Angur Ki Kheti: अंगूर की खेती कैसे करे? प्रति हेक्टेयर होगा 8 लाख का मुनाफा

Angur Ki Kheti | भारत में व्यवसायिक रूप से अंगूर की खेती पिछले 6 दशकों से की जा रही है. महाराष्ट्र में अंगूर का सबसे ज्यादा उत्पादन किया जाता है. किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें बागवानी को काफी प्रोत्साहित कर रही है. इसी तरह, किसान भी अब बागवानी फसलो के लाभ को देखते हुए इन्हें प्राथमिकता देने लगे है. खेती के लिए अंगूर एक ऐसा विकल्प है जिससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है क्योकि इसकी फसल किसानों को कम समय में अधिक मुनाफा कमाने का अवसर देती है.

Angur Ki Kheti
Angur Ki Kheti

अंगूर की खेती भी मुनाफे वाली खेती में से एक है. यदि आप भी इसकी खेती करना चाहते है तो फिर आपके लिए यह लेख बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि इस लेख में हम आपको अंगूर की खेती से जुडी विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे. जैसे कि अंगूर की खेती के लिए उत्तम जलवायु? अंगूर की खेती कैसे करे? अंगूर की खेती कहां होती है? अंगूर की खेती कैसे करे? अंगूर की खेती में सिंचाई? अंगूर खाने के लाभ? Angur Ki Kheti आदि की पूरी जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी.

अंगूर की खेती की जानकारी

बता दे अंगूर वाइटिस वंश के अंर्तगत आता है इसकी खेती को “विटीकल्चर” कहते है. अंगूर एक बलवर्द्धक एंव सौंदर्यवर्धक फल है इसीलिए फलों में अंगूर को सर्वोत्तम माना जाता है. बता दे बेलों पर अंगूर बड़े- बड़े गुच्छों में उगता है. अंगूर के फलों की अच्छी पैदावार के लिए इसे ककरीली और रेतीली चिकनी मिट्टी में उगाना चाहिए. ध्यान रखे कि मिट्टी का पी.एच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.

अंगूर को प्रति वर्ष लगभग 600 से 1000 मि.मी वर्षा की आवश्यकता होती है. अधिक वर्षा इस खेती के लिए अच्छी नही है क्योंकि अधिक वर्षा अंगूरों को सड़ने का कारण बन सकती है, जबकि बहुत कम वर्षा अंगूर को झुर्रीदार बना सकती है. इसलिए अंगूर की खेती में बारिश का संतुलन जरुरी है.

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अंगूर की खेती के लिए उत्तम जलवायु

भारत में अंगूर के फलों को अच्छे से विकास के लिए लगभग 37 से 38 डिग्री सेल्सियस की आवश्यकता होती है तथा इसकी खेती के लिए गर्म, शुष्क जलवायु अनुकूल रहती है. इसकी खेती के लिए बहुत अधिक तापमान हानि पहुंचा सकता है. इसके अलावा, अधिक तापमान के साथ अधिक आद्रता होने से रोग भी लग जाते है. भारत में अंगूर की खेती (Angur Ki Kheti) अनूठी है क्योंकि यह उष्ण, शीतोष्ण सभी प्रकार की जलवायु में पैदा किया जा सकता है.

अंगूर की खेती का समय

बता दे अंगूर का पौधा दिसंबर से लेकर जनवरी महीने के बीच में लगाना चाहिए. इसके लिए सबसे पहले खेत की तैयारी, किस्म का चुनाव करना होगा. कलम लगाने के बाद उचित सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन करके इसकी खेती आसानी से कर सकते है. साथ ही, आप अंगूर की बागवानी जुलाई से अगस्त माह के बीच भी कर सकते है.

अंगूर की खेती वाले राज्य

बागवानी फसलों में अंगूर की खेती (Angur Ki Kheti) का एक प्रमुख स्थान है. भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में की जाती है. वैसे, महाराष्ट्र का नासिक जिला देश का लगभग 81 फीसदी अंगूर का उत्पादन करता है.

अंगूर की खेती की किस्मे

भारत में अंगूर की खेती से अधिक पैदावार लेने के लिए अच्छी प्रजातियों के बारे में जानना बहुत जरूरी है. अंगूर की उन्नत खेती की बात करे तो, इसके लिए कुछ किस्मों के बारे में नीचे जानकारी दी गई है:

  • अरका नील मणि
  • अनब ए शाही
  • बंगलौर ब्लू
  • भोकरी
  • गुलाबी
  • काली शाहबी
  • पारलेटी
  • शरद सीडलेस

अंगूर की खेती का वैज्ञानिक नाम

बता दे अंगूर की खेती का वैज्ञानिक नाम “विटिस विनिफेरा” है जो की ओल्ड वर्ल्ड ग्रेपवाइन के रूप में जाना जाता है. यह एक शाखादार बेलफ्रूट पौधा है जो दक्षिण यूरोप से थ्रेस्डी तक के क्षेत्र में की जाती है. अंगूर की खेती विशेष रूप से दाखली क्षेत्रों में की जाती है और यह विभिन्न प्रकार के रसीले फलों के लिए जाना जाता है.

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अंगूर की खेती कैसे करे?

भारत में अंगूर की खेती (Angur Ki Kheti) से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए आपको सही विधि से खेती करनी चाहिए. यदि आप सही तरीके से इसकी खेती नही करते है तो फिर आपको इसका प्रभाव पैदावार में दिखाई देगा. सही विधि से अंगूर की खेती करने के लिए नीचे कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स बताये गये है जो अंगूर की खेती में महत्वपूर्ण होते है:

  • इसकी खेती करने के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लेना है.
  • इसके लिए खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर ले. फिर कुछ दिनों के लिए खेत को खुला छोड़ दे.
  • खेत को खुला छोड़ने से खेत की मिट्टी में अच्छी तरह से धूप लग जाएगी.
  • इसके बाद, फिर रोटावेटर लगा कर 2 बार तिरछी जुताई करे. इससे खेत की मिट्टी भुर- भुरी हो जाएगी.
  • फिर आपको पाटा लगा कर फिर से जुताई कर देनी है. ऐसा करने पर आपका खेत समतल हो जाएगा और जलभराव जैसी समस्या का सामना नही करना पड़ेगा.
  • इसके कुछ ही दिनों बाद, 15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को प्राकृतिक खाद के रूप में छिड़कना चाहिए.
  • इसके बाद, एक बार पुनः जुताई करे. इससे खाद और मिट्टी का मिश्रण अच्छे से हो जाएगा.
  • इसके बाद, आपको खेत में गड्डे तैयार कर लेने है. गड्डे की दूरी आप अपने अनुसार भी रख सकते है.
  • गड्डे तैयार करते समय उसमे उर्वरक की सही मात्रा दे.
  • जब गड्डे पूरी तरह से तैयार हो जाए तब आपको अंगूर की कलमों को खेत में लगा देना है. ध्यान रखे, कलम 1 वर्ष पुरानी होनी चाहिए.
  • बेल को खेत में लगाने के तुरंत बाद इसकी सिंचाई कर दे.
  • इसके बाद समय- समय पर सिंचाई पर ध्यान देवे.

हरे अंगूर की खेती

भारत में हरे अंगूर की खेती एक लाभकारी किस्म की खेती है. इसकी खेती लगभग सभी तरह की जलवायु में संभव है. परंतु, गर्मियों में यह ज्यादा अच्छे परिणाम देती है. खेत की मिट्टी का सही पीएच मान और पौधों की सही देखभाल करके आप अच्छी पैदावार ले सकते है. बीजों से लेकर सिंचाई, रोग प्रबंधन और कटाई तक सभी प्रक्रिया महत्वपूर्ण होती है.

काले अंगूर की खेती

बता दे काले अंगूर की खेती (Kale Angur Ki Kheti) भी व्यापारिक रूप से काफी बढ़िया है. यह खेती भारत तथा अन्य कई देशों में भी की जाती है. काले अंगूर के पौधे को उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और जमीन की आवश्यकताओं के अनुसार बोना चाहिए. इससे सही देखभाल और प्रबंधन के साथ- साथ आप अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है. कटाई का समय भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि सही समय पर कटाई करने से उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार होता है.

अंगूर की खेती में सिंचाई

भारत में अंगूर की खेती में कम सिंचाई की जरूरत पड़ती है. इसके लिए आप 1 वर्ष से कम उम्र के पौधों की नियमित सिंचाई करते रहे तथा 2 वर्ष तक के पौधों को ठंड में 30 दिन के अंतराल पर तथा गर्मी में 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहे. हमेशा ध्यान रहे कि अंगूर की खेती में ज्यादा सिंचाई न करे.

अंगूर की खेती में खाद

बता दे अंगूर की खेती से पर्याप्त मात्रा में पैदावार लेने के लिए खाद एंव उर्वरक पर ध्यान देना बहुत जरूरी है. छटाई करने के बाद, जनवरी महीने के अंत में नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश को उर्वरक के रूप में जरूर डाले. यदि अंगूर की बेल 5 साल की है तो आपको 500 ग्राम तक नाइट्रोजन व 600 से 700 ग्राम पोटाश, 650 ग्राम पोटेशियम सल्फेट के साथ ही 60 किलोग्राम तक पशुओं की सड़ी हुई खाद देनी चाहिए.

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अंगूर की खेती से लाभ

अंगूर की खेती से आपको कई तरह के लाभ हो सकते है जिसकी जानकारी निचे दी गई है:

  • इन दिनों बाजार में अंगूर की मांग काफी बढ़ रही है और जिससे आप अच्छा मूल्य प्राप्त कर सकते है. इससे आपको आर्थिक लाभ होगा.
  • अंगूर एक पौष्टिक फल है जो विटामिन, मिनरल्स, एंटीऑक्साइड आदि से भरपूर होता है. यदि आप अंगूर को नियमित रूप से सेवन करते है तो स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचता है.

अंगूर की खेती में लागत व मुनाफा

भारत में अंगूर की खेती (Angur Ki Kheti) में लागत कई चीजो पर निर्भर करती है जैसे कि अंगूर के कलम का लागत, खाद, दवाई और इसके तैयार होने तक विभिन्न प्रकार के खर्चे. यदि हम अंगूर की उपज की बात करे तो भारत में अंगूर की औसतन पैदावार 30 टन/ प्रति हेक्टेयर की दर से होता है जोकि विश्व में सबसे अधिक है.

कमाई के मामले में यह निर्भर करता है कि उन दिनों अंगूर का भाव क्या है? वर्तमान समय के अनुसार देखा जाए तो बाजार में अंगूर का भाव कम से कम 50 रुपए/ प्रति किलोग्राम चल रहा है. इस तरह से इसके उत्पादन से लगभग 10 से 12 लाख रुपए कुल आमदानी होती है. इसमें से यदि हम 4 लाख रुपए का खर्च भी माने तो, शुद्ध लाभ लगभग 8 लाख रुपए का बैठता है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

भारत में अंगूर के लिए कौन सा शहर प्रसिद्ध है?

भारत में अंगूर के लिए सबसे प्रसिद्ध शहर नासिक (महाराष्ट्र) है. इसे “भारत की अंगूर राजधानी” के नाम से भी जाना जाता है.

सबसे अच्छा अंगूर कौन सा होता है?

काले अंगूर और हरे अंगूर सबसे अच्छा है. यह दोनो हमारे स्वस्थ के लिए फायदेमंद होते है.

सबसे महंगे अंगूर कौन से है?

रूबी रोमन अंगूर सबसे महंगा अंगूर है. पहली बार अंगूर की इस किस्म को 2008 में बाजार में बेचने के मकसद से पेश किया गया था.

1 एकड़ में कितना अंगूर पैदा होता है?

1 एकड़ में लगभग 12 से 14 क्विंटल अंगूर पैदा होता है. वैसे, भारत में अंगूर की औसतन पैदावार 30 टन/ प्रति हेक्टेयर की दर से होता है.

अंगूर का पेड़ कितने दिन में फल देता है?

यदि आप कलम से अंगूर का पौधा लगाते है तो लगभग 3 साल के बाद अंगूर की बेल में फल लगने शुरू हो जाते है.

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