Kaju Ki Kheti: काजू की खेती कैसे करे? एक बार की फसल से होगी 40 लाख की कमाई

Kaju Ki Kheti | काजू की व्यावसायिक खेती दिनों- दिन लगातार बढ़ती ही जा रही है क्योंकि अब किसान काजू की खेती को लेकर जागरूक हो गए है. अब उन्हें मालूम हो गया है कि इस खेती से अच्छा मुनाफा लिया जा सकता है. अब देश में ही नही बल्कि विदेशी बाजारों में भी काजू की अच्छी मांग है जिसके कारण किसानों को उनकी काजू फसल पर अच्छा भाव भी मिल जाएगा. बता दे, काजू एक प्रकार का पेड़ होता है जिसके फल सूख जाने के बाद मेवे के रूप में उत्पादन देते है और काजू सूखे मेवे के लिए बहुत ही लोकप्रिय माना जाता है.

Kaju Ki Kheti
Kaju Ki Kheti

अगर आप एक प्रगतिशील किसान है तो फिर आपको इस बार काजू की खेती करना चाहिए क्योंकि इस खेती में लागत भी कम ही लगती है और मुनाफा ज्यादा मिलता है. इस लेख में हम आपको काजू की खेती का समय? काजू की खेती के लिए जलवायु? काजू की वैज्ञानिक खेती? काजू की खेती कैसे करें? काजू की जैविक खेती? काजू की खेती में लागत व मुनाफा, Kaju Ki Kheti आदि की विस्तारपूर्वक जानकारी आपको इस पोस्ट में मिलेगी.

काजू की खेती की जानकारी

भारत में काजू की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि है जो व्यापक रूप से की जाती है. इसका वैज्ञानिक नाम “Anacardium Occidentale” है. काजू में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते है जो मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते है. काजू का पेड़ लगभग 15 से 16 मीटर तक लंबा होता है तथा इसके पेड़ फल देने के लिए लगभग 3 वर्ष का समय लेते है. इसकी खेती आपके क्षेत्र की जलवायु, तापमान और भूमि के अनुसार की जाती है. इसकी खेती के लिए आपको नियमित पानी, खाद और प्राकृतिक रोगनाशकों का उपयोग करना चाहिए.

काजू की खेती में समुद्रीय तलीय लाल और लेटाराइट मिट्टी को फसल के लिए अच्छा माना जाता है. इसी कारण से दक्षिण भारत में समुद्रीय तटीय क्षेत्रों में इसकी ज्यादा पैदावार होती है. इसके अलावा, इसकी खेती को अच्छी देख-रेख के साथ कई तरह की मिट्टियों में भी उगाया जा सकता है.

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काजू की खेती का समय

यदि आप काजू की खेती (Kaju Ki Kheti) करना चाहते है तो फिर आपको इसके पौधों का रोपण जून-जुलाई में बारिश के मौसम में ही करना चाहिए क्योंकि वर्षा के समय पौधे का विकास जल्दी होता है. इसके बाद, थाला बनाना चाहिए और फिर समय-समय पर थालो में खरपतवार की निराई-गुड़ाई भी करते रहना चाहिए.

काजू की खेती करने वाले राज्य

बता दे काजू की खेती गोवा, केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तामिलनाडु और बंगाल में बड़े पैमाने पर की जाती है. वैसे, झारखंड राज्य के कुछ जिलो में भी इसकी खेती होती है. अब तो काजू की खेती मध्य प्रदेश और कई अन्य राज्यों में भी होने लगी है.

काजू की खेती के लिए जलवायु

जानकारी के लिए बता दे, काजू की खेती में उष्णकटिबंधीय जलवायु को सबसे अच्छा माना जाता है तथा गर्म और आद्र जलवायु जैसे क्षेत्रों में इसकी पैदावार काफी अच्छी होती है. शुरुआत में इसकी खेती को 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है. इसके बाद, जब इसके पौधों में फूल लगने लगते है तब इन्हे शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है. वहीं, जब इसके फल पकने लगते है तब इन्हे 30 से 35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.

काजू की उन्नत किस्में

आज के समय बाजारों में काजू की कई किस्म देखने को मिल जाती है. परंतु किसान भाईयों को केवल उन्नत किस्म को ही खरीदना चाहिए जो आपके क्षेत्र की जलवायु में अच्छा उत्पादन दे सके. यहां नीचे आपको काजू की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी दी गयी है, जोकि इस प्रकार है:

  • बी.पी.पी 1
  • बी.पी.पी 2
  • गोआ 1
  • वेंगुरला 1- 8
  • वी.आर.आई 1-3
  • उलाल 1, 2
  • अनकायम 1
  • धना
  • प्रियंका
  • कनका
  • अनक्कायम 1
  • बी.एल.ए 39-4
  • एन.डी.आर 2-1

काजू की जैविक खेती

बता दे काजू की जैविक खेती में सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार किया जाता है. इसके लिए खेत में खाद और कम्पोस्ट को उचित मात्रा में डाला जाता है. इस विधि में उचित बीज या पौधों का चुनाव और खरपतवार नियंत्रण किया जाता है. सभी उपयुक्त जैविक उर्वरकों का प्रयोग व्यापक रूप से किया जाता है ताकि काजू का विकास और उपज को सुनिश्चित किया जा सके.

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काजू की खेती कैसे करे?

यदि आप काजू की खेती से अच्छा उत्पादन चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती सही विधि से करनी चाहिए. सही विधि से काजू की खेती (Kaju Ki Kheti) करने के लिए नीचे दी गई बातो को अवश्य ध्यान में रखे:

  • काजू की खेती के लिए सबसे पहले खेत में मौजूद पुरानी फसलों के अवशेषों को हटाकर खेत की गहरी जुताई करे.
  • उसके बाद, खेत में कल्टीवेटर के माध्यम से 2 से 3 अच्छी तिरछी जुताई कर देनी है.
  • जुताई के बाद खेत में पाटा लगाकर उसे समतल बना दे.
  • समतल करने के बाद उसमे 10 से 12 फीट की दूरी छोड़ते हुए पंक्तियों में गड्डे तैयार करे.
  • गड्डे तैयार करते समय ध्यान रखे कि गड्डे का आकार 1 मीटर चौड़ा और 1 मीटर गहरा होना चाहिए.
  • जब गड्डे पूरी तरह से तैयार हो जाए तब आपको इन गड्डे में पुरानी गोबर की खाद को उचित मात्रा में मिलाना है.
  • इसके बाद, इन गड्डे में काजू के पौधे की रोपाई कर दे.
  • काजू का पौधा आप नर्सरी में तैयार कर सकते है या फिर खरीद कर भी पौधे की रोपाई कर सकते है. वैसे, आप सीधे बीजों के माध्यम से भी बुवाई कर सकते है परंतु इसमें आपको थोड़ा ज्यादा समय लगेगा.
  • जब आप पौधे की रोपाई कर दे तो इसके तुरंत बाद आपको एक हल्की सिंचाई कर देनी है.
  • इसके बाद, आपको नियमित खाद और सिंचाई का विशेष ध्यान रखना है.

देसी काजू की खेती

भारत में देसी काजू की खेती एक लाभकारी कृषि है जो देश के विभिन्न भागों में की जाती है. काजू के पेड़ो की वृद्धि शुष्क और गर्म जलवायु क्षेत्रों में अच्छी तरह से होती है. काजू की खेती में प्रमुख ध्यान वहां की मिट्टी, व्यावसायिक पोषण, सिंचाई प्रबंधन और समय पर उचित प्रकार की कटाई आदि पर दिया जाता है. इसके अलावा, काजू के पेड़ो की सही प्रक्रिया के लिए विशेषज्ञ सलाह लेना भी महत्वपूर्ण है.

काजू की वैज्ञानिक खेती

बता दे काजू की वैज्ञानिक खेती एक महत्वपूर्ण गतिविधि है जो खेतीकारों को अच्छे लाभ दिलाने में मदद कर सकती है. इसकी वैज्ञानिक खेती में कुछ मुख्य तथ्य होते है जैसे कि भूमि, उचित दिन का तापमान और पोषण मूल्य इत्यादि. इसकी खेती में सही जल संचालन और पौधों के संरक्षण के लिए भी विशेष ध्यान देना चाहिए. काजू के पौधों को मजबूती देने के लिए आवश्यकता अनुसार खाद देना भी जरुरी होता है. इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए काजू की वैज्ञानिक खेती की जाती है.

काजू की खेती में सिंचाई

देश में काजू की खेती वर्षा मौसम में होती है इसलिए इस समय इसके पौधे को ज्यादा पानी की आवश्यकता नही होती है. बारिश के मौसम के बाद इसके पौधे की सर्दियों में 10 से 12 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए और गर्मी के मौसम में 4 से 5 दिनों के अंतराल में सिंचाई कर देनी चाहिए.

काजू की खेती में खाद

प्रति वर्ष पौधे को 10 से 12 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद देना चाहिए. पहले साल में 300 ग्राम यूरिया, 200 ग्राम फास्फेट, 70 ग्राम म्यूरेट ओर पोटाश प्रति पौधे की दर से देना चाहिए. इसके अलावा, दूसरे साल में इसकी मात्रा डबल कर देनी चाहिए और तीसरे साल के बाद पौधों को 11 किलोग्राम यूरिया, 600 ग्राम फास्फेट तथा 200 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति वर्ष देना चाहिए.

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काजू की खेती से लाभ

बता दे काजू की खेती (Kaju Ki Kheti) से कई लाभ हो सकते है परंतु कुछ प्रमुख लाभों की जानकारी नीचे सूची में दी गई है, जो की कुछ इस प्रकार से है:

  • काजू की खेती से आपको अच्छा आर्थिक लाभ हो सकता है क्योंकि काजू एक महंगा और प्रसिद्ध फल है जिसकी बाजार में ज्यादा मांग है.
  • काजू के पेड़ जल संवर्धन में मदद कर सकते है और इससे भूमि को बनाए रखने में भी मदद होती है.
  • किसान भाईयो के लिए काजू की खेती विशेष रूप से लाभकारी हो सकती है जो उन्हें समृद्धि और स्थिरता प्रदान कर सकती है.

काजू की खेती की लागत व मुनाफा

बता दे काजू की खेती में 1 से 2 लाख रुपए/ प्रति हेक्टेयर तक का खर्च आ जाता है जो आपको केवल पहले वर्ष ही खर्च करना पड़ता है. वहीं, भारतीय बाजारों में काजू का भाव 1000 से 1200 रुपए/ प्रति किलोग्राम है. इसके चलते यदि आप एक हेक्टेयर में इसकी खेती करते है तो 300 से 350 पेड़ लग सकते है, प्रत्येक पेड़ से लगभग 10 से 15 किलोग्राम फल निकलता है. इसके चलते आप एक हेक्टर खेत से करीब 25 से 35 लाख रुपए आसानी से कमा सकते है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

काजू के पेड़ कैसे दिखते है?

काजू का पेड़ एक बड़ा सदाबहार होता है जोकि लगभग 15 मीटर तक लंबा होता है. इसका तना छोटा, अक्सर अनियमित आकार का होता है.

खराब काजू की पहचान कैसे करे?

अच्छे काजू को सूंघने में सैंधी और भीनी की खुशबू आती है और खराब काजू में तेल की खुशबू आती है. खराब काजू को पहचानने के लिए यह तरीका एकदम सही है.

काजू का पेड़ कितने साल में फल देता है?

काजू का पेड़ लगभग 3 साल में फल देने लग जाता है परंतु शुरुआती समय में इसके पौधे को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता होती है.

काजू का पेड़ कितने साल तक रहता है?

काजू के पेड़ की उम्र लगभग 20 से 30 वर्ष तक की हो सकती है और कई काजू के पेड़ कुछ स्थानों पर अधिक से अधिक 40 वर्ष तक जीवित रहते है.

काजू की खेती में कौन सी मिट्टी में होती है?

समुद्र तटीय प्रभाव वाले लाल एंव लेटराइट मिट्टी वाले क्षेत्र काजू की खेती के लिए ज्यादा उपयुक्त होते है.

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