Rajma Ki Kheti: राजमा की खेती कैसे करे? कम खर्चे में करे शानदार कमाई

Rajma Ki Kheti | राजमा की खेती रबी और खरीब दोनों मौसम की फसल मानी जाती है. राजमा की फसल भारत देश के उत्तरी मैदानी क्षेत्रों में अधिक उगाई जाती है. बता दे राजमा एक दलहनी फसल है, जिसके दाने अन्य दालों की तुलना में काफी बड़े होते है. वैसे, अगर राजमा की खेती सही समय और तरीके से की जाए तो किसानों को अच्छी उपज मिलती है. इसीलिए किसान भाईयों के लिए राजमा की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि इसकी खेती कम समय में ही तैयार होने के साथ मुनाफा अच्छा दे जाती है.

Rajma Ki Kheti
Rajma Ki Kheti

आज का यह लेख आप सभी किसान भाईयो के लिए ख़ास होने वाला है क्योंकि आज हम आपको राजमा की खेती से संबंधित विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे. इस पोस्ट में आपको, राजमा की खेती कैसे करें? राजमा की खेती का समय? राजमा की खेती करने वाले राज्य? राजमा की खेती के लिए जलवायु? राजमा की खेती में लागत व कमाई? Rajma Ki Kheti आदि की जानकारी मिलेगी.

राजमा की खेती की जानकारी

भारत देश में राजमा की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है जिसे विभिन्न क्षेत्रों में उगाया जाता है. इसकी खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और अच्छी ड्रेनेज वाली भूमि की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, बीमारियों और कीट प्रबंधन के लिए उपयुक्त उपायों का पालन करना भी आवश्यक है. राजमा की अच्छी खेती करने के लिए आपको उन्नत तकनीकों का अध्ययन करके अपनाना भी जरुरी है ताकि अधिक उत्पादन मिल सके.

इसकी खेती किसी भी उपजाऊ तथा उचित जलनिकासी वाली मिट्टी में की जा सकती है. वैसे, राजमा की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. इसकी खेती में भूमि का पी.एच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. राजमा की खेती अच्छी अवशिष्ट नमी वाली मिट्टी को काफी पसंद करती है.

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राजमा की खेती का समय

हमारे देश में राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) रबी और खरीब दोनो मौसम में की जाती है. वैसे, इसकी खेती अलग- अलग स्थान और जलवायु के हिसाब से की जाती है. पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी खेती खरीफ की फसल के समय करते है तो वहीं, उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में इसकी रोपाई नवंबर यानी रबी के मौसम में की जाती है.

राजमा की खेती करने वाले राज्य

भारत में राजमा की खेती सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, जम्मू और कश्मीर राज्य में की जाती है.

राजमा की खेती के लिए जलवायु

बता दे, राजमा के पौधों को अच्छे से वृद्धि करने के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है. अधिक गर्म और सर्द जलवायु इसके पौधों के लिए लाभदायक नही होती. शुरुआती समय में राजमा के बीजों को पूरी तरह से अंकुरित होने के लिए 20 से 30 तापमान की आवश्यकता होती है तथा बीज अंकुरित होने के बाद 15 से 20 डिग्री के तापमान पर इसके पौधे अच्छे से विकास करते है. इसकी खेती के लिए न्यूनतम 10 डिग्री तापमान तथा अधिकतम 30 डिग्री तापमान होना चाहिए. इससे अधिक तापमान होने पर फूलों के झड़ने का खतरा रहता है.

राजमा की उन्नत किस्म

आज के समय में भारतीय बाजारों में राजमा की कई उन्नत किस्में मौजूद है जिन्हे अलग- अलग जलवायु और क्षेत्रों के हिसाब से अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. प्रमुख किस्मो की जानकारी निम्नलिखित है:

  • पीडीआर 14
  • अंबर
  • उत्कर्ष
  • मालवीय 15
  • मालवीय 137
  • एचपीआर 35
  • एच.यू.आर 15
  • आई.आई.पी.आर 98- 5

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राजमा की खेती कैसे करें?

यदि आप राजमा की खेती सही तरीके से करते है तो इससे आपको अच्छा उत्पादन मिलेगा. अगर आप राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) करना चाहते है तो निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करे:

  • राजमा की खेती के लिए आपको सबसे पहले खेत में मौजूद पुरानी फसल के अवशेष को पूरी तरह से नष्ट कर देना है.
  • इसके बाद, खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर दे.
  • फिर, खेत में पानी छोड़ दे और जब खेत की मिट्टी में हल्की नमी आ जाए तब आपको पलेव कर देना है.
  • अब रोटेवेटर की मदद से 2 बार तिरछी जुताई करे.
  • फिर आपको उचित मात्रा में गोबर की खाद डालकर पुनः जुताई करनी है. इससे खाद और मिट्टी अच्छे से मिक्स हो जाएगी.
  • ध्यान रहे उर्वरकों का प्रयोग हमेशा मिट्टी जांच के आधार पर ही करना चाहिए.
  • इसके बाद, आप प्रमाणित राजमा बीजों का चुनाव करे और बीजों का उपचार करके उचित समय पर बुवाई करे. ध्यान रहे कि बीजों का चुनाव आपको अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार ही करना चाहिए.
  • बुआई के समय यदि खेत में नमी न हो तो पहले हल्की सिंचाई करे और 4 से 5 दिनों के बाद बीजो की बुवाई करे. अगर हल्की नमी है तो सीधे बीजो की बुवाई करे.
  • राजमा की बुवाई करते समय बीजों के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर और पंक्तियों के बीच की दूरी लगभग 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए.
  • बुवाई के तुरंत बाद आपको एक हल्की सिंचाई कर देनी है.
  • राजमा की खेती में आपको समय- समय पर पानी, खाद और खरपतवार पर ध्यान देना आवश्यक है.

राजमा की वैज्ञानिक खेती

बता दे, राजमा की वैज्ञानिक खेती के लिए कुशल तकनीकों का उपयोग करके किसान उच्च उत्पादकता हासिल कर सकते है. पहले, उचित बीजों का चयन करना जरुरी है, जिसमे स्थानीय जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाए. इसके अलावा, राजमा के पौधे को मजबूत बनाने के लिए आवश्यकतानुसार खाद देना भी जरुरी होता है. इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए राजमा की वैज्ञानिक खेती की जाती है.

राजमा की खेती में सिंचाई

बता दे, राजमा की खेती में लगभग 3 से 4 सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है. बुवाई के तुरंत बाद ही पहली हल्की सिंचाई करनी चाहिए. उसके बाद में सिंचाई 20 दिनों के अंतराल पर ही करनी चाहिए. ध्यान रहे, खेत की मिट्टी और स्तर में पानी का ठहराव नही होना चाहिए.

राजमा की खेती में खाद

इसकी खेती में नाइट्रोजन को लेकर विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि राजमा के पौधे की जड़ों में नाइट्रोजन की मात्रा बहुत ही कम होती है, इसलिए पहली सिंचाई के समय यूरिया खाद का छिड़काव या सिंचाई में करना चाहिए. इसके बाद, 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 25 से 30 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर तत्व के रूप में देना जरुरी होता है.

राजमा की खेती में रोग

बता दे, राजमा के पौधों में भी अनेक प्रकार के रोग लगने का खतरा होता है. यदि इस रोगों पर सही समय पर ध्यान नही दिया जाए तो यह राजमा की फसल पूरी तरह से बर्बाद कर देगा. कुछ प्रमुख रोगों की जानकारी निम्नलिखित है:

  • तना गलन रोग
  • पर्ण सुरंगक
  • फली छेदक

राजमा की खेती से लाभ

भारत देश में राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) करने से कई लाभ हो सकते है, प्रमुख लाभों की जानकारी नीचे दी गई है:

  • भारतीय बाजारों में राजमा की मांग बहुत ज्यादा है, जिससे किसान भाईयों को उनकी राजमा फसल पर अच्छा भाव मिल जाता है.
  • राजमा में प्रोटीन फाइबर, विटामिन और मिनरल्स होते है जो सेहत के लिए फायदेमंद होते है.
  • राजमा की खेती फसल चक्र को संतुलित रखने में मददगार होती है.
  • इसकी खेती करने से आसपास के श्रमिक लोगो को रोजगार भी मिलेगा.

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राजमा की खेती में लागत व मुनाफा

बता दे, राजमा की खेती को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 110 से 120 दिनों का समय लगता है. इसके चलते यदि हम इसकी खेती में लागत की बात करे तो, इसमें लगभग 70 से 90 हजार रुपए प्रति हेक्टियर की लागत आती है. यदि आप भी इसकी खेती 1 हेक्टेयर में करते है तो लगभग 25 से 30 क्विंटल की पैदावार प्राप्त कर सकते है. इसका बाजारी भाव लगभग 8 से 10 हजार रुपए/ प्रति क्विंटल है. इस हिसाब से किसान भाई 1 हेक्टेयर के खेत से लगभग 2 से 2.5 लाख रुपए कमा सकते है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

राजमा किस मौसम में उगती है?

राजमा वसंत ऋतु के मौसम में और खरीफ के मौसम में उगती है. ठंड के मौसम में इसकी बुवाई जनवरी- फरवरी में की जाती है और खरीफ मौसम में इसकी बुवाई मई-जून महीने में की जाती है.

राजमा कितने प्रकार के होते है?

बता दे, राजमा लगभग 15 प्रकार के होते है. कुछ राजमा का रंग हल्का ब्राउन होता है और पकने के बाद उनका रंग हल्का लाल हो जाता है.

100 ग्राम राजमा में कितना प्रोटीन होता है?

100 ग्राम राजमा में लगभग 24 से 27 ग्राम प्रोटीन होता है, जो आपके सेहत के लिए फायदेमंद है.

राजमा को पकाने के पहले कितने घंटे भिगोना चाहिए?

राजमा को पकाने के पहले लगभग 8 से 10 घंटे पानी में भिगोना चाहिए. इसके लिए इसे रात के समय भिगोकर रख दे ताकि हम इसे आसानी से बना सके.

कौन सा राजमा सबसे अच्छा है?

लाल राजमा सबसे अच्छा राजमा माना जाता है क्योंकि यह आयरन से भरपूर होता है और बहुत रेशेदार भी होता है. डिमांड के चलते भारतीय बाजारों में भी यह ज्यादा मिलते है.

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