Chana Ki Kheti: चने की खेती कैसे करे? 4 महीने में होगी बंपर कमाई

Chana Ki Kheti | चना रबी ऋतु में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण दलहनी फसल है. चने का साइंटिफिक नाम “Cicer Arietinum” है. वैसे देखा जाए तो विश्व में भारत चने का सबसे बड़ा उत्पादक देश है तथा विश्व के कुल चना उत्पादन का लगभग 70 फीसदी चना भारत में होता है. रबी फसलों में चने की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि इसकी खेती कम लागत और समय में ही तैयार हो जाती है तथा मुनाफा अच्छा खासा हो जाता है.

Chana Ki Kheti
Chana Ki Kheti

अगर आप चने की खेती करने का मन बना रहे है तो फिर यह लेख आपके लिए बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि आज के इस लेख हम आपको चने की खेती से संबंधित कई आवश्यक जानकारी देंगे. जैसे कि- चने की खेती कैसे करे? चने की खेती का समय? चने की खेती के लिए जलवायु? चने की खेती वाले राज्य? चने की खेती में कौन सा खाद डालें? चने की खेती में सिंचाई? चने की खेती में लागत व कमाई? Chana Ki Kheti आदि की पूरी जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी.

चने की खेती की जानकारी

बता दे चने की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय साबित हो सकती है. इसकी खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीजे है- उपयुक्त भूमि का चयन करना, चनों की उच्च उपजाऊता के लिए मिट्टी को अच्छे तरह से तैयार करना, उपयुक्त जलवायु होना और बीजों का उचित चयन तथा बोने का सही समय अच्छे उत्पादन के लिए जरुरी है. फसल की देखभाल में उर्वरक देना और पौधों की प्रणालीकरण करना भी आवश्यक होता है.

चने की खेती किसी भी उपजाऊ तथा उचित जल निकासी वाली मिट्टी में की जा सकती है. वैसे, चने की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. इसकी खेती में भूमि का पी.एच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए. चने की खेती अच्छी अवशिष्ट नमी वाली मिट्टी को काफी पसंद करती है.

चने की खेती का समय

भारत देश में चने की खेती (Chana Ki Kheti) के लिए बुवाई का सबसे उपयुक्त समय 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच होता है. इसके बाद, बुवाई करने पर उत्पादन कम होता जाता है. उचित समय पर बिजाई करना बहुत जरूरी है क्योंकि अगेती बिजाई से अनावश्यक विकास का खतरा बढ़ जाता है. वहीं, पछेती बिजाई से पौधों में सूखे रोग का खतरा बढ़ जाता है तथा पौधे का विकास और जड़े भी उचित ढंग से नही बढ़ पाती है.

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चने की खेती वाले राज्य

भारत में चने की खेती राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में मुख्य रूप से की जाती है. वैसे, भारत में चने का सबसे अधिक उत्पादन मध्य प्रदेश राज्य में होता है जो कुल चने उत्पादन का लगभग 25.44 फीसदी पैदा करता है. इसके बाद, आंध्र प्रदेश 15.55 फीसदी पैदावार देता है.

चने की खेती के लिए जलवायु

बता दे चने के पौधे ठंडी जलवायु में अच्छे से वृद्धि करते है किन्तु सर्दियों के मौसम में गिरने वाला पाला पौधों को हानि पहुंचाता है. वैसे, सामान्य तापमान में चने की खेती (Chane Ki Kheti) आसानी से की जा सकती है. इसके पौधे 20 डिग्री सेल्सियस तापमान में अच्छे से अंकुरित होते है. जानकारी के लिए बता दे चने का पौधा अधिकतम 30 डिग्री तथा न्यूनतम 10 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकता है, इससे कम तापमान पैदावार को प्रभावित करता है.

चने की उन्नत किस्में

बता दे चने की अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए बाजारों में कई तरह की उन्नत किस्में मिल जाती है. यह सभी किस्में 2 प्रजातियों में विभाजित की गई है जिसमे देशी तथा काबुली प्रजाति शामिल है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि देशी किस्म के चने का आकार छोटा होता है, इस प्रजाति को भारत में सबसे अधिक उगाया जाता है. वहीं, काबुली प्रजाति के चनो को सिंचित जगहों पर उगाने लिए तैयार किया गया है. यहाँ कुछ प्रमुख किस्मो की जानकारी दी गई है:

  • देशी किस्म: JG 11, इंदिरा चना, वैभव, हिम, GNG 1581, KWR 108, पूसा 72, पंतजी 114 और बिरसा चना
  • काबुली किस्म: JGK 2, मेक्सीकन बोल्ड, BG 1053 और पूसा 1003

देशी चने की खेती

बता दे देशी चने की खेती में अच्छी ड्रेनेज की आवश्यकता होती है. इसकी खेती में पेस्टिसाइड और उर्वरकों का सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए ताकि फसल पर कीट प्रबंधन और पोषण की दृष्टि से कोई समस्या न हो. सही समय पर पानी देना भी काफी महत्वपूर्ण होता है. इसके अलावा देखभाल, रोग प्रबंधन और पोषण विचार भी जरुरी होता है जो देशी चने की खेती से अच्छी पैदावार दिलाने में मदद करता है.

डालर चने की खेती

भारत में डालर चने को काबुली चना तथा छोला चना भी कहा जाता है. यह सामान्य चने के पौधे से थोड़ा बड़ा होता है और इसके पौधे पर फलियां देर से बनती है. डालर चने का रंग हल्का सफेद होता है और दाने भी बड़े आकार के पाए जाते है. डालर चने की इस किस्म को उत्तर प्रदेश राज्य में अधिक उगाया जाता है. इसकी खेती 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है जिनका औसतन उत्पादन 15 से 20 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर होता है.

काले चने की खेती

बता दे काले चने की खेती (Chane Ki Kheti) भी सामान्य चने की खेती की तरह ही होती है. इसके लिए प्रति एकड़ 30 से 40 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है. मिट्टी और जलवायु के हिसाब से इसमें एक या दो सिंचाई की जरुरत पड़ती है. चने की यह किस्म 110 से 120 दिनों में पककर तैयारी हो जाती है. इसकी खेती से औसतन उत्पादन 10 से 15 क्विंटल/ प्रति एकड़ होता है.

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चने की खेती कैसे करे?

अगर आप चने की खेती (Chana Ki Kheti) सही तरीके से करते है तो इससे आपको अच्छा उत्पादन मिलेगा. अगर आप इसकी खेती सही विधि से करना चाहते है तो निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करे:

  • चने की खेती के लिए आपको सबसे पहले खेत में मौजूद पुरानी फसल के अवशेष को पूरी तरह से नष्ट कर देना है.
  • इसके बाद, खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर दे.
  • फिर, खेत में पानी छोड़ दे और जब खेत की मिट्टी में हल्की नमी आ जाए तब आपको पलेव कर देना है.
  • इसके बाद, रोटेवेटर की मदद से 2 से 3 बार तिरछी जुताई करे.
  • फिर आपको उचित मात्रा में गोबर की खाद डालकर पुनः जुताई करनी है. इससे खाद और मिट्टी अच्छे से मिक्स हो जाएगी.
  • ध्यान रहे उर्वरकों का प्रयोग हमेशा मिट्टी जांच के आधार पर ही करना चाहिए.
  • इसके बाद, आप प्रमाणित बीजों का चुनाव करे और बीजों का उपचार करके उचित समय पर बुवाई करे.
  • बुआई के समय यदि खेत में नमी न हो तो पहले हल्की सिंचाई करे और 4 से 5 दिनों के बाद बीजो की बुवाई करे. अगर हल्की नमी है तो सीधे बीजो की बुवाई करे.
  • चने की बुवाई करते समय बीजों के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर और पंक्तियों के बीच की दूरी लगभग 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए.
  • बुवाई के तुरंत बाद आपको एक हल्की सिंचाई कर देनी है.

चना की जैविक खेती

बता दे चने की जैविक खेती एक सुरक्षित तरीका है जिसमे केवल प्राकृतिक तत्वों का ही उपयोग किया जाता है. इसमें केमिकल तथा कीटनाशकों का उपयोग बिलकुल भी नही किया जाता. यदि आप चने की जैविक खेती करते है तो इसका प्रभाव आपको इसकी पैदावार में अवश्य दिखाई देगा.

चने की खेती में सिंचाई

बता दे चना की खेती (Chana Ki Kheti) में केवल 1 से 2 सिंचाई की आवश्यकता होती है. यदि मिट्टी हल्की हो तो प्रथम सिंचाई बुवाई के 30 से 35 दिनों के बाद (फूल आने से पहले) तथा दूसरी सिंचाई दाना बनने के समय करे.

चने की खेती में लगने वाले रोग

भारत में चने की फसल में कई तरह के कीटो एव बीमारियों का प्रकोप होता है जिसका उचित समय पर नियंत्रण करना बहुत जरुरी है. चने में लगने वाले कुछ प्रमुख रोग की जानकारी नीचे दी गई है:

  • झुलसा रोग
  • उखता रोग
  • फली छेदक
  • रस्ट
  • दीमक
  • कटवर्म

चना की खेती में खाद

खाद एंव उर्वरक का प्रयोग मिट्टी की जांच के आधार पर ही करना चाहिए. अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए आपको उचित मात्रा में कम्पोस्ट खाद डालना चाहिए. इसके अलावा आपको 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम पोटाश/ प्रति हेक्टेयर का छिडकाव करना है. वहीं, देर से बुवाई की दशा में 2 फीसदी यूरिया के घोल का छिड़काव फूल आने के समय करना लाभकारी रहता है.

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चने की खेती के लाभ

बता दे चने की खेती (Chane Ki Kheti) कई तरह के लाभ प्रदान कर सकती है, जिसकी विस्तार सहित जानकारी नीचे दी गई है:

  • चने की खेती से किसानों की आय बढ़ सकती है और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सकता है.
  • चने की खेती कम पानी में भी हो सकती है.
  • चने में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है.

चने की खेती में लागत व मुनाफा

बता दे चने की उन्नत किस्मों के आधार पर अधिक मात्रा में उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. इसकी खेती से किसान भाई लगभग 18 से 22 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार प्राप्त कर सकते है. भारतीय बाजारों और मंडियों में इसका भाव 40 से 50 रुपए/ प्रति किलोग्राम तक होता है. इसके हिसाब से आप चने की खेती से लगभग 1 से 1.5 लाख रुपए/ प्रति हेक्टेयर बड़े आराम से कमा सकते है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

सबसे अधिक पैदावार देने वाला चना कौन सा है?

फुले 9425-5 किस्म सबसे अधिक पैदावार देने वाला चना है. इस किस्म को कृषि विश्वविद्यालय राहुरी द्वारा विकसित किया गया है.

चने की अच्छी पैदावार के लिए क्या करे?

यदि आप भी चने की अच्छी पैदावार चाहते है तो आपको इसके लिए उच्च भूमि का चुनाव एवं तैयारी, चने की उन्नत किस्में और खाद या उर्वरक का प्रयोग करके चने की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते है.

विशाल चना कितने दिन में पक जाता है?

विशाल चना लगभग 120 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाता है. यदि हम इस किस्म की पैदावार की बात करे तो, इस किस्म से 20 से 25 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है.

चने में खरपतवार नाशक कौन सी दवा डाले?

चने के खेत में से घास या झाड़ियों को खत्म करने के लिए आपको प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर पानी में 700 मिलीलीटर पेंडिमेथिलिन 38.7 फीसदी सी.एस मिला कर छिड़काव करे.

चने की फसल कितने दिन में तैयार हो जाती है?

चने की फसल अवधि उसके किस्म के ऊपर निर्भर करती है परंतु आमतौर पर चने की फसल को तैयार होने में लगभग 3 से 3.5 माह का समय लगता है.

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