Kathal Ki Kheti: कटहल की खेती कैसे करे? मिलेगा तगड़ा मुनाफा

Kathal Ki Kheti | कटहल का फल आकार में बहुत बड़ा होता है, इसलिए इसे विश्व का सबसे बड़ा फल भी कहते है. कटहल का वृक्ष सदाबहार होता है, जो लगभग 10 से 15 फिट की ऊंचाई वाला, फेलावदार और शाखाओं वाला पेड़ होता है. कटहल का वानस्पतिक नाम “औनतिरिस टोक्सिकारिया” है. यदि आप बागवानी की खेती से अच्छा मुनाफा चाहते है तो फिर आपको कटहल की ही खेती करना चाहिए क्योंकि भारतीय बाजारों में कटहल की मांग बहुत ज्यादा है. इसी कारण इसका भाव भी अच्छा मिल जाता है.

Kathal Ki Kheti
Kathal Ki Kheti

अगर आप एक प्रगतिशील किसान है तो फिर आपको इस बार कटहल की खेती करना चाहिए क्योंकि इस खेती में लागत भी कम ही लगती है और मुनाफा ज्यादा मिलता है. इस लेख में हम आपको कटहल की खेती का समय? कटहल की खेती के लिए जलवायु? हाइब्रिड कटहल की खेती? कटहल की वैज्ञानिक खेती? कटहल की खेती कैसे करें? कटहल की जैविक खेती? Kathal Ki Kheti आदि की विस्तारपूर्वक जानकारी आपको इस पोस्ट में मिलेगी.

कटहल की खेती की जानकारी

भारत में कटहल की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि है जो व्यापक रूप से की जाती है. कटहल के पौधे की रोपाई बीज के रूप में की जाती है. बीजों द्वारा उगाए गए पौधों में 5 से 6 वर्षो का समय लग जाता है. यदि आप कम समय में कटहल की खेती करना चाहते है तो फिर आपको इसके पौधों को ग्राफ्टिंग या कटिंग विधि द्वारा तैयार करना चाहिए. इस विधि से कटहल का पौधा लगभग 3 से 4 वर्षो में ही फल देना शुरू कर देता है.

कटहल की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में बड़ी आसानी से की जा सकती है, लेकिन फिर भी बलुई या दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है. इसके अलावा, इस बात का विशेष कर ध्यान रखे कि जिस भूमि में कटहल की खेती (Kathal Ki Kheti) की जाए वहां पर जलभराव ना हो और भूमि का पी.एच मान 6.5 से 7.5 के बीच में हो.

कटहल की खेती का समय

भारत देश में कटहल की खेती करने का सबसे अच्छा समय वर्षाकाल माना जाता है. वर्षाकाल में रोपाई करने से पानी की व्यवस्था अलग से नही करनी होती है. वहीं, कटहल के पौधों की रोपाई करने का सबसे उपयुक्त समय अगस्त से सितंबर माह का होता है. रोपाई से पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लेना है और फिर इसके बाद भूमि में नमी होने पर रोपाई कर देवे.

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कटहल की खेती वाले राज्य

बता दे कटहल की खेती लगभग पूरे देश में की जाती है. इसके बाबजूद कटहल की खेती में असम राज्य का स्थान सर्वोत्तम है. वैसे उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, बिहार, झारखंड और दक्षिण भारत के राज्यों में भी इसकी बागवानी बड़े पैमाने पर की जाती है.

कटहल की खेती के लिए जलवायु

भारत देश में कटहल की खेती के लिए गर्म और आद्र जलवायु को उपयुक्त माना जाता है. इसके पौधे अधिक गर्मी और वर्षा के मौसम में आसानी से वृद्धि कर लेते है, परंतु ठंड में गिरने वाला पाला इसकी खेती के लिए हानिकारक होता है. वैसे, 10 डिग्री से नीचे का तापमान पौधों की वृद्धि के लिए हानिकारक होता है.

कटहल की उन्नत किस्में

आज के समय बाजारों में कटहल की कई प्रजातियां देखने को मिल जाती है. परंतु किसान भाईयों को केवल उन्नत किस्म के बीजों को ही खरीदना चाहिए जो आपके क्षेत्र की जलवायु में अच्छा उत्पादन दे सके. यहां नीचे आपको कटहल की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी दी गयी है, जोकि इस प्रकार है:

  • सवर्ण मनोहर किस्म
  • सिंगापुरी किस्म
  • खजवा
  • गुलाबी
  • रुद्राक्षी
  • रसदार

हाइब्रिड कटहल की खेती

जैसे कि नाम से पता चलता है कि हाइब्रिड कटहल, कटहल की दो या दो से अधिक किस्मों का क्रॉसब्रीड है. इसे पारंपरिक कटहल उगाने की कुछ चुनौतियों से निपटने के लिए विकसित किया गया था. बता दे कि हाइब्रिड कटहल के पेड़ों को फलने-फूलने के लिए गर्म, उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है. यह 70 से 85 डिग्री फारेनहाइट के बीच तापमान को पसंद करते है और इन्हें भरपूर धूप की आवश्यकता होती है.

बारहमासी कटहल की खेती

बता दे बारहमासी कटहल की खेती (Kathal Ki Kheti) एक महत्वपूर्ण कृषि विधि है जो उचित जानकारी और प्रयोग के साथ की जा सकती है. कटहल एक उच्च जलवायु और तापमान के प्रदेशों में पूरी तरह से विकसित होता है और इसकी खेती मुख्य रूप से बरसाती और गर्मियों के मौसम में की जाती है. कटहल के पौधों के वृद्धि के लिए उचित भूमि, उपयुक्त पोषण और जलसंसाधन की जरुरत होती है.

कटहल की वैज्ञानिक खेती

हमारे भारत देश में कटहल की वैज्ञानिक खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण तरीके होते है, जैसे कि- उचित बीज और मिट्टी का चयन, समय पर पानी और कीट प्रबंधन, उपयुक्त खादों का प्रयोग आदि. कटहल के पौधों को मजबूत बनाने के लिए आवश्यकता अनुसार खाद देना भी जरुरी होता है. इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए कटहल की वैज्ञानिक खेती की जाती है.

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कटहल की खेती कैसे करें?

अगर आप कटहल की खेती से अच्छा उत्पादन चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती सही विधि से करनी चाहिए. सही विधि से कटहल की खेती (Kathal Ki Kheti) करने के लिए नीचे दी गई बातो को अवश्य ध्यान में रखे:

  • कटहल की खेती के लिए सबसे पहले खेत में मौजूद पुरानी फसलों के अवशेषों को हटाकर खेत की गहरी जुताई करे.
  • उसके बाद, खेत में कल्टीवेटर के माध्यम से 2 से 3 अच्छी तिरछी जुताई कर दे.
  • जुताई के बाद खेत में पाटा लगाकर उसे समतल बना दे.
  • समतल करने के बाद उसमे 8 से 10 फीट की दूरी छोड़ते हुए पंक्तियों में गड्ढे तैयार करे.
  • गड्ढे तैयार करते समय ध्यान रखे कि गड्ढे का आकार 1 मीटर चौड़ा और 1 मीटर गहरा होना चाहिए.
  • जब गड्ढे पूरी तरह से तैयार हो जाए तब आपको इन गड्ढे में पुरानी गोबर की खाद को उचित मात्रा में मिलाना है.
  • इसके बाद, इन गड्डे में पौधे की रोपाई कर दे.
  • कटहल का पौधा आप खुद भी तैयार कर सकते है या फिर खरीद कर भी पौधे की रोपाई कर सकते है.
  • जब आप पौधे की रोपाई कर दे तो इसके तुरंत बाद आपको एक हल्की सिंचाई कर देनी है.
  • अब फसल की पहली गुड़ाई रोपाई के लगभग 1 महीने बाद कर देनी है.
  • इसके बाद, जब भी फसल में खरपतवार नजर आए तब आपको तुरंत ही निराई- गुड़ाई करनी है. गुड़ाई करने से पौधों की जड़ों को उपयुक्त मात्रा में हवा मिलने लगती है.

कटहल की जैविक खेती

बता दे कटहल की जैविक खेती में सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार किया जाता है. जैविक खेती के लिए खेत में खाद और कम्पोस्ट को उचित मात्रा में डाला जाता है. इस विधि में उचित पौधा चुनाव और पौधों की रोपाई के बाद समय- समय पर पौधों की पर्यावरण निगरानी और खरपतवार नियंत्रण किया जाता है. सभी उपयुक्त जैविक उर्वरकों का प्रयोग व्यापक रूप से किया जाता है ताकि कटहल का विकास और उपज को सुनिश्चित किया जा सके.

कटहल का पौधा कैसे तैयार करे?

जानकारी के लिए बता दे कि कटहल का पौधा आप खुद घर पर भी तैयार कर सकते है. इसके लिए सबसे पहले आपको कटहल के पके हुए फल से बीज को अलग कर लेना है. ध्यान रहे उन्हें ज्यादा समय के लिए बाहर नही रखना है. बीज निकालने के बाद तुरंत ही मिट्टी में लगा देना है. पौधे तैयार करने के लिए आप गमला या फिर पॉलिथीन बैग का भी इस्तेमाल कर सकते है.

यदि आपके पास पौधे तैयार करने का समय नही है तो फिर आप इसे नजदीकी नर्सरी से भी खरीद सकते है. खरीदते समय आपको उत्तम पौधे का चुनाव करना है.

कटहल की खेती में सिंचाई

भारत में कटहल के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नही होती है, लेकिन पौधों की रोपाई के तुरंत बाद ही पहली सिंचाई कर देनी है. इसके बाद, गर्मियों के मौसम में इसे 15 से 20 दिनों के अंतराल में सिंचाई की जरुरत होती है. यदि बारिश का मौसम हो तो, इसके पौधों को जरूरत पड़ने पर ही पानी देना चाहिए. अधिक पानी भी फसल को प्रभावित कर सकता है.

कटहल की खेती में खाद

बता दे कटहल के पौधे में खाद तथा उर्वरक का उचित मात्रा में उपयोग करना बहुत आवश्यक होता है. कटहल की खेती में पोटाश और फास्फोरस 500 ग्राम प्रति पौधे को देनी चाहिए. वहीं, 800 ग्राम नाइट्रोजन प्रति वर्ष देना जरुरी होता है. जैसे- जैसे पौधे का विकास होता है वैसे ही उर्वरक की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए. इससे पौधा अच्छे से विकास करने लगता है.

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कटहल की खेती से लाभ

बता दे कटहल की खेती से व्यापारिक और आर्थिक लाभ हो सकता है. निम्नलिखित कुछ तरीके है जिनसे आप कटहल की खेती (Kathal Ki Kheti) से लाभ कमा सकते है:

  • भारतीय बाजारों में कटहल की मांग बहुत ज्यादा है जिस वजह से इसका अच्छा भाव मिल जाएगा.
  • कटहल में कई तरह के पोषण तत्व भी पाए जाते है, जैसे आयरन, कैल्सियम, विटामिन ए, विटामिन सी और पोटेशियम बड़ी मात्रा में उपलब्ध होता है, जोकि मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक है.
  • साल में 2 बार कटहल के पेड़ पर फल लगते है. इससे आपको आर्थिक लाभ होता है.

कटहल की खेती में लागत व मुनाफा

बता दे कि कटहल के पौधे रोपाई के लगभग 3 से 4 वर्षो के बाद फल देने के लिए तैयार हो जाते है. इसके अलावा कई किस्में ऐसी भी होती है, जो उत्पादन देने में अधिक समय लगाती है. वैसे, 1 हेक्टेयर के खेत में लगभग 120 से 140 पौधे को लगाया जा सकता है जिनकी लागत लगभग 80 से 90 हजार रुपए होती है. इसकी संख्या पौधे की दूरी पर भी निर्भर होती है. कटहल का एक पौधा एक साल में लगभग 500 से 1000 किलोग्राम की पैदावार देता है.

अगर कमाई की बात करे तो वर्तमान समय में कटहल का बाजार में भाव लगभग 50 से 70 रुपए प्रति किलो है. इस हिसाब से 1 हेक्टेयर के खेत से आप साल भर में लगभग 5 से 7 लाख रुपए की कमाई बड़ी आसानी से कर सकते है. वैसे भी, यह फसल आपको कई साल तक इनकम देगी.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

कटहल की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?

कटहल की सबसे अच्छी किस्म खजवा, सिंगापुरी, स्वर्ण मनोहर और स्वर्ण पूर्ति है. इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.

कटहल वार्षिक है या बारहमासी?

कटहल के पेड़ बारहमासी होते है और यह लंबे समय तक फल दे सकते है. यह पेड़ 80 वर्षो तक भी जीवित रहा सकता है, यदि अच्छी देख-रेख मिले तो.

कटहल का पेड़ कितना ऊंचा होता है?

कटहल के पेड़ की ऊंचाई लगभग 20 से 25 फिट की होती है.

भारत का सबसे मीठा कटहल कौन सा है?

भारत का सबसे मीठा कटहल फल “चिराप्पुरम क्लस्टर जैक” है.

कटहल इतना महंगा क्यों है?

कटहल अत्यधिक खराब होने वाला और विशिष्ट है, इसलिए इसे बड़ी मात्रा में आयात करना उचित नही है. इसी के कारण बाजार में इसकी मांग अच्छी है और भाव ज्यादा है.

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