Amrud Ki Kheti: अमरूद की खेती कैसे करे, लागत कम मुनाफा ज्यादा

Amrud Ki Kheti | हमारे भारत देश की जलवायु अमरूद की खेती के लिए उपयुक्त है, इसी के चलते अमरूद के उत्पादन में भारत का दुनिया में चौथा स्थान है. अमरूद को अंग्रेजी भाषा में “ग्वावा” कहते है तथा इसका वानस्पतिक नाम “सीडियम ग्वायवा, प्रजाति सीडियम, जाति ग्वायवा, कुल मिटसी” है. यदि आप बागवानी की खेती से अच्छा मुनाफा चाहते है तो फिर आपको अमरूद की ही खेती करना चाहिए क्योंकि भारतीय बाजारों में अमरूद फल की मांग बहुत ज्यादा है जिसके कारण से इसका भाव भी अच्छा मिल जाता है.

Amrud Ki Kheti
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इस आज लेख में हम आपको अमरूद की खेती (Amrud Ki Kheti) से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी देंगे जैसे कि अमरूद की खेती कैसे करें? अमरूद की खेती कब करें? जैविक अमरूद की खेती? अमरूद की खेती के फायदे? हाइब्रिड अमरूद की खेती? शंकर अमरूद की खेती? आदि की जानकारी आपको यहां इस पोस्ट में मिलेगी.

अमरूद की खेती की जानकारी

जानकारी के लिए बता दे कि अमरूद की खेती के लिए उचित मौसम तथा मिट्टी की आवश्यकता होती है. अधिक वर्षा वाले क्षेत्र जहा 1245 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा हो वो क्षेत्र इसकी बागवानी के लिए उपयुक्त नही है. छोटे अमरूद के पौधे पर पाले का भी असर होता है जबकि पूर्ण विकसित पौधे 44 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान आसानी से सहन कर सकते है. अमरूद का पौधे एक सघन, हरा पेडीदार पौधा होता है जिसकी ऊंचाई लगभग 5 से 15 फिट तक होती है.

अमरूद की खेती कैसे करें?

अगर आपने अमरूद की खेती करने का मन बना लिया है तो इसके लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा, ताकि पैदावार अच्छी हो सके:

  • अमरूद की खेती के लिए सबसे पहले अमरूद के पौधे तैयार कर लेना है. पौधा आप नर्सरी में तैयार कर सकते है यदि आपके यहां नर्सरी की व्यवस्था न तो आप इसकी बुवाई सीधे खेत में भी कर सकते है.
  • सबसे पहले आपको मिट्टी की जांच करवा लेनी है. ध्यान रखे कि मिट्टी का पी.एच मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए.
  • अगर आप सीधे अमरुद का बीज खेत में लगाना चाहते तो पहले खेत को तैयार करे. इसके लिए आपको खेत की 2 बार तिरछी गहरी जुताई कर लेनी है.
  • इसके बाद, आपको अपने खेत को समतल कर लेना है. खेत को इस तरह से तैयार कर लेना है ताकि उसमे बरसात का पानी न रूके.
  • अगर आप इसमें अमरुद की पौध लगाने चाहते है तो गड्ढे खोदकर लगा दे. इसके लिए पूरा प्रोसीजर पढ़े. अगर आपके पास पौध नही है तो अच्छा बीज रोपाई करे.
  • गहरी जुताई के बाद आपको पौधे की रुपाई के लिए आपको 60 सेंटीमीटर लंबी और 60 सेंटीमीटर गहरे गड्डे को तैयार कर लेना है.
  • फिर आपको इसमें 20 से 25 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद, 250 ग्राम सुपर फास्फेट तथा 40 ग्राम मिथाईल पैराथियोन पाउडर को ऊपरी मिट्टी में मिलाकर गड्ढे को भर देना है. मिट्टी सतह से 15 सेंटीमीटर ऊपर तक गड्ढे को भरे.
  • अब आपको इसमें थोड़ा पानी डाल देना है.
  • इसके बाद, आपको गड्ढे में पौधे लगाकर चारो तरफ से अच्छी तरह दबाकर फिर हल्की सिंचाई कर देनी है.
  • पौधे की रोपाई के बाद भी इसे समय- समय पर खाद की जरूरत होती है. इसके लिए हर साल इसकी मात्रा अलग- अलग होती है.

लाल अमरूद की खेती

बता दे कि लाल अमरूद की खेती (Lal Amrud Ki Kheti) खासकर गर्म तथा उमस जलवायु क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है. लाल अमरूद को गहरी, रेतीली और अच्छी निकली विषाणुमय मिट्टी में लगाना अच्छा होता है. लाल अमरूद के पौधे को उचित धारा और सूर्य प्रकाश के लिए अच्छी आपूर्ति की आवश्यकता होती है. लाल अमरूद के पेड़ को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 3 से 4 वर्ष का समय लगता है. अगर आप बाग़ में लाल अमरुद की खेती करना चाहते तो इसके बीज खेत में लगा दे बाकि का प्रोसीजर वही रहेगा.

जैविक अमरूद की खेती

यदि आप अमरूद की खेती से अच्छी पैदावार तथा अच्छा मुनाफा चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती जैविक तरीके से करना चाहिए. जैविक अमरूद की खेती में आपको रासायनिक दवाई, रासायनिक खाद का उपयोग नही करना है तथा जैविक बीजों का ही चयन करना चाहिए जोकि प्रमाणित हो. जैविक खेती में आपको रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद या कम्पोस्ट खाद का उपयोग करना चाहिए. अगर इसका प्रबंध नही होता तो आप केछुआ खाद या सड़ी गोबर के खाद का भी इस्तेमाल कर सकते है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जैविक अमरूद की खेती की विधि देसी अमरूद की खेती की तरह ही होती है. खेती के लिए ऊपर का प्रोसीजर पढ़े.

अमरूद की खेती के फायदे

अगर आपने अमरूद की खेती करने का मन बना लिया है तो आपको पता ही होगा कि इसके कई फायदे होते है. जिसमे प्रमुख की जानकारी नीचे विस्तार से दी गई है:

  • अमरूद की खेती अनुकूल जलवायु तथा भूमि उपयुक्त जगहों पर आसानी से की जा सकती है.
  • अमरूद में Vitamin C, Vitamin A, Vitamin B, फाइबर, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम जैसे कई आवश्यक पोषण तत्व पाए जाते है.
  • भारतीय बाजारों में अमरूद की मांग बहुत ज्यादा है जिसके कारण आपको अमरूद का भाव अच्छा मिल जाएगा.
  • अमरूद की खेती एक लाभकारी व्यवसायिक विकल्प हो सकती है.
  • अमरूद हमारे शरीर के लिए लाभदायक होते है. डॉक्टर भी कई बीमारियों में अमरुद खाने की सलाह देते है.

अमरूद की खेती कब करें?

अमरूद की खेती के लिए सबसे अनुकूल समय बसंत और ग्रीष्म ऋतु होती है. आमतौर पर अमरूद की खेती मार्च से अप्रैल माह के मध्य की जाती है जब गर्मी शुरू होने लगती है. यदि आपको इसकी बुवाई की जानकारी नही है तो फिर आपको कृषि विशेषज्ञों या फिर कृषि विभाग से सलाह लेनी चाहिए.

हाइब्रिड अमरूद की खेती- Amrud Ki Kheti

हमारे भारत देश में हाइब्रिड अमरूद की खेती भी होती है जोकि क्षेत्र के अनुसार विभिन्न हो सकती है. भारत में उगाई जाने वाली हाइब्रिड अमरूद की किस्म निम्न है जैसे कि- अर्का अमूल्य, इलाहाबाद सफेद, अर्का किरण, अर्का मृदुला, अर्का रश्मि, इलाहाबाद सुरखा आदि हाइब्रिड अमरूद की किस्मे है. इन किस्मो से किसान अच्छा मुनाफा निकल सकते है.

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अमरूद की खेती से कमाई

अब समझते है कि अमरूद की खेती (Amrud Ki Kheti) कर आप कितनी कमाई कर सकते है. लगभग 500 से 5000 पौधे प्रति हेक्टेयर पर 30 से 50 टन अमरुद का उत्पादन किया जा सकता है. वैसे अमरूद की खेती से लाभ/ कमाई का अनुमान अमरूद के प्रकार पर भी निर्भर करता है क्योंकि हर किस्म के अमरूद की कीमत बाजार में अलग- अलग होती है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

भारत में सबसे ज्यादा अमरूद कहा होता है?

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा अमरूद का उत्पादन होता है. उत्तर प्रदेश में लगभग 21.8% अमरूद का उत्पादन होता है. मध्य प्रदेश अमरूद उत्पादन में दूसरे नंबर पर है यहां 17.20% अमरूद का उत्पादन होता है.

अमरूद साल में कितनी बार फल देता है?

अमरूद साल में 3 बार फूल और फल देता है. पेड़ जितना पुराना होगा उतना अधिक फल प्राप्त होगा.

भारत में सबसे अच्छा अमरूद कौनसा है?

हमारे भारत देश में सबसे अच्छा अमरूद इलाहाबाद सफेद है. इसकी पैदावार भी काफी अच्छी देखने को मिलती है.

1 एकड़ में अमरूद के कितने पौधे लगेंगे?

एक एकड़ में लगभग 132 पौधे लग सकते है. समान दूरी पर पौधे लगाने चाहिए. इससे आपको खरपतवार करने में आसानी होगी.

अमरूद का पौधा कितने साल बाद फल देता है?

पौधे लगाने के 2 से 3 वर्ष के बाद अमरूद का पौधा फल देने लगता है. जानकारी के अनुसार, 5 वर्ष के एक पौधे में ओसत 30 से 40 किलोग्राम तथा 10 वर्ष पुराने पौधे में लगभग 70 से 80 किलोग्राम फल लगते है.

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