Urad Ki Kheti: उड़द की खेती कैसे करे? पढ़े बोने से लेकर कमाई तक की पूरी जानकारी

Urad Ki Kheti | दलहनी फसलों में उड़द का प्रमुख स्थान है और विश्व स्तर पर उड़द के उत्पादन में भारत पहले नंबर है. उड़द खरीफ, रबी आर ग्रीष्म मौसमों के लिए उपयुक्त फसल है. वैसे, अगर उड़द की खेती सही समय और तरीके से की जाए तो किसानों को अच्छी उपज मिलती है. इसीलिए किसान भाईयों के लिए उड़द की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि इसकी खेती कम समय में ही तैयार होने के साथ मुनाफा अच्छा दे जाती है.

Urad Ki Kheti
Urad Ki Kheti

आज का यह लेख आप सभी किसान भाईयो के लिए ख़ास होने वाला है क्योंकि आज हम आपको उड़द की खेती से संबंधित विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे. इस पोस्ट में आपको, उड़द की खेती कैसे करें? उड़द की खेती का समय? उड़द की खेती करने वाले राज्य? उड़द की खेती के लिए जलवायु? उड़द की खेती में लागत व कमाई? Urad Ki Kheti आदि की पूरी जानकारी मिलेगी.

उड़द की खेती की जानकारी

भारत देश में उड़द की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है जो विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूप से की जाती है. यह एक पौष्टिक और प्रोटीन युक्त दलहन है जो खाघ सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इसकी उन्नत खेती के लिए उचित बुवाई तकनीक, पोषण और जल संचारण का ध्यान रखना अहम है. यदि आपके खेत में उड़द की बुवाई के समय नमी रहती है तो फिर उड़द के बीज को पूरी तरह से अंकुरित होने में लगभग 7 से 8 दिनों का समय लगता है. इसके अलावा, इसकी खेती के लिए मौसम की शर्तो की अहम भूमिका होती है.

इसकी खेती विभिन्न प्रकार की भूमि में की जा सकती है. बता दे कि हल्की रेतीली, दोमट या मध्यम प्रकार की भूमि जिसमे पानी का निकास अच्छा हो, वह उड़द के लिए अधिक उपयुक्त होती है. इसकी बुवाई से पहले आपको भूमि की जांच आवश्य करवा लेनी है, ध्यान रहे कि भूमि का पी.एच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. इसकी खेती के लिए भूमि जल निकासी वाली होनी चाहिए.

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उड़द की खेती का समय

अगर उड़द की खेती के समय की बात करे तो, इसकी बिजाई मानसून के आगमन पर जून के अंतिम सप्ताह या फिर 20 से 30 जून के बीच में प्रयाप्त वर्षा होने पर की जाती है. इसकी बुवाई नाली या फिर तिफन से करनी चाहिए. कतारों की दूरी 30 सेंटीमीटर, पौधों से पौधों की दूरी 10 सेंटीमीटर रखे तथा बीजों की गहराई 3 से 4 सेंटीमाइटर रखे. यदि आप उड़द की बुवाई ग्रीषमकाल में करते है तो फिर इसकी बुवाई लगभग 25 फरवरी से 1 अप्रैल तक कर देनी चाहिए.

उड़द की खेती करने वाले राज्य

भारत देश का उड़द के उत्पादन में प्रथम स्थान है. हमारे देश में उड़द की सबसे ज्यादा खेती महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, आंध्रप्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु तथा बिहार में की जाती है.

उड़द की खेती के लिए जलवायु

बता दे, उड़द की खेती (Urad Ki Kheti) के लिए नम और गर्म मौसम आवश्यक होता है. वहीं, पौधों की वृद्धि के समय 25 से 30 डिगी सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना जाता है. इसके अलावा, लगभग 700 मिमी वर्षा वाले क्षेत्र में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है परंतु अधिक जलभराव वाले स्थानों पर इसकी खेती उचित नही है. फूल अवस्था पर अधिक वर्षा हानिकारक होती है तथा पकने की अवस्था में वर्षा होने पर दाना खराब होता है.

उड़द की उन्नत खेती

आज के समय में भारतीय बाजारों में उड़द की कई उन्नत किस्में मौजूद है जिन्हे अलग- अलग जलवायु और क्षेत्रों के हिसाब से अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. प्रमुख किस्मो की जानकारी निम्नलिखित है:

  • उर्द-19
  • पंत उर्द-30
  • पी.डी.एम.-1
  • नरेन्द्र उर्द-1
  • डब्ल्यू.बी.यू.-108
  • डी.पी.यू. 88-31
  • आई.पी.यू.-94-1
  • आई.सी.पी.यू. 94-1
  • एल.बी.जी.-17
  • एल.बी.जी. 402
  • कृषणा, एच. 30
  • यू.एस.-131
  • एस.डी.टी 3

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उड़द की खेती कैसे करे?

बता दे, आप उड़द की खेती करके आसानी से मोटा मुनाफा कमा सकते है. उड़द की खेती (Urad Ki Kheti) करने के लिए निम्न चरणों का पालन करे:

  • उड़द की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लेना है. इसके लिए आपको एक बार गहरी जुताई करनी है.
  • इसके बाद, आपको आवश्यकता अनुसार सड़ी खाद डाल देनी है. ध्यान रहे, खाद की उचित मात्रा का ही उपयोग करे.
  • अब आपको कुछ समय के लिए खेत को खाली छोड़ देना है ताकि भूमि का पोषण बना रहे.
  • बुवाई के 15 दिन पहले एक बार पुनः गहरी जुताई कर ले.
  • यदि आप वर्षा के मौसम के दौरान इसकी खेती कर रहे है तो फिर खेत को समतल करवा लेना आवश्यक है ताकि जलभराव न हो.
  • बीजों का सही चयन करे ताकि आपको अच्छी पैदावर मिले. ध्यान रखे, आपको प्रमाणित उड़द बीजों का ही चयन करना है.
  • ध्यान रहे कि बीजों को सीड ड्रिल की मदद से बोना है.
  • विशेष रूप से ध्यान रखे कि बीजों को 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई में बोये.
  • इसके बाद, लगभग 10 दिनों में ही उड़द के बीज पूरी तरह से अंकुरित हो जाएंगे और पौधे बाहर निकलने लगेंगे.
  • अब समय- समय पर सिंचाई और उर्वरक दे और खरपतवार पर भी ध्यान दे.

काली उड़द की खेती

बता दे, काली उड़द की खेती एक महत्वपूर्ण खेती है जोकि भारत के अलावा भी कई देशों में की जाती है. वैसे, भारत में काली उड़द की खेती व्यापक रूप से की जाती है. यह फसल उच्च पोषण सामग्रियों और प्रोटीन से भरपूर होती है, जिससे यह एक स्वस्थ आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा बनती है. काली उड़द के पौधे गहरे खेतो में बोए जाते है, जिन्हे उचित पोषण, नम भूमि और उच्च तापमान की आवश्यकता होती है. काली उड़द की खेती सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में की जाती है. इसकी खेती के माध्यम से किसानों को ज्यादा आर्थिक लाभ होता है.

गर्मी मे उड़द की खेती

यदि आप उड़द की खेती गर्मी के मौसम में करना चाहते है तो फिर आपको इसकी बुवाई 20 फरवरी से 30 मार्च के बीच में ही कर देनी चाहिए. यह फसल उच्च तापमान और अच्छी दिन की रोशनी को पसंद करती है, लेकिन उच्च तापमान के चलते इसकी फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी देना भी जरुरी है. इसके अलावा, बीजों को बोने से पहले भूमि की तैयारी उत्तम तरीके से करनी चाहिए तथा उर्वरकों को सही मात्रा में प्रयोग करना चाहिए.

बरसात मे उड़द की खेती

हमारे देश में बरसात में उड़द की खेती (Urad Ki Kheti) एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है जो विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख रूप से की जाती है. यदि आप वर्षा मौसम में इसकी खेती करते है तो फिर आपको इसके बीजों की जून से जुलाई माह में बुवाई कर देनी चाहिए. इस फसल में आपको सिंचाई कम ही करनी पड़ेगी परंतु इस मौसम में आपको उचित जल निकासी की व्यवस्था करनी पड़ेगी. यदि आप उचित जल निकासी की व्यवस्था नही कर पा रहे है तो फिर आपकी फसल को रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है जिसका प्रभाव आपको पैदावार में दिखाई देगा.

उड़द की वैज्ञानिक खेती

भारत देश में उड़द की वैज्ञानिक खेती एक महत्वपूर्ण कृषि प्रवृति है जो अनेक क्षेत्रों में लाभकारी है. इसकी वैज्ञानिक खेती में उन्नत ज्वार किस्में, उपयुक्त उर्वरकों का प्रयोग और सही किसानी तकनीकियों का इस्तेमाल करके उत्पादकता में बढ़ोतरी हो सकती है. उड़द के पौधे को मजबूत बनाने के लिए आवश्यकतानुसार खाद देना भी जरुरी होता है. इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए उड़द की वैज्ञानिक खेती की जाती है. वैज्ञानिक खेती से किसान को अधिक मुनाफा होगा और खाद्य सुरक्षा में सुधार होगा.

उड़द की खेती में सिंचाई

बता दे, उड़द की फसल में सिंचाई की बहुत आवश्यकता नही होती है, हालांकि वर्षा के अभाव में फलियों के बनते समय सिंचाई करनी चाहिए. इसकी फसल को 3 से 4 बार ही सिंचाई की जरूरत पड़ती है. इसकी खेती में आपको पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद ही कर देनी चाहिए तथा बाकी की बची सिंचाई आपको 15 से 20 दिनों के अंतराल में पूरी कर देनी है.

उड़द की खेती में खाद

इसकी खेती में आपको खेत तैयारी के समय उचित मात्रा में सड़ी गोबर की खाद डालकर खेत तैयार कर लेना चाहिए. इस खेती में अपको नाइट्रोजन की आवश्यकता नही होती है क्योंकि उड़द की जड़ में उपस्थित राजोबियम जीवाणु मंडल की स्वतंत्र नाइट्रोजन को ग्रहण करते है और पौधों को प्रदान करते है. इसके पौधे की प्रारंभिक अवस्था में 15 से 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 से 50 किलोग्राम फास्फोरस तथा 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के समय खेतो में डाल दे. इसके अलावा, आप इसमें सिंगल सुपर फास्फेट या फिर यूरिया खाद का भी इस्तेमाल कर सकते है परंतु आपको उर्वरक की मात्रा का विशेष ध्यान रखना होगा.

उड़द की खेती में रोग

बता दे, उड़द की खेती के दौरान कई प्रकार के रोग लग सकते है जो उपयुक्त प्रबंधन के बिना उपज को प्रभावित कर सकते है. इनमे से कुछ रोग निम्नलिखित है:

  • फली छेदक कीट
  • सफेद मक्खी
  • अर्थ कुंडलक
  • एफिड
  • पीला मोजेक
  • पूर्ण दाग

उड़द की खेती से लाभ

भारत देश में उड़द की खेती (Urad Ki Kheti) करने से कई लाभ हो सकते है, प्रमुख लाभों की जानकारी नीचे दी गई है:

  • भारतीय बाजारों में उड़द की मांग बहुत ज्यादा है, जिससे किसान भाईयों को उनकी उड़द फसल पर अच्छा भाव मिल जाता है.
  • उड़द की खेती फसल चक्र को संतुलित रखने में मददगार होती है.
  • इसकी खेती करने से आसपास के श्रमिक लोगो को रोजगार भी मिलेगा.

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उड़द की खेती में लागत व मुनाफा

उड़द की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 80 से 90 दिनों का समय लगता है. यदि आप उड़द की खेती 1 हेक्टयर के खेत में करते है तो फिर आपको 15 से 20 क्विंटल की पैदावार मिल सकती है. वैसे, पैदावार किस्म के ऊपर भी निर्भर करती है.

इसके अलावा, उड़द का बाजारी भाव 10 से 12 हजार रुपए/ प्रति क्विंटल के बीच ही रहता है. इसके हिसाब से किसान 1 हेक्टयर के खेत से लगभग 1.5 से 2.5 लाख रुपए आसानी से कमा सकते है. वहीं, यदि लागत की बात करे तो, इसकी खेती में खर्चा लगभग 35 से 40 हजार रुपए/ प्रति हेक्टेयर आता है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

उड़द बोने का सही समय क्या है?

उड़द की बुवाई का उचित समय, 20 से 30 जून के बीच में प्रयाप्त वर्षा होने के बाद का है. यदि आप उड़द की बुवाई ग्रीष्म काल में करते है तो फिर इसकी बुवाई लगभग 25 फरवरी से 1 अप्रैल तक कर देनी चाहिए.

उड़द की फसल कितने दिन में तैयार होती है?

उड़द की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 80 से 90 दिनों का समय लगता है.

उड़द कितने प्रकार के होते है?

उड़द 2 प्रकार के होते है काले और हरे उड़द. बता दे, काले उड़द का रंग दिखने में हल्का काला होता है तथा हरे रंग के उड़द का रंग दिखने में हल्का हरा होता है.

उड़द की अच्छी वेरायटी कौन सी है?

उड़द की सबसे अच्छी वैरायटी आजाद उड़द, नरेंद्र उड़द और सुजाता उड़द है क्योंकि यह अच्छी पैदावार देते है.

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