Nashpati Ki Kheti: नाशपाती की खेती कैसे करे? प्रति एकड़ होगा 8 लाख तक मुनाफा

Nashpati Ki Kheti | प्रिय किसान भाईयों नाशपाती की खेती एक व्यवसायिक खेती है. बता दे इसकी खेती किसानों को कम समय में अधिक मुनाफा कमाने का अवसर देती है. वैसे, नाशपाती एक यूरोपीय फल है जिसकी उत्पत्ति यूरोपीय देशों से हुई थी. दुनियाभर में नाशपाती की कुल 3000 से अधिक किस्में है, जिनमें से भारत नाशपाती की 20 से अधिक किस्मों का उत्पादन करता है. नाशपाती की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार विभिन्न राज्यों में अलग- अलग योजनाएं तथा सब्सिडी का लाभ किसान भाईयों को दे रही है.

Nashpati Ki Kheti
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अगर आप भी नाशपाती की खेती करना चाहते है तो इस लेख को पूरा पढ़े क्योंकि इस लेख में हम आपको इसकी खेती से जुडी पूरी जानकारी देने वाले है. जैसे कि- नाशपाती की खेती कैसे करे? नाशपाती की खेती वाले राज्य? नाशपाती की उन्नत किस्म? नाशपाती की वैज्ञानिक खेती? नाशपाती की खेती के लाभ? नाशपाती की जैविक खेती? नाशपाती की खेती में लागत व कमाई? Nashpati Ki Kheti आदि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी आपको इस पोस्ट में मिलेगी.

नाशपाती की खेती की जानकारी

बता दे नाशपाती एक मौसमी फल है जिसका वैज्ञानिक नाम “पायरस” है. इसे अंग्रेजी में “Pear” कहते है. समशीतोष्ण क्षेत्रों में सेब के बाद नाशपाती सबसे जरुरी फल फसलों में से एक है. इसकी व्यापक जलवायु और मिट्टी की अनुकूलता के कारण नाशपाती को समशीतोष्ण और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में बड़ी आसानी से उगाया जा सकता है.

नाशपाती की खेती के लिए गहरी मिट्टी और मध्यम बनावट वाली बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. ध्यान रखे कि मिट्टी का पी.एच मान 6 से 7 के बीच ही होना चाहिए. वैसे, किसानों को नाशपाती की खेती करने से पहले अपने खेत की मिट्टी की जांच जरूर करवानी चाहिए.

नाशपाती की खेती का समय

भारत में नाशपाती की बुवाई जनवरी महीने तक कर लेनी चाहिए. लगभग 1 साल का पौधा रोपण के लिए उपयुक्त माना जाता है. ध्यान रहे कि रोपण के समय पौधे से पौधे की दूरी कम से कम 8*5 मीटर की होनी चाहिए. साथ ही, खेत में उपयुक्त जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए.

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नाशपाती की खेती वाले राज्य

बता दे नाशपाती की खेती (Nashpati Ki Kheti) के लिए ऊंचाई वाले क्षेत्र उपयुक्त माने जाते है. नाशपाती का उत्पादन भारत में लगभग सभी राज्यों में किया जा सकता है परंतु देश के केवल 4 राज्य अकेले 90 फीसदी नाशपाती का उत्पादन करते है. नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, वह 4 राज्य जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश है.

नाशपाती उत्पादन के मामले में जम्मू-कश्मीर सबसे आगे है. वही, दूसरे नंबर पर पंजाब है जहां कुल 28 फीसदी नाशपाती का उत्पादन किया जाता है. फिर, उत्तराखण्ड है जहां 26 फीसदी नाशपाती का उत्पादन किया जाता है. इसके बाद, हिमाचल प्रदेश है जहां 7.44 फीसदी नाशपाती का उत्पादन होता है. इसके अलावा भी, कई अन्य राज्य और भी है जहां बचे हुए 10 फीसदी नाशपाती का उत्पादन किया जाता है.

नाशपाती की खेती के लिए जलवायु

भारत में नाशपाती की बागवानी के लिए जलवायु की बात करे तो मैदानी भूमि के लिए आर्द्र और उपोष्ण तथा ऊंचाई वाले स्थानों के लिए शुष्क और शीतोष्ण जलवायु होने पर खेती आसानी से की जा सकती है. नाशपाती की खेती (Nashpati Ki Kheti) के लिए 10 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना जाता है. साथ ही, नाशपाती की खेती के लिए 50 से 75 मिमी वर्षा होनी जरूरी है.

नाशपाती की वैज्ञानिक खेती

भारत में नाशपाती की वैज्ञानिक खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण तरीके होते है, जैसे कि उचित बीज और मिट्टी का चयन, समय पर पानी और कीट प्रबंधन, उपयुक्त खादों का प्रयोग. नाशपाती के पौधों को मजबूत बनाने के लिए आवश्यकता अनुसार खाद देना भी जरुरी होता है.

नाशपाती की उन्नत किस्म

भारत देश में नाशपाती की विभिन्न प्रकार की उन्नत किस्मों की खेती की जाती है. किसानों को अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार ही नाशपाती की किस्मों का चयन करना चाहिए ताकि अच्छा उत्पादन मिले. कुछ प्रमुख किस्मो की जानकारी निचे दी गयी है:

  • नाशपाती की अगेती किस्में: लेक्सटन सुपर्ब, थम्ब पियर, शिनसुई, कोसुई, सिनसेकी और अर्ली चाईना आदि प्रमुख नाशपाती की अगेती किस्म है.
  • नाशपाती की पछेती किस्में: कश्मीरी नाशपाती और डायने डयूकोमिस आदि प्रमुख पछेती किस्में है.

नाशपाती की खेती कैसे करे?

अगर आप नाशपाती की खेती (Nashpati Ki Kheti) से अच्छा उत्पादन चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती सही विधि से करनी चाहिए. सही विधि से नाशपाती फल की खेती करने के लिए नीचे दी गई बातो को ध्यान में रखे:

  • नाशपाती की खेती के लिए सबसे पहले आपको खेत तैयार कर लेना है.
  • इसके लिए खेत में अच्छे से एक से दो बार गहरी जुताई करवाए. फिर आपको खेत में रोटावेटर चला देना है, इससे खेत की मिट्टी भुरभूरी हो जाएगी.
  • इसके बाद, आपको पाटा की मदद से खेत को समतल कर देना है ताकि जलभराव जैसी समस्या का सामना न करना पड़े.
  • फिर, पौधे की रोपाई के लिए गड्डे तैयार कर लेने है. गड्डे की दूरी आप अपने अनुसार भी रख सकते है. वैसे, कम से कम 8*5 मीटर दुरी रखना उत्तम है.
  • गड्डे तैयार करते समय उसमे उर्वरक की सही मात्रा छिड़क दे.
  • जब गड्डे पूरी तरह से तैयार हो जाए तब आपको नाशपाती के पौधों की रोपाई करनी है. आप नाशपाती की कलमों को भी यहाँ लगा सकते है.
  • इसके बाद, आपको एक हल्की सिंचाई कर देनी है.
  • फिर, समय- समय पर सिंचाई पर ध्यान देवे.

नाशपाती की खेती जैविक खेती

बता दे नाशपाती की जैविक खेती एक सुरक्षित खेती तकनीक है जिसमे केवल प्राकृतिक तत्वों का ही उपयोग किया जाता है. इसमें केमिकल तथा कीटनाशकों का उपयोग बिलकुल भी नही किया जाता है. यह विकासशील कृषि पद्धति है. इसमें मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए जैविक कंपोस्ट, बायोफर्टिलाइजर और प्राकृतिक जीवामृत का ही उपयोग किया जाता है.

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नाशपाती की खेती के लाभ

भारत में नाशपाती की खेती (Nashpati Ki Kheti) से आपको कई तरह के लाभ हो सकते है. इनमे से मिलने वाले कुछ प्रमुख लाभों की जानकारी नीचे दी गई है:

  • नाशपाती की मांग बाजार में अच्छी होती है, जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है. इससे आपको आर्थिक लाभ होगा.
  • नाशपाती में विटामिन्स, खनिज और फाइबर होता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है.
  • नाशपाती में विटामिन सी होता है, जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

नाशपाती की खेती में खाद

बता दे नाशपाती के फल की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए खेत में उपयुक्त मात्रा में खाद देना चाहिए. नाशपाती के फल की अच्छी पैदावार के लिए जैविक खाद के रूप में सड़ी गोबर की खाद या फिर वर्मी कंपोस्ट खाद का प्रयोग करना चाहिए.

3 वर्ष के विकसित नाशपाती के पेड़ में लगभग 10 किलोग्राम गोबर खाद, 200 से 300 ग्राम सिंगल फास्फेट, 200 से 500 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 100 से 300 ग्राम यूरिया की उचित मात्रा मिट्टी में मिला दे और फिर सिंचाई करे.

वाही, 6 वर्ष के विकसित नाशपाती के पेड़ में लगभग 25 से 30 किलोग्राम गोबर खाद, 800 से 1200 ग्राम सिंगल फास्फेट, 600 से 900 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 400 से 600 ग्राम यूरिया एक पेड़ के हिसाब से उचित मात्रा से डाले.

नाशपाती की खेती में सिंचाई

बता दे नाशपाती के बागवानी में जब पौधों का रोपण हो जाए तब जरूरत के हिसाब से समय- समय पर सिंचाई करे. सर्दी के मौसम में 15 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए तथा गर्मी के मौसम में 5 से 7 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए. वही, वर्षा के समय नाशपाती को सिंचाई की आवश्यकता नही होती है.

नाशपाती की खेती में रोग

भारत में नाशपाती की खेती में कुछ प्रमुख रोग लग सकते है, जैसे कि फिटोप्थोरा पैरासिटिका, ब्लैक स्पॉट, फायर ब्लाइट आदि. ये रोग पेड़ो और फल दोनों को प्रभावित करते है. अच्छी खेती और प्रबंधन के माध्यम से इन रोगों का प्रबंधन किया जा सकता है. अधिक जानकारी के लिए आप कृषि स्पेशलिस्ट की सलाह अवश्य लेवे.

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नाशपाती की खेती में लागत व कमाई

बता दे नाशपाती की खेती (Nashpati Ki Kheti) से आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हो. इसकी खेती में करीबन 2 लाख रूपए तक की लागत आती है. अगर लाभ की बात करे तो नाशपाती के प्रति पेड़ से लगभग 4 से 5 क्विंटल फलों की पैदावार होती है और इसकी कई किस्मों का उत्पादन 6 से 7 क्विंटल तक भी पहुच जाता है. यदि आप 1 एकड़ के खेत में नाशपाती के पेड़ लगाते है तो आपको इनसे 300 से 600 क्विंटल नाशपाती का उत्पादन प्राप्त हो सकता है.

नाशपाती की बाजार में कीमत 50 से 60 रुपए/ प्रति किलोग्राम होती है तथा 5 से 6 हजार रुपए/ प्रति क्विंटल की कीमत होती है. इस हिसाब से आप 10 से 12 लाख रुपए/ प्रति एकड़ बड़ी आसानी से कमा सकते है. इसमें से यदि 2 लाख रुपए लागत के हटा भी दे तो आपको 8 लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा मिलता है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

नाशपाती किस प्रकार की मिट्टी में उगाई जाती है?

नाशपाती के लिए गहरी मिट्टी और मध्यम बनावट वाली बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. साथ ही, मिट्टी का पी.एच 6 से 7 के बीच होना चाहिए.

नाशपाती कितने प्रकार का होता है?

नाशपाती 4 प्रकार की होती है जो इस तरह है- पहाड़ी, बागी, जंगली तथा चीनी.

नाशपाती का पेड़ कितना बड़ा होता है?

नाशपाती का पेड़ लगभग 25 से 30 फिट तक का होता है. इसकी कुछ प्रजातियां झाड़ीदार के रूप में भी होती है जिनकी ऊंचाई अधिक नही होती है.

सबसे मीठा नाशपाती कौन सा है?

कॉमिस नाशपाती सबसे मीठी नाशपाती की किस्म के रूप में जाना जाता है. इसकी खेती मूल रूप से फ्रांस में की गई थी.

नाशपाती के पेड़ की उम्र कैसे बता सकते है?

नाशपाती पेड़ की परिधि का उपयोग उसकी आयु का अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है क्योंकि मोटे तौर पर पेड़ की 1 वर्ष में परिधि 2.5 सेंटीमीटर बढती है.

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