Til Ki Kheti: तिल की खेती कैसे करे? यहाँ समझे बुवाई से लेकर कटाई तक का प्रोसेस

Til Ki Kheti | तिलहन फसलों में तिल का अपना एक अहम स्थान है. बता दे इसका उत्पादन साल में 3 बार लिया जा सकता है. तिल की खेती कम पानी वाले क्षेत्रों में भी बड़ी आसानी से की जा सकती है क्योंकि इसकी खेती में सिंचाई के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नही होती है. तिलहनी फसलों में तिल की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि इसकी खेती कम समय में ही तैयार हो जाती है. इसके अलावा, तिल की खेती में लागत भी कम ही लगती है और मुनाफा अच्छा खासा हो जाता है.

Til Ki Kheti
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प्रिय किसान भाईयों, आज हम आपको इस लेख में बताने जा रहे है कि तिल की खेती कैसे करे? तिल की खेती के लिए जलवायु? तिल की खेती का समय? तिल की खेती वाले राज्य? तिल की जैविक खेती कैसे करे? तिल की खेती में खाद? तिल की खेती में लागत व मुनाफा? Til Ki Kheti आदि की विस्तारपूर्वक जानकारी आपको इस पोस्ट में मिलेगी.

तिल की खेती की जानकारी

भारत देश में तिल की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है. तिल अधिकतर तेल और प्रोटीन स्त्रोत के रूप में माना जाता है और इसकी खेती आर्थिक दृष्टि से भी फायदेमंद है. इसकी खेती के लिए उचित जलवायु और मिट्टी का चयन काफी अहम है. इसके अलावा तिल के बीज को बोने से पहले, मिट्टी को अच्छे से तैयार कर लेना चाहिए. तिल की खेती में उन्नत तकनीकों का प्रयोग करके किसानों को अधिक उत्पादन मिल सकता है.

इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है जिसका पी.एच मान 6.5 से 7.5 के बीच में हो. इसके अलावा, आप तिल की खेती को बलुई दोमट मिट्टी और काली मिट्टी में भी कर सकते है परंतु उचित जलनिकासी वाली जमीन इसकी खेती के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है.

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तिल की खेती का समय

बता दे तिल की बुवाई का उचित समय मानसून की पहली वर्षा के बाद, जुलाई महीने के पहले सप्ताह में इसकी बुवाई की जा सकती है. यदि आप बुवाई सही समय पर नही करते है तो उत्पादन में कमी हो सकती है. तिल के बीजों की बुवाई सीधी लाइनों में करनी चाहिए. लाइन से लाइन की दूरी लगभग 30 से 40 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 से 12 सेंटीमीटर तक रखनी चाहिए.

तिल की खेती करने वाले राज्य

हमारे भारत देश में तिल की खेती सर्वाधिक राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना में होती है. वैसे, इनमे से सबसे अधिक तिल का उत्पादन उत्तर प्रदेश के बुदेलखंड में होता है.

तिल की खेती के लिए जलवायु

बता दे तिल के पौधे को उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है इसलिए इसे खरीफ सीजन के साथ गर्मियों में भी उगाया जा सकता है. गर्म जलवायु में इसके पौधे का विकास अच्छी तरह से होता है. वैसे, इसके पौधे को सामान्य तापमान की जरूरत होती है. इसके पौधे 35 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान को आसानी से सहन कर सकते है.

तिल की उन्नत किस्में

भारत में तिल की खेती (Til Ki Kheti) से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए आपको क्षेत्र की जलवायु एवं मिट्टी के अनुसार ही अनुमोदित किस्मों का चयन करना चाहिए. तिल की कई किस्में बाजार में उपलब्ध है जिसकी जानकारी आपको नीचे दी गई है:

  • टी.सी 25
  • टी. 13
  • आर.टी 127
  • टी.एम.वी 4, 5, 6
  • आर.टी 46
  • टी. 78
  • आर.टी 346
  • पंजाब तिल 1
  • चीलका रामा
  • गुजरात तिल 4
  • हरियाणा तिल 1
  • सी.ओ 1
  • तरुण
  • सूर्या
  • बी 67
  • शेखर
  • सोमा

ग्रीष्मकालीन तिल की खेती

गर्मियों में तिल की खेती की जा सकती है लेकिन, इस समय आपको फसल का उचित ध्यान रखना होगा. गर्मी के दिनों में इसकी बुवाई मार्च से अप्रैल माह के बीच कर लेनी चाहिए. तिल के बीज को बोते समय जमीन का तापमान, पानी की आपूर्ति और रोशनी का ध्यान रखना अत्यधिक जरुरी होता है. वैसे, आपके क्षेत्र की भूमि और मौसम के अनुसार स्थानीय किसानों या कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेना फायदेमंद साबित होगा.

सफेद तिल की खेती

बता दे सफेद तिल की खेती एक लाभकारी कृषि प्रणाली है जिसकी खेती विभिन्न क्षेत्रों में की जा सकती है. इसकी खेती के लिए सही मिट्टी का चयन और प्रबंधन, समुचित जल संचारण और उचित मात्रा में बीज बोने की आवश्यकता है. इसके पौधे को विकास के लिए उचित पोषण और समय पर सिंचाई की आवश्यकता होती है. इस फसल का सही समय पर कटाई करना भी महत्वपूर्ण है ताकि उच्च गुणवत्ता वाले दाने प्राप्त हो सके. सफेद तिल की खेती में आपको थोड़ी ज्यादा देख रेख करने की भी जरुरत होती है.

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तिल की खेती कैसे करें?

बता दे तिल की खेती करके आसानी से आप मोटा मुनाफा कमा सकते है. तिल की खेती (Til Ki Kheti) करने के लिए निम्न चरणों का पालन करे:

  • तिल की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले भूमि को अच्छे से तैयार कर लेना है.
  • इसके लिए आपको एक बार गहरी जुताई करनी है.
  • फिर आपको आवश्यकता अनुसार सड़ी गोबर की खाद डाल देनी है.
  • अब आपको कुछ समय के लिए खेत को खाली छोड़ देना है.
  • बुवाई के 15 दिन पहले एक बार पुनः गहरी जुताई कर ले ताकि मिट्टी में पोषण बरक़रार रहे.
  • इसके बाद, खेत को समतल कर लेना है ताकि जलभराव न हो.
  • बीजों का सही चयन करे ताकि आपको अच्छी पैदावर मिले. ध्यान रखे आपको प्रमाणित बीजों का ही चयन करना है.
  • सही समय आने पर ही आपको बुवाई करनी है.
  • ध्यान रहे कि बीजों को सीड ड्रिल या फिर छिड़काव विधि से ही बोना है.
  • 8 से 10 दिनों में ही तिल के बीज पूरी तरह से अंकुरित हो जाएंगे और पौधे बाहर निकलने लगेंगे.
  • अब आपको समय- समय पर सिंचाई करनी है.

तिल की जैविक खेती

अगर आप तिल की जैविक खेती करना चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती जैविक विधि से करनी चाहिए. जानकारी के लिए बता दे कि जैविक खेती एक सुरक्षित तरीका है जिसमे केवल प्राकृतिक तत्वों का ही उपयोग किया जाता है. इसमें केमिकल तथा कीटनाशकों का उपयोग बिलकुल भी नही किया जाता.

तिल की खेती में सिंचाई

यदि आप बारिश के मौसम में तिल की खेती कर रहे है तो फिर इस मौसम में तिल की फसल को सिंचाई की कम आवश्यकता पड़ती है. यदि आपके क्षेत्र में लंबे समय तक वर्षा नही होती है तो फिर आपको एक हल्की सिंचाई कर देनी है और गर्मी के मौसम में आपको 5 से 6 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना जरुरी है.

तिल की खेती में खाद

बता दे तिल की खेती में उर्वरक का उपयोग आवश्यक है. मिट्टी की जांच संभव न होने की अवस्था में सिंचित क्षेत्रों में 40 से 45 किलोग्राम नाइट्रोजन, 25 से 30 किलोग्राम फास्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर देनी चाहिए. इसके अलावा, वर्षा आधारित फसल में 25 किलोग्राम नाइट्रोजन और 20 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की मात्रा का उपयोग करना जरुरी है.

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तिल की खेती से लाभ

हमारे देश में तिल की खेती से आपको कई तरह के लाभ हो सकते है, जिसकी विस्तार सहित जानकारी नीचे पॉइंट्स में दी गई है जो कुछ इस प्रकार से है:

  • बता दे तिल एक मुख्य तेलीय बीज है जिससे तिल का तेल निकाला जा सकता है. यह व्यापारिक रूप से बिक सकता है और किसानों को आर्थिक लाभ हो सकता है.
  • तिल की खेती एक अच्छी पूर्ण फसल प्रणाली का हिस्सा बना सकती है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है.
  • तिल के बीज में प्रोटीन और खनिजों की समृद्धि होती है.

तिल की खेती में लागत व कमाई

यदि आप तिल की खेती 1 हेक्टयर के खेत में करते है तो फिर आपको 8 से 10 क्विंटल की पैदावार मिल सकती है. वैसे, पैदावार किस्म के ऊपर भी निर्भर करती है. बता दे तिल का बाजारी भाव 10 से 12 हजार रुपए प्रति क्विंटल के बीच ही रहता है. इसके हिसाब से किसान 1 हेक्टयर के खेत से लगभग 1 लाख रुपए आसानी से कमा सकते है. वहीं, यदि लागत की बात करे तो, इसकी खेती में लगभग 20 से 25 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की लागत आती है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

काले तिल की खेती कब होती है?

काले तिल की खेती खरीफ मौसम में की जाती है. इसकी बुवाई जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के मध्य तक करनी चाहिए.

तिल में कौनसा विटामिन पाया जाता है?

तिल में विटामिन बी और विटमिन ई पाया जाता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. यह स्किन व बालो के लिए काफी फायदेमंद होते है.

तिल कितने दिन में तैयार होता है?

तिल की खेती को तैयार होने में लगभग 80 से 90 दिनों का समय लगता है. वैसे, फसल तैयार होने का समय किस्म के ऊपर भी निर्भर होता है.

1 किलोग्राम तिल से कितना तेल मिलता है?

बता दे, एक किलोग्राम तिल से लगभग 0.5 किलोग्राम यानी आधा किलो तेल मिलता है. तेल की मात्रा बीज के ऊपर भी निर्भर करती है.

एक बीघा में तिल्ली कितनी होती है?

यदि आप 1 बीघा में तिल की खेती करते है तो इसमें आपको 3 से 4 क्विंटल तक तिल की पैदावार हो सकती है. बुवाई के समय आपको ध्यान रखना है कि बीज की मात्रा 2 से 2.5 किलोग्राम प्रति बीघा हो.

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