Mosambi Ki Kheti: मौसंबी की खेती कैसे करे? यहाँ समझे लागत व मुनाफे का पूरा झोल

Mosambi Ki Kheti | अगर आप एक प्रगतिशील किसान है और खेती में कुछ नया करना चाहते है तो इस बार आपको मौसंबी की खेती करनी चाहिए. बता दे, मौसमी और मौसंबी एक ही फल है जो नींबू जाति से संबंध रखता है. वैसे, मौसंबी नींबू से कई गुना लाभदायक है. मौसंबी फल नारंगी के बराबर आकार का ही होता है. मौसमी की खेती से किसान को कम लागत में अधिक फायदा होता है क्योंकि बाजार में मौसंबी के भाव अन्य फलों की अपेक्षा में काफी ज्यादा होता है.

Mosambi Ki Kheti
Mosambi Ki Kheti

यदि आप मौसंबी की खेती करना चाहते है तो इस लेख को पूरा पढ़े क्योंकि इस लेख में हम आपको इसकी खेती से जुडी विस्तार सहित जानकारी देने वाले है. इस लेख में हम मौसंबी की खेती? मौसंबी की खेती वाले राज्य? मौसंबी की वैज्ञानिक खेती? मौसंबी की उन्नत किस्में? मौसंबी की खेती कैसे करे? मौसंबी की खेती में लागत और मुनाफा? Mosambi Ki Kheti आदि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे.

मौसंबी की खेती की जानकारी

मौसंबी एक फल है जो आमतौर पर गर्मियों में पाया जाता है. यह फल उच्च विटामिन सी, फाइबर और अन्य पोषण तत्वों से भरपूर होता है. इसकी खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन और सही खाद्य समाग्री का प्रयोग करना जरुरी है. सही जल संरचना, समय पर सिंचाई और उचित प्रबंधन से इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है. मौसमी की खेती में उचित देखभाल और प्रबंधन से खेती करके अच्छी पैदावार भी हासिल कर सकते है.

मौसंबी की खेती के लिए सामान्य बनावट वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. इसकी खेती के लिए आपको सबसे पहले खेत की मिट्टी की जांच करवा लेनी है. ध्यान रहे कि आपके खेत की मिट्टी का पी.एच मान 6 से 7 के बीच में ही होना चाहिए.

यह भी पढ़े : स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करे

मौसंबी की खेती का समय

हमारे भारत देश में मौसंबी के पौधों की रोपाई के लिए जून और अगस्त का महीना उचित माना जाता है क्योंकि यह मानसून का समय होता है. इसी कारण, बारिश के मौसम में इसके पौधे अच्छे से विकास करते है. यदि आप अच्छी देख-रेख करते है तो पौधे रोपाई के लगभग 4 साल बाद, मौसंबी का पौधा उत्पादन के लिए तैयार हो जाता है.

मौसंबी की खेती करने वाले राज्य 

भारत में सबसे अधिक मौसंबी की खेती राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों में होती है. वैसे, भारत में सबसे ज्यादा मौसंबी की खेती (Mosambi Ki Kheti) महाराष्ट्र में की जाती है.

मौसंबी की खेती के लिए जलवायु

बता दे, मौसंबी की खेती करने के लिए गर्मी और सर्दी दोनों ही मौसम उपयुक्त माने जाते है तथा दोनो ही जलवायु इसकी खेती के लिए अनुकूल है. यदि आप नम और बारिश वाले क्षेत्रों में इसकी खेती करते है तो, पौधों में रोग और कीट लगने का खतरा ज्यादा होता है.

मौसंबी की उन्नत खेती

भारतीय बाजारों में मौसंबी की कई उन्नत किस्में मौजूद है. व्यापक दृष्टि से मौसंबी की बागवानी हेतु उन्नतशील किस्मों को अधिक उगाया जाता है. इसकी विस्तारपूर्वक जानकारी नीचे दी गई है, जो कुछ इस प्रकार है:

  • न्यूसेलर
  • वॉशिंगटन नॅव्हेल
  • सतगुड़ी
  • जाफा
  • कॅलेन्शीया
  • काटोलगोल्ड

यह भी पढ़े : ड्रैगन फ्रूट की खेती कैसे करे

मौसंबी की खेती कैसे करें?

यदि आप मौसंबी की खेती (Mosambi Ki Kheti) से अच्छी कमाई और उत्पादन प्राप्त करना चाहते है तो, आपको इसकी खेती सही विधि से करनी होगा. निचे दिए गए स्टेप से आप मौसमी की खेती आसानी से कर सकते हो:

  • मौसंबी की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले इसके पौधे तैयार कर लेने है.
  • आप चाहे तो नर्सरी में भी इसके पौधे तैयार कर सकते है या फिर पौधे खरीद कर भी लगा सकते है.
  • इसके बाद, आपको खेत अच्छे से तैयार कर लेना है.
  • इसके लिए आप सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई कर ले.
  • खेत की अच्छी तरह से जुताई करने पर मौजूद पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाते है.
  • गहरी जुताई के बाद, खेत में पुरानी गोबर की खाद को डालकर, रोटावेटर से एक बार पुनः जुताई कर ले. फिर, मिट्टी को समतल कर ले ताकि जलभराव की समस्या न हो.
  • इसके बाद, पौधों की रोपाई के लिए गड्डे तैयार कर ले.
  • खेत में तैयार किए गए गड्डे के बीच कम से 7 से 8 फिट की दूरी अवश्य रखे.
  • गड्डे का आकार लगभग 60 सेंटीमीटर चौड़ा और 70 सेंटीमीटर गहरा होना चाहिए.
  • पौधे रोपाई के तुरंत बाद ही आपको पहली सिंचाई कर देनी है.
  • इसके बाद, आपको समय- समय पर खाद, खरपतवार और सिंचाई करनी होगी. इसकी खेती में देखभाल की आवश्यकता ज्यादा होती है.

मौसंबी की वैज्ञानिक खेती

बता दे, मौसंबी की वैज्ञानिक खेती में विशेषज्ञता और विश्वसनीय तकनीकी का उपयोग करके उत्कृष्ट उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई तरीके अपनाए जाते है. इसमें उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन, उपयुक्त खाद्य सामग्री का सही समय पर प्रदान करना और सुरक्षित पेस्टिसाइड्स का प्रयोग शामिल है.

इसकी वैज्ञानिक खेती में किसान को नवीनतम खेती तकनीकों के साथ अवगत कराना और समस्याओं का समाधान निकालने में मदद करना भी शामिल है. इस प्रकार, मौसंबी की वैज्ञानिक खेती न केवल उत्कृष्ट उत्पादन में सहायक है बल्कि यह पर्यावरण और समृद्धि के साथ- साथ सभी किसान भाईयो की आर्थिक स्थति को भी सुधारेगी.

मौसंबी की जैविक खेती

हमारे देश में मौसंबी की जैविक खेती एक प्राकृतिक और सुस्त आधारित प्रक्रिया है जो उत्तर भारतीय राज्यों में विकसित हो रही है. इसमें उर्वरक का उपयोग नही होता है और बीजों की बुवाई, पौधे की देखभाल में प्राकृतिक तत्वों का ही उपयोग किया जाता है.

मौसंबी की जैविक खेती में कैमिकल उर्वरकों के अधिक उपयोग की बजाय कच्चे कंपोस्ट, जैविक उर्वरक का ही उपयोग किया जाता है. क्या आपको पता है कि मौसंबी की जैविक खेती से उपज में वृद्धि होती है और इससे पृथ्वी को किसी तरह से नुकसान भी नही पहुंचता है, इसलिए मौसंबी की जैविक खेती सबसे बेस्ट खेती है.

मौसंबी की खेती में सिंचाई

यदि आप मौसंबी की खेती (Mosambi Ki Kheti) करते है तो, इसकी खेती में आपको नियमित सिंचाई करनी चाहिए तथा इसकी खेती में ड्रिप सिंचाई का भी उपयोग करना चाहिए. गर्मी के मौसम में आपको 5 से 7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई कर देनी है तथा सर्दियों के मौसम 10 से 15 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए. वहीं, बारिश के समय आपको इसमें सिंचाई की आवश्यकता नही होती.

मौसंबी की खेती में खाद

बता दे, मौसंबी की खेती से अच्छी उपज लेने के लिए नियमित खाद एव उर्वरक देना चाहिए ताकि पौधे का पोषण अच्छी तरह से हो तथा अच्छी गुणवत्ता के फल प्राप्त हो. मौसंबी के प्रति पौधों को पहले वर्ष 10 किलोग्राम गोबर खाद, 1 किलोग्राम नीम खाद, नाइट्रोजन 100 ग्राम, फास्फोरस 150 ग्राम, पोटाश 150 ग्राम देना चाहिए.

जब पौधा 5 वर्ष तक का हो जाए तो, फिर आपको प्रति पौधे को 30 किलोग्राम गोबर खाद खाद, 5 किलोग्राम नीम खाद, नाइट्रोजन 800 ग्राम, फास्फोरस 300 ग्राम, पोटाश 600 ग्राम की निर्धारित मात्रा वर्ष में तीन बार देनी चाहिए.

मौसंबी की खेती से लाभ

बता दे, मौसमी की खेती से आपको कई तरह के लाभ हो सकते है. इनमे से मिलने वाले कुछ प्रमुख लाभों की जानकारी नीचे दी गई है:

  • मौसंबी की मांग विश्वभर में बढ़ रही है और इससे किसानों को अच्छी कीमत मिल सकती है जो उनकी आर्थिक स्थिति को सुधार सकती है.
  • मौसंबी फल उच्च विटामिन सी, फाइबर और अन्य पोषण तत्वों से भरपूर होता है, इसलिए यह हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होता है.
  • अगर आप मौसंबी की खेती करते है तो, इससे आस-पास के क्षेत्र में स्थिति छोटे श्रमिक लोगो को रोजगार का अवसर मिलेगा क्योंकि इसकी खेती में किसान को खेत में खरपतवार निकालने, खाद डालने तथा फल की तुड़ाई के समय मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है.

यह भी पढ़े : संतरा की खेती कैसे करे

मौसंबी की खेती में लागत व मुनाफा

बता दे, मौसंबी की खेती (Mosambi Ki Kheti) में कमाई पौधे की देखरेख पर भी निर्भर करती है. जितनी अच्छी पौधों की देखरेख होगी, उतनी अधिक ही उपज प्राप्त होगी. वैसे, मौसंबी के 4 वर्ष के एक पौधे से लगभग 30 से 45 किलोग्राम फल मिल जाता है और 1 हेक्टेयर खेत में आप लगभग 200 से 250 पौधे लगा सकते है. पौधों की संख्या आपके पौधों की दूरी पर भी निर्भर करती है.

1 हेक्टेयर के खेत में लगभग 30 से 40 हज़ार रूपए तक की लागत आ जाती है. अगर कमाई की बात करे तो, भारतीय बाजारों में मौसमी 50 से 70 रुपए प्रति किलोग्राम बिकती है. यानी मौसंबी की खेती से किसान भाई लगभग 3 से 5 लाख रुपए/ प्रति हेक्टेयर आसानी से कमा सकते है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

क्या हम मौसंबी को घर पर उगा सकते है?

जी हां, आप मौसंबी के पौधे को घर पर भी उगा सकते है. इसके लिए आपको विशेष देख-रेख करनी होगी, जैसे कि समय पर पानी देना, खाद देना और पौधे तक उचित मात्रा में सूर्य प्रकाश पहुंचाना.

मौसंबी के क्या फायदे है?

यदि आप नियमित मौसंबी का सेवन करते है तो, यह आपके शरीर के लिए लाभदायक है. इसे खाने से इम्यूनिटी बढ़ती है जिससे बीमारियों को दूर रखने में मदद मिलती है.

मौसंबी का पौधा कितने साल में फल देता है?

बता दे, मौसंबी के पौधे रोपाई के लगभग 4 से 5 वर्ष बाद ही फल देना शुरू कर देता है.

मौसंबी के पेड़ के लिए कौनसा उर्वरक सबसे अच्छा है?

मौसंबी के पेड़ के लिए गोबर, पोटाश और फास्फोरस जैसी गोबर की खाद उचित मात्रा में डालनी चाहिए. इससे मौसंबी के पौधे जल्दी ग्रोथ होते है.

मौसंबी का पेड़ कितनी दूरी पर लगाना चाहिए?

यदि आप इसकी खेती कर रहे है तो, आपको इसमें पौधे से पौधे की दूरी पर विशेष ध्यान देना है. पौधे से पौधे की दूरी लगभग 8 से 10 फिट तक की होनी चाहिए.

Leave a Comment