Pyaj Ki Kheti: प्याज की खेती कैसे करे? मात्र 4 महीने में करे बढ़िया कमाई

Pyaj Ki Kheti | प्याज की खेती रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है. इसकी खेती सब्जी फसल के रूप में की जाती है. इसके फल पौधों की जड़ों में पाए जाते है. प्याज का वैज्ञानिक नाम “एलियम सिपा” है. जी हां, यह एक मुनाफेदार और अच्छी डिमांड वाली सब्जी फसल है. भारतीय बाजारों में पूरे साल प्याज की मांग रहने के साथ किसान प्याज की खेती के नवीनतम तरीकों से और अच्छा लाभ कमा सकते है. बता दे प्याज की खेती में लागत कम ही लगती है और मुनाफा अच्छा खासा हो जाता है इसलिए किसान भाई इसकी ज्यादा खेती करते है.

Pyaj Ki Kheti
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अगर आप प्याज की खेती करने का मन बना रहे है तो फिर यह लेख आपके लिए बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि आज के इस लेख हम आपको प्याज की खेती से संबंधित कई आवश्यक जानकारी देंगे. जैसे कि- प्याज की जैविक खेती कैसे करे? प्याज की खेती का समय? प्याज की खेती के लिए उत्तम जलवायु? प्याज की खेती वाले राज्य? देशी प्याज की खेती? प्याज की खेती में खाद? प्याज की खेती में सिंचाई? प्याज की खेती में लागत व कमाई? Pyaj Ki Kheti आदि की पूरी जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी.

प्याज खेती की जानकारी

भारत में प्याज की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि व्यवसाय है जो भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है. इसकी खेती के लिए अच्छी जलवायु, अच्छी ड्रेनेज वाली मिट्टी और प्राथमिक खाद की आवश्यकता होती है. प्याज की सही देखभाल, उचित खरीदारी तंत्र और बाजार में बेचने की जानकारी सफल प्याज की खेती के लिए जरुरी है. इसके अलावा, प्याज की खेती कृषि अर्थव्यवसाय में रोजगार का अच्छा स्त्रोत भी प्रदान करती है.

प्याज की खेती को किसी भी उपजाऊ मिट्टी में उगाया जा सकता है, किंतु बलुई दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है. प्याज को कंद के रूप में उगाया जाता है, इसलिए जलभराव वाली भूमि में इसकी खेती नही करना चाहिए. इसकी फसल के लिए 6.5 से 7.5 पी.एच मान वाली भूमि की आवश्यकता होती है.

प्याज की खेती का समय

बता दे प्याज की खेती किसान रबी और खरीफ दोनों मौसम में कर सकते है. खरीफ के मौसम में प्याज की खेती के लिए किसान अगस्त से सितंबर माह के बीच में प्याज की रोपाई कर सकते है. वहीं, किसान रबी के मौसम में प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) जनवरी से फरवरी माह के बीच में कर सकते है. वैसे, रबी के मौसम में प्याज की खेती करना काफी उत्तम होता है. प्याज की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 120 से 140 दिनों का समय लगता है.

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प्याज की खेती वाले राज्य

भारत देश चीन के बाद प्याज उत्पादन में दूसरे स्थान पर है. देश में सालाना प्याज उत्पादन औसतन 2.25 से 2.50 करोड़ मिट्रिक टन के बीच है. वहीं, भारत में प्याज की सबसे ज्यादा खेती उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में की जाती है.

प्याज की खेती के लिए जलवायु

बता दे प्याज की खेती क्षेत्र के हिसाब से सर्द और गर्म दोनों ही जलवायु में की जा सकती है. वैसे, सर्द जलवायु में की गई प्याज की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त हो जाती है परंतु सर्दियों के मौसम में गिरने वाला पाला इसके पौधों के लिए हानिकारक होता है. प्याज की फसल अधिकतम 30 डिग्री तथा न्यूनतम 15 डिग्री तापमान ही सहन कर सकती है. प्याज की खेती के लिए तथा उसकी अच्छी ग्रोथ और पैदावार के लिए 15 से 20 डिग्री तापमान और कंद बनने की अवस्था में 20 से 27 डिग्री तापमान की जरूरत होती है.

प्याज की उन्नत किस्में

वर्तमान समय में जलवायु के हिसाब से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए कई उन्नत किस्मों को तैयार किया गया है. इसके अलावा, कुछ ऐसी भी किस्म है जिन्हे अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. प्याज की यह किस्में रबी और खरीफ की प्रजातियों में बाँटी गई है:

  • रबी प्याज की उन्नत किस्में: पूसा रतनार, पूसा रेड, भीमा रेड, भीमा शक्ति, एग्रीफाउंड रोज और एग्रीफाउंड लाइट रेड आदि
  • खरीफ प्याज की उन्नत किस्में: भीमा सुपर, पूसा व्हाइट राउंड, भीमा डार्क रेड और एग्रीफाउंड डार्क रेड आदि

गर्मी में प्याज की खेती

बता दे प्याज गर्मी के मौसम में अच्छी तरह से उगता है और इसमें आपको उपयुक्त मानसूनी बरसात का इंतजार करने की आवश्यकता नही होती है. इसमें खेत की तैयारी के लिए आपको उपयुक्त खाद और पानी की व्यवस्था करनी चाहिए. प्याज की रोपाई करते समय उनके बीच की दूरी का ध्यान रखना जरुरी है. इसके अलावा, यदि आपके क्षेत्र में अधिक गर्मी होती है तो फिर आपको प्याज की खेती नही करनी चाहिए. इस तरीके से खेती करने पर आपको अच्छा मुनाफा प्राप्त हो सकता है.

बरसाती प्याज की खेती

भारत देश में बरसाती प्याज की खेती करने के लिए खेत को बहुत अच्छे से तैयार करना जरुरी है. खेत तैयार करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखे कि खेत समतल या एकल ढ़लान वाला होना चाहिए, ताकि पानी का जमाव न हो. एक बार खेत तैयार होने के बाद इसमें मध्यम ऊंचाई की क्यारियां बनाई जाती है क्योंकि प्याज के पौधे इन्ही क्यारियों पर रोपित किए जाते है. क्यारी बनाते समय आप इस बात का अवश्य ध्यान रखे कि क्यारिया एकदम सीधी लाइन में होनी चाहिए.

हरी प्याज की खेती

बता दे हरे प्याज की खेती मुख्य रूप से सलाद, सूप और सब्जी के लिए की जाती है. यदि इसकी खेती मिट्टी, अनुशंसित किस्म को ध्यान में रखते हुए की जाए तो पैदावार अधिक होगी. साथ ही, हरे प्याज की खेती से काफी अच्छा मुनाफा भी मिल जाता है. हरे प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) में आपको शुरू में थोड़ी सी मेहनत जरूर करनी पड़ेगी. उसके बाद, इससे आप काफी लाभ प्राप्त कर सकते है क्योंकि बाजार में हरे प्याज की मांग काफी ज्यादा है.

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प्याज की खेती कैसे करे?

भारत में प्याज की खेती करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करे. इस तरीके से आप आसानी से प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) कर सकते है. साथ ही, अच्छी पैदावार भी पा सकते है. सही विधि से खेती के लिए इन चरणों का पालन करे:

  • प्याज की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए खेत की 3 से 4 बार गहरी जुताई कर कुछ समय के लिए खेत को खुला छोड़ दे.
  • रोपाई के 15 से 20 दिन पहले 300 से 500 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पुरानी गोबर की खाद खेत में डाल दे.
  • इसके बाद, खेत में पानी देकर पलेव करे.
  • पलेव करने के बाद खेत की ऊपरी सतह सूखी दिखाई देने लगे तब रोटावेटर की मदद से अच्छे से जुताई कर खेत की मिट्टी को भुर-भुरी बना ले.
  • मिट्टी के भुरभुरा होने के बाद उसमे पाटा लगाकर खेत को समतल कर ले.
  • अब समतल खेत में कंद रोपाई के लिए 1 फीट की दूरी रखते हुए मेडो को तैयार करे.
  • प्याज के बीजों की रोपाई पौधे के रूप में की जाती है. इसके कंदो को खेत में लगाने से पहले इसके पौधों को एक महीने पहले नर्सरी या अलग से खेत में तैयार कर ले.
  • इसके बाद, मेड पर पौधों को 5 से 7 सेंटीमीटर की दूरी पर लगा दे.
  • पौधे रोपाई के तुरंत बाद ही आपको एक हल्की सिंचाई कर देनी है.
  • इस फसल में आपको समय समय पर सिंचाई, खरपतवार, रोग प्रबंधन, खाद देने की आवश्यकता होगी.

प्याज की जैविक खेती

बता दे प्याज की जैविक खेती वर्तमान समय की आवश्यकता है क्योंकि प्याज का सीधा संबंध मानव स्वास्थ्य से जुड़ा है. इसका प्रयोग दैनिक भोजन में सब्जी, सलाद और मसाले के रूप में किया जाता है. प्याज की जैविक खेती सभी प्रकार कि भूमियों में की जा सकती है. प्याज की जैविक खेती में बीज का बड़ा महत्व है, यदि संभव हो सके तो जैविक प्रमाणित बीज का ही प्रयोग करे. प्याज की जैविक खेती में केमिकल तथा कीटनाशकों का उपयोग बिलकुल भी नही किया जाता. इसमें मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए जैविक कंपोस्ट, बायोफर्टीलाइजर और प्राकृतिक जीवामृत का भी उपयोग किया जाता है.

प्याज की खेती में सिंचाई

भारत में प्याज की खेती में सिंचाई के लिए ड्रिप विधि का उपयोग करना सबसे अच्छा माना जाता है. इसकी फसल को लगभग 8 से 10 सिंचाई की आवश्यकता होती है. इसकी खेती में पहली सिंचाई पौधा रोपाई के तुरंत बाद करे. इसके अलावा, फिर खेत में नमी बनाए रखने के लिए 1 महीने तक हल्की सिंचाई करते रहना है. इसके बाद जब कंद विकास करने लगे तो उस दौरान पौधों को 3 से 4 दिनों के अंतराल में पानी की जरूरत होती है. वैसे, प्याज की फसल को अन्य फसलों से सिंचाई की ज्यादा जरूरत होती है.

प्याज की खेती में खाद

इसकी खेती में जहां तक हो सके जैविक खाद का ही प्रयोग करे. यदि किसान रासायनिक खाद को भी शामिल करना चाहते है तो सिंगल सुपर फास्फेट, डीएपी, यूरिया, पकी हुई गोबर खाद डालकर खेत को रोटावेटर की मदद से मिट्टी की 2 से 3 पलटवार करवा ले या फिर बुवाई के समय प्रति हेक्टेयर की दर से 50 किलोग्राम नाइट्रोजन व 50 किलोग्राम फास्फोरस व 100 किलोग्राम पोटाश का छिडकाव करे.

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प्याज की खेती के फायदे

बता दे प्याज की खेती के फायदे विभिन्न पहलुओं में दिखाई देते है जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:

  • प्याज की खेती से आपको आर्थिक लाभ होता है क्योंकि प्याज एक महत्वपूर्ण व्यापारिक फसल है. इसका अच्छा मार्गदर्शन आपको अच्छा मुनाफा दिला सकता है.
  • प्याज का सेवन स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि यह विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सिदेंट्स से भरपूर होता है.
  • प्याज की खेती क्षेत्रीय जलवायु के लिए उपयुक्त हो सकती है. इसके अलावा, यह आपके क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा कर सकती है.

प्याज की खेती में रोग

भारत में प्याज की खेती के दौरान फसल में कई प्रकार के रोग लग सकते है जो उपयुक्त प्रबंधन के बिना उपज को प्रभावित कर सकते है. इनमे से कुछ रोग निम्नलिखित है:

  • जड़ सदन रोग
  • पौधा गलन रोग
  • थ्रिप्स
  • झुलसा रोग
  • तुलासिता

प्याज की खेती में लागत व मुनाफा

बता दे प्याज की खेती अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है. प्याज की खेती में लागत की बात करे तो रोपाई से लेकर कटाई तक की लागत यानि खर्च लगभग 50 से 70 हजार रुपए तक हो सकता है. वहीं, इसकी पैदावार की बात करे तो अगर आप प्याज की खेती 1 हेक्टेयर में करते है तो लगभग 200 से 250 क्विंटल की उपज आसानी से मिल जाएगी. अगर मुनाफा की बात करे तो भारतीय बाजार या मंडी में प्याज का भाव लगभग 2000 से 2500 रुपए/ प्रति क्विंटल के आसपास होता है यानी किसान भाई प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) करके आराम से 4 से 5 लाख रूपए कमा सकते है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

प्याज को बढ़ने में कितना समय लगता है?

प्याज की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 120 से 140 दिनों का समय लगता है तथा इसकी खेती खरीफ और रबी दोनो मौसम में कर सकते है.

1 बीघा में प्याज का कितना बीज लगता है?

यदि आप एक बीघा में प्याज की बुवाई करना चाहते है तो इसके लिए आपको लगभग एक किलोग्राम ब्याज के बीज की आवश्यकता होती है.

प्याज में यूरिया कब डालना चाहिए?

प्याज में यूरिया जुताई करते समय और फिर रोपाई के 1 माह बाद ही आपको इसकी फसल में यूरिया डालना चाहिए.

प्याज को फुलाने के लिए क्या डाले?

प्याज को फुलाने के लिए आपको कैल्सियम नाइट्रेड डालना चाहिए. उसी के साथ 1 लीटर पानी में 1 ग्राम बोरोन के साथ स्प्रे करना है.

प्याज में खरपतवार के लिए क्या करे?

प्याज की खरपतवार से मुक्त रखते के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करके खरपतवार को निकालते रहना चाहिए या फिर आप खरपतवार निकालने के लिए दवाइयों का भी उपयोग कर सकते है. इसके लिए आपको खरपतवारनाशी जैसे पेंडीमैथिलीने 30 ई.सी 1.3 लीटर प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोलकर रोपाई के 3 दिन के अंदर छिड़काव करे.

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