जैविक खेती में भूमि का प्राकृतिक स्वास्थ्य के बनाए रखने के लिए जैविक खादो का उपयोग किया जाता है. यह खाद खेती में मौसम और भूमि की आवश्यकताओं के हिसाब से तैयार की जाती है और पौधों को सही पोषण प्रदान करती है.

आलू की खेती में सिंचाई

भारत में आलू की खेती के लिए पानी की आवश्यकता कम ही होती है. आलू की फसल में पहली सिंचाई 10 से 20 दिनों के अंदर कर देनी चाहिए तथा दूसरी सिंचाई या फिर इसके बाद की सिंचाई का समय 10 से 15 दिन के अंतराल में रहना चाहिए. आलू की खेती में लगभग कुल 5 से 6 सिंचाई होती है परंतु सिंचाई करते समय इस बात का मुख्य ध्यान रखे कि क्यारियों को ⅔ भाग से ज्यादा ना भरे.

आलू की खेती के लिए खाद

बता दे आलू की अच्छी फसल के लिए सामान्यतः 180 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 100 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता पड़ती है. यदि मृदा में जस्ता तथा लोहा तत्वों की कमी है तो, 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट एव 50 किलोग्राम फास्फोरस सल्फेट को प्रति हेक्टेयर की दर से उर्वरक बुवाई से पहले देना चाहिए.

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आलू की खेती के फायदे

बता दे आलू की खेती (Aalu Ki Kheti) के फायदे विभिन्न पहलुओं में दिखाई देते है. जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:

  • यह खेती आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण होती है क्योंकि आलू का विपणन बाजार में अच्छे मूल्य पर होता है और इससे किसानों को अधिक आय प्राप्त हो जाती है.
  • आलू की खेती कम पानी में भी संभव हो सकती है.
  • आलू में अनेक प्रकार के पोषण तत्व विटामिन सी, बी, मैंगनीज, कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन पाया जाता है.
  • आलू का सेवन शरीर के लिए लाभदायक होता है, किंतु इसके सेवन से शरीर में चर्बी बढ़ने जैसे समस्या हो सकती है.

आलू की खेती में लगने वाले रोग

बता दे आलू की फसल को रोग एव कीटो से बचाने के लिए सुरक्षा का ध्यान भी रखना होता है. अतः प्रमुख रोग एंव कीटो से फसल सुरक्षा की जानकारी होना आवश्यक है:

  • ब्लैक स्कार्फ रोग
  • हड्डा बीटल
  • अटुआ किट
  • अंगमारी रोग
  • झुलसा रोग

आलू की खेती में लागत व मुनाफा

उन्नत तरीको की पैदावार के हिसाब से बात करे, तो किसान भाई 100 से 120 क्विंटल/ प्रति एकड़ तक आलू का उत्पादन ले सकते है. यदि इसकी खेती की लागत की बात करे तो, आलू की बुवाई से लेकर कटाई तक लगभग 40 से 50 हजार रुपए खर्च हो जाते है. आलू का बाजारी भाव 1500 से 2500 रुपए/ प्रति क्विंटल होता है जिससे किसान भाई आलू की एक बार की फसल से 2 से 3 लाख की कमाई आसानी से कर सकते है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

सबसे ज्यादा पैदावार वाला आलू कौन सा है?

सबसे ज्यादा पैदावार देने वाला आलू कुफरी शिलमान किस्म है. इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल तक आलू की पैदावार प्राप्त की जा सकती है. इसकी खेती को पूरी तरह से तैयार होने में 120 से 130 दिनों का समय लगता है.

एक आलू के पौधे में कितने आलू उगते है?

प्रत्येक स्वस्थ आलू के पौधे में लगभग 6 से 10 आलू उगते है. इसकी संख्या किस्म पर भी निर्भर करती है.

आलू का हरा होने का क्या कारण है?

जब आलू सीधे सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आते है तो वो हरे होने लगते है. यह हरा रंग क्लोरोफिल से आता है.

आलू की सबसे अच्छी खाद कौन सी है?

आलू की सबसे अच्छी खाद यूरिया है, यूरिया आलू के पौधों के विकास को प्रोहत्साहित करता है और उत्पादन को बढ़ाता है.

आलू का सड़ने का क्या कारण है?

आलू का सड़ने के मुख्य कारण जीवाणु पेक्टोबैक्टीरियम कैरोटोवोरम है. इसके कारण आलू सड़ जाता है.

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