Palak Ki Kheti: पालक की खेती कैसे करे? समझे बोने से लेकर कटाई तक का प्रोसेस

Palak Ki Kheti | हरी सब्जी वाली फसलों में पालक का विशेष स्थान है. देश के लगभग सभी भागों में रबी, खरीफ और जायद तीनो मौसम में इसकी खेती की जाती है. सामान्य तौर पर पालक की सब्जी को पूरे वर्ष खाया जाता है किन्तु सर्दियों के मौसम में इसका इस्तेमाल अधिक मात्रा में किया जाता है. जानकारी के लिए बता दे पालक की उत्पत्ति सर्वप्रथम ईरान देश में हुई थी. किसान पालक की खेती से पूरे वर्ष अच्छी आमदनी ले सकता है. वैसे, इसकी खेती करना बेहद आसान है.

Palak Ki Kheti
Palak Ki Kheti

पालक की खेती भी मुनाफे वाली खेती में से एक है. यदि आप इसकी खेती करना चाहते है तो यह लेख आपके लिए बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि इस लेख में हम आपको पालक की खेती का समय? पालक की खेती के लिए उत्तम जलवायु? पालक की खेती वाले राज्य? पालक की खेती में खाद? पालक की खेती में सिंचाई? पालक की जैविक खेती? देसी पालक की खेती? पालक की खेती में लागत व कमाई? Palak Ki Kheti आदि की पूरी जानकारी देंगे.

पालक की खेती की जानकारी

भारत में पालक की खेती एक महत्वपूर्ण खेती प्रथा है जो विभिन्न भागों में की जाती है. पालक एक पौष्टिक सब्जी है जो विटामिंस, आयरन और मिनरल्स से भरपूर होती है. पालक की खेती के लिए उचित जलवायु और मिट्टी की गुणवत्ता महत्वपूर्ण है. इसकी देखभाल के लिए नियमित सिंचाई, खाद और उन्नत खेती तकनीकों का पालन किया जाना जरुरी है.

इसके अलावा, यदि मिट्टी की बात करे तो पालक की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. जलभराव वाली भूमि में इसकी खेती नही करनी चाहिए. ध्यान रहे भूमि का पी.मान 6 से 7 के बीच में ही होना चाहिए.

पालक की खेती का समय

बता दे पालक की खेती के लिए सबसे अच्छा दिसंबर का महीना होता है. वैसे, उचित वातावरण में पालक की बुवाई सालभर की जा सकती है. पालक की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए बुवाई जनवरी- फरवरी, जून- जुलाई और सितंबर- अक्टूबर में की जा सकती है.

यह भी पढ़े : गांठ गोभी की खेती कैसे करे

पालक की खेती वाले राज्य

भारत में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडू, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में पालक की खेती (Palak Ki Kheti) अधिक की जाती है. इसकी खेती से अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को अपने क्षेत्र और जलवायु के अनुसार ही किस्मों का चयन करना चाहिए.

पालक की खेती के लिए जलवायु

बता दे पालक की खेती के लिए सर्दियों के मौसम को उपयुक्त माना जाता है. सर्दियों के मौसम में गिरने वाले पाले को इसके पौधे आसानी से सहन कर लेते है तथा अच्छे से विकास भी करते है. इसके पौधे सामान्य तापमान में अच्छे से विकास करते है तथा पौधों को अंकुरण के लिए 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है. यह अधिकतम 30 डिग्री तापमान तथा न्यूनतम 5 से 10 डिग्री तापमान को आसानी से सहन कर सकते है.

पालक की उन्नत किस्में

कृषि वैज्ञानिकों की सहायता से पालक की कई अच्छी किस्में विकसित की गई है. यह उन्नत किस्में बाज़ार में उपलब्ध है जिनको अधिक उत्पादन देने के लिए तैयार किया गया है. इसमें कुछ प्रमुख किस्मे इस प्रकार है:

  • पूसा हरित
  • जोबनेर ग्रीन
  • ऑल ग्रीन
  • हिसार सलेक्शन 23
  • पूसा ज्योति
  • पंजाब सलेक्शन
  • पंजाब ग्रीन
  • पूसा भारतीय
  • हाइब्रिड F1

बरसात में पालक की खेती

वैसे तो पालक की खेती (Palak Ki Kheti) सालभर की जा सकती है, लेकिन बारिश वाले मौसम के दौरान मार्किट में इसकी उपलब्धता बहुत कम होती है और मांग अधिक होती है. यदि आप बरसात में पालक की खेती करते है तो इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. वहीं, इस दौरान सिंचाई की भी ज्यादा आवश्यकता नही होती है.

गर्मी में पालक की खेती

बता दे गर्मी में पालक की खेती करने के लिए सही जानकारी और योजना होना अत्यंत महत्वपूर्ण है. बुवाई के दौरान पालक के पौधों के बीज की दूरी को ध्यान में रखना जरुरी है. गर्मी के मौसम में यदि आप इसकी खेती कर रहे है तो फिर आपको खेत में नमी बनाए रखने के लिए 4 से 6 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए. इसके अलावा, बीमारियों और कीटो से बचाव के लिए उपयुक्त कीटनाशकों का उपयोग करना जरुरी है. गर्मी में पालक की खेती से अच्छी उपज निकालने के लिए उपयुक्त देखभाल और प्रबंधन की आवश्यकता होती है, जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकता है.

देसी पालक की खेती

भारत में देसी पालक की फसल को लगभग सभी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है लेकिन ज्यादा उत्पादन के लिए उचित जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है. इस फसल को पलेवा करके बोना चाहिए और बोने के कुछ दिन बाद ही इसकी पहली सिंचाई करनी चाहिए. इसकी वसंत ग्रीष्म मौसम में 6 से 7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए. वहीं, शरद ऋतु मे इस फसल की 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए. बता दे कि देसी पालक को बोने के 3 से 4 सप्ताह के बाद यानी 20 से 30 दिनों के बीच पहली कटाई की जा सकती है तथा पूरी फसल की अवधि में 8 से 10 बार कटाई की जा सकती है.

विलायती पालक की खेती

बता दे विलायती पालक ठंडे मौसम की मुख्य फसल है जो कम तापमान पर भी वृद्धि करती है. यह किस्म अधिक उपज देने वाली किस्म है. इसकी पत्तियां मोटी, गहरी हरी तथा पत्तियों का ऊपरी सिर गोल आकार सा होता है. विलायती पालक की 3 से 4 कटाई की जाती है लेकिन पानी, खाद की अच्छी व्यवस्था होने पर अधिक कटाई भी की जा सकती है. इसकी खेती में प्रत्येक कटाई के बाद यूरिया की मात्रा देने से फसल जल्दी बढ़ती है.

यह भी पढ़े : धनिया की खेती कैसे करे

पालक की खेती कैसे करें?

अगर आप पालक की खेती से अच्छा उत्पादन चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती सही विधि से करनी चाहिए. सही विधि से पालक की खेती (Palak Ki Kheti) करने के लिए नीचे दी गई बातो को ध्यान में रखे:

  • पालक की खेती के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करे. इससे खेत में मौजूद खरपतवार और कीट नष्ट हो जाएंगे.
  • इसके बाद, 2 से 3 बार देसी हल या कल्टीवेटर से जुताई करे.
  • जुताई के पश्चात खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खाली छोड़ दे. इससे खेत की मिट्टी में अच्छी तरह से धूप लग जाएगी.
  • इसके बाद, खेत में प्रयाप्त मात्रा में उर्वरक दे. इसके लिए 8 से 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति एकड़ की दर से खेत में डाले.
  • खाद को मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाने के लिए एक बार पुनः कल्टीवेटर लगाकर 2 से 3 बार तिरछी जुताई करे.
  • अब मिट्टी में खाद को मिलाने के पश्चात पानी लगा कर पलेवा कर दे.
  • इसके बाद, जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगे उस दौरान एक बार फिर से खेत की हल्की जुताई कर दे, इससे खेत की मिट्टी भुरभूरी हो जाएगी.
  • अब आपको खेत को समतल बनाने के लिए भूमि में पाटा लगाकर उसे समतल बना देना है. इससे जलभराव की समस्या नही होगी.
  • इसके बाद, सही समय आने पर उत्तम किस्म के बीजो की बुवाई करे.
  • पालक की बुवाई के दौरान आपको ध्यान रखना है कि पौधे से पौधे की दूरी 1 से 1.5 सेंटीमीटर और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 10 से 20 सेंटीमीटर होनी चाहिए.
  • इसके अलावा, आपको इस बात का भी ध्यान रखना है कि नमी के हिसाब से बीज को 2 से 2.5 सेंटीमीटर की गहराई से बुवाई करनी चाहिए.
  • बुवाई के तुरंत बाद ही आपको पहली सिंचाई कर देनी है.

पालक की जैविक खेती

जैविक खेती पालक की मांग को पूरा करने में सहायक होती है और पर्यावरण को सुरक्षित रखती है क्योंकि यह हानिकारक रसायनों का उपयोग कम करती है. इसके अलावा, जैविक खेती पालक की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है और किसानों को अधिक मुनाफा देती है. बता दे पालक की जैविक खेती एक प्राकृतिक तथा पर्यावरण संबंधी तरीका है जिसमे कीटनाशकों तथा केमिकल खादों का उपयोग नही किया जाता है. इस विधि से खेती करने के लिए आपको जैविक पालक के बीजों का ही चयन करना चाहिए तथा उचित जैविक खाद और कम्पोस्ट खाद का ही उपयोग करना चाहिए.

पालक की खेती में सिंचाई

बता दे पालक की बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई करे. इससे खेत में पर्याप्त नमी बनी रहेगी. यदि आप पालक की खेती गर्मी में करते है तो 4 से 5 दिनों के अंतराल में आपको सिंचाई करनी चाहिए और सर्दी के दिनों में 8 से 10 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए. इसकी खेती में ड्रिप सिंचाई करनी चाहिए क्योंकि यह विधि लाभदायक सिद्ध होती है. ध्यान रहे पालक की फसल के लिए खेत में पर्याप्त नमी बनी रहनी चाहिए.

पालक की खेती में खाद

बता दे पालक की बुवाई के समय आपको उचित मात्रा में गोबर की खाद डालनी है. इसके अलावा 10 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम फास्फोरस व 25 किलोग्राम पोटाश को प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डाल देना है. ध्यान रहे प्रत्येक कटाई के बाद आपको उचित मात्रा में उर्वरक देना चाहिए इससे आगे की कटाई जल्दी ही आ जाती है.

यह भी पढ़े : प्याज की खेती कैसे करे

पालक की खेती से लाभ

भारत में पालक की खेती (Palak Ki Kheti) से आपको कई तरह के लाभ मिल सकते है. इनमे से मिलने वाले कुछ प्रमुख लाभों की जानकारी नीचे दी गई है:

  • पालक की खेती एक लाभकारी कृषि व्यवसाय है जो किसानों को अच्छा मुनाफा दिला सकता है.
  • पालक की खेती एक साल में कई बार की जा सकती है, जिससे वार्षिक उत्पादन बढ़ता है.
  • पालक में अधिक मात्रा में आयरन पाया जाता है, जिस वजह से यह शरीर में खून की मात्रा को तेजी से बढ़ाता है.

पालक की खेती में लागत व मुनाफा

बता दे पालक की खेती में 4 से 5 कटाव आते है जिससे औसत देखा जाए तो प्रति एकड़ में 10 से 12 टन पालक का उत्पादन हो जाता है. वहीं, पालक का मंडी भाव 20 से 30 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास रहता है. पालक की खेती से कमाई देखे तो 2 से 3 लाख रुपए आसानी से कमाया जा सकता है. अगर लागत की बात करे तो इसकी खेती में बुवाई से लेकर कटाई तक 45 से 50 हजार रुपए की लागत आती है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

पालक कौन से महीने में बोई जाती है?

पालक की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए आपको बुवाई उचित समय पर करनी चाहिए. जनवरी से फरवरी, जून से जुलाई और सितंबर से अक्टूबर माह बुवाई के लिए उचित समय माना जाता है.

पालक को जल्दी कैसे उगाए?

यदि आप चाहते है कि पालक जल्दी से विकास करे तो इसके लिए आपको उचित पानी, उर्वरक, खरतवार और देखरेख की ज्यादा जरूरत होगी. इसके अलावा, आपको इसकी खेती में हमेशा मिट्टी में नमी बनाई रखनी है.

पालक कितने दिन में तैयार हो जाती है?

पालक की पहली कटाई लगभग 40 से 50 दिनों के अंदर आ जाती है तथा पालक की फसल में 5 से 6 कटाई आती है यह कटाई किस्म के ऊपर भी निर्भर करती है.

क्या पालक काटने के बाद फिर से उग आएगा?

सुनिश्चित करे कि प्रत्येक पौधे का लगभग ⅓ भाग ही काटा जाए. यदि आपने समय पर पानी, खाद और खरपतवार निकाली है तो एक बार पालक की कटाई करने के लगभग 10 से 15 दिनों के बाद दूसरी कटाई आ जाती है.

पालक को बढ़ने के लिए किन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है?

पालक को बढ़ने के लिए कैल्सियम और मैग्नेशियम पोषण की आवश्यकता अधिक होती है. इसकी खेती में आपको अधिक मात्रा में नाइट्रोजन से बचे क्योंकि इससे पत्ती की नोक जल सकती है.

Leave a Comment