Arbi Ki Kheti: अरबी की खेती कैसे करे? कम खर्चे में करे 6 लाख तक की गाढ़ी कमाई

Arbi Ki Kheti | अरबी कंद वाली सब्जी के रूप में जानी जाती है तथा इसको घुईया, अरुई, कोचई आदि नामों से भी जाना जाता है. बता दे कि यह एक सदाबहार जड़ी-बूटी वाला पौधा है जोकि उष्ण और उप-उष्ण क्षेत्रों में उगाया जाता है. इसका वानस्पतिक नाम “कोलोकेसिया एस्कुलेंटा” है और यह ऐरेसी कुल का पौधा है. अरबी का बड़े स्तर पर उपयोग होने से इसकी बाजार में लगातार मांग बनी रहती है, इसी वजह से इसकी खेती करना किसानों के लिए मुनाफा का सौदा है.

Arbi Ki Kheti
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अगर आप अरबी की खेती करने का मन बना रहे है तो फिर यह लेख आपके लिए बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि आज के इस लेख हम आपको अरबी की खेती से संबंधित कई आवश्यक जानकारी देंगे. जैसे कि- अरबी की जैविक खेती कैसे करे? अरबी की खेती का समय? अरबी की खेती के लिए उत्तम जलवायु? अरबी की खेती वाले राज्य? अरबी की खेती में खाद? अरबी की खेती में सिंचाई? अरबी की खेती में लागत व कमाई? Arbi Ki Kheti आदि.

अरबी की खेती की जानकारी

अरबी को अंग्रेजी में “कोलोकेशिया” भी बोला जाता है. यह एक महत्वपूर्ण फसल है जो भारत में व्यापक रूप से उगाई जाती है. इसकी खेती मुख्य रूप से गर्मी के मौसम में होती है और यह उच्च तापमान तथा नमी को पसंद करती है. बता दे, इसकी खेती में अच्छी ड्रेनेज और सही खाद एवं पानी प्रबंधन की आवश्यकता होती है. अरबी की सही देखभाल, उचित खरीदारी तंत्र और बाजार में बेचने की जानकारी सफल अरबी की खेती के लिए जरुरी है.

आपकी जानकारी के लिए बता दे, अरबी की खेती किसी भी तरह की उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है परंतु इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली भूमि की आवश्यकता होती है. वैसे, बलुई दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है. इसकी खेती में भूमि का पी.एच मान 6 से 7 के बीच ही होना चाहिए, यदि पी.एच मान इससे कम या फिर ज्यादा रहता है तो उस भूमि में आपको अरबी की खेती नही करनी चाहिए.

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अरबी की खेती का समय

क्या आपको पता है, अरबी की खेती खरीफ और रबी दोनों ही मौसम में की जा सकती है. खरीफ की फसल की बुवाई जुलाई माह में की जाती है जोकि दिसंबर से जनवरी माह तक पूरी तरह से तैयार हो जाती है. वहीं, रबी सीजन की फसल अक्टूबर महीने में लगाई जाती है जोकि अप्रैल से मई माह तक पूरी तरह से तैयार हो जाती है.

अरबी की खेती के लिए जलवायु

उष्ण और समशीतोष्ण जलवायु को अरबी की खेती (Arbi Ki Kheti) के लिए उपयुक्त माना जाता है. वैसे, इसके पौधे बारिश और गर्मियों के मौसम में अच्छे से विकास करते है परंतु अधिक गर्मी और सर्द जलवायु इसके पौधे के लिए हानिकारक होती है. इसके अलावा, सर्दियों में गिरने वाला पाला भी इसके पौधों की वृद्धि को रोक देता है. ध्यान रहे कि अरबी के कंद अधिकतम 35 डिग्री तथा न्यूनतम 20 डिग्री तापमान में ही अच्छे से वृद्धि करते है.

अरबी की खेती करने वाले राज्य

भारत देश के लगभग सभी राज्यों में अरबी की खेती की जाती है. वैसे, इसकी खेती सबसे ज्यादा पंजाब, मणिपुर, असम, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, केरल, उतराखंड और तेलंगाना जैसे प्रदेशों में मुख्य रूप से की जाती है.

अरबी की उन्नत किस्में

वर्तमान समय में अलग- अलग जगहो पर अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए अरबी की कई उन्नत किस्मों को तैयार किया गया है जिन्हे उगाकर किसान भाई अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते है. कुछ अरबी की उन्नत किस्में इस प्रकार है:

  • इंदिरा अरबी 1
  • नरेंद्र अरबी
  • बिलासपुर अरुम
  • आजाद अरबी
  • राजेंद्र अरबी
  • व्हाइट गौरेया
  • पंचमुखी अरबी
  • मुक्तकेशी

अरबी की वैज्ञानिक खेती

बता दे, अरबी की वैज्ञानिक खेती समर्थन, उच्च उत्पादकता और प्रबंधन की विशेषता को ध्यान में रखकर किया जाता है. अरबी को अधिकतर उच्च तापमान और सूखे क्षेत्रों में उगाया जाता है. इसके लिए उचित बीज का चयन और पानी का सही प्रबंधन करना जरुरी है. विशेषज्ञ तकनीकियों का अनुसरण और स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर अरबी की वैज्ञानिक खेती उत्कृष्ट उत्पादकता और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकती है.

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अरबी की खेती कैसे करे?

यदि आप अरबी की खेती सही तरीके से करते है तो इससे आपको अच्छा उत्पादन मिलेगा. अगर आप अरबी की खेती (Arbi Ki Kheti) सही विधि से करना चाहते है तो निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करे:

  • अरबी की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लेना है.
  • इसके लिए आपको खेत की अच्छे से गहरी जुताई करनी है. जुताई से मिट्टी का पलटाव अच्छे से हो जाएगा. वहीं, इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बरक़रार रहती है.
  • इसके बाद, पाटा की मदद से खेत को समतल कर ले ताकि जलभराव की समस्या ना हो.
  • अब उचित मात्रा में गोबर खाद या कंपोस्ट खाद डाले.
  • इसके बाद, एक बार पुनः जुताई करे. इससे खाद व मिट्टी अच्छे से मिल जाएंगे और भूमि को पोषण मिलेगा.
  • फिर खेत में पौधों की रोपाई के लिए मेड को तैयार करे.
  • अरबी के बीजों की रोपाई अदरक के रूप में की जाती है. बता दे, इसके लिए छोटे अरबी के कंदो को खेत में लगाया जाता है.
  • कंदो की रोपाई के लिए समतल भूमि में एक फीट की दूरी रखते हुए मेड़ो को तैयार कर ले तथा प्रत्येक मेड की चौड़ाई एक फीट तक रखे.
  • इसके बाद, कंदो को 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी रखते हुए 4 से 6 सेंटीमीटर की गहराई में लगाए.
  • रोपण करने के बाद समय- समय पर सिंचाई और खरपतवार करते रहे.
  • यदि आप खरपतवार और सिंचाई पर विशेष ध्यान नही देंगे तो इससे पौधे में समय के अनुसार विकास नही हो पाएगा.

अरबी की जैविक खेती

हमारे भारत देश में अरबी की जैविक खेती एक सुस्त और प्राकृतिक तरीके से उत्पन्न अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों की खेती का एक प्रमुख तरीका है. इसमें किसानों को शानदार उपज मिलती है, जिसे बाजार में आकर्षक मूल्य पर बेचा जा सकता है.

बता दे, अरबी की जैविक खेती में केवल प्राकृतिक उर्वरकों का ही उपयोग होता है. ख़ास बात यह है कि इससे पृथ्वी को कोई हानि नहीं पहुचती और पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है. बिना किसी कीटाणुनाशक या हानिकारक रसायनों के अरबी की जैविक खेती से उत्पन्न अरबी स्वास्थ्य के लिए भी काफी सुरक्षित होती है.

अरबी की खेती में सिंचाई

अरबी पौधे के अंकुरण के समय आपको खेत में नियमित हल्की सिंचाई करते रहना है. बुवाई के तुरंत बाद खेती में हल्की सिंचाई करे जिससे अरबी की अंकुरित क्षमता बढ़ेगी. इसके बाद, समय के अनुसार सिंचाई करे. गर्मी के समय 4 से 5 दिनों के अंतराल पर तथा सर्दी के समय 7 से 8 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करे.

अरबी की खेती में खाद

बता दे, अरबी के उचित उत्पादन हेतु 150 से 200 क्विंटल/ प्रति हैक्टेयर गोबर की खाद को खेत तैयार करते समय देनी चाहिए. इसके अतरिक्त 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस तथा 100 किलोग्राम ग्राम पोटाश/ प्रति हैक्टेयर के हिसाब से खेत तैयार करते समय देना चाहिए. इसके बाद, 50 किलोग्राम नाइट्रोजन खेत में एक माह के बाद डाले.

अरबी के पौधे में रोग

अरबी के पौधे में विभिन्न प्रकार के रोग लग सकते है:

  • पीलापन
  • मुरझाना
  • डाईबैक
  • गॉल्स
  • ब्लाइट

अरबी की खेती से लाभ

बता दे, अरबी की खेती (Arbi Ki Kheti) कई तरह के लाभ प्रदान कर सकती है, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:

  • अरबी की खेती से आर्थिक लाभ होता है क्योंकि यह एक लाभकारी फसल है और बाजार में अच्छे मूल्य पर बेची जा सकती है.
  • अरबी का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है. अरबी के कंद में मुख्य रूप से स्टार्च होता है जबकि पत्तियों में विटामिन ए, कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन होता है.
  • अरबी की खेती कृषि संवर्धन को बढ़ावा देती है और किसानों को अधिक आय के अवसर भी प्रदान करती है.

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अरबी की खेती में लागत व मुनाफा

बता दे, अरबी की खेती अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है. अरबी की खेती में लागत की बात करे तो रोपाई से लेकर कटाई तक की लागत यानि खर्च लगभग 70 से 80 हजार रुपए/ प्रति हेक्टेयर तक हो सकता है. वहीं, इसकी पैदावार की बात करे तो अगर आप अरबी की खेती 1 हेक्टेयर में करते है तो आपको लगभग 150 से 200 क्विंटल की उपज आसानी से मिल जाएगी.

अगर मुनाफा की बात करे तो भारतीय बाजार या मंडी में अरबी का भाव लगभग 3000 से 4000 रुपए/ प्रति क्विंटल के आसपास होता है. इसके हिसाब से यानी किसान अरबी की खेती (Arbi Ki Kheti) करके आराम से 5 से 6 लाख रूपए कमा सकते है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

अरबी कितने दिन में तैयार हो जाती है?

अरबी कितने दिनों में तैयार हो सकती है यह उसके किस्म के ऊपर निर्भर होता है. आमतौर पर इसे तैयार होने में लगभग 130 से 140 दिनों का समय लगता है.

अरबी के पौधे को जल्दी अंकुरित कैसे करे?

यदि आप अरबी के पौधे को जल्दी से अंकुरित करना चाहते है तो इसके लिए आपको खेत में नमी बनाए रखनी होगी. नमी बनाए रखने से पौधा जल्दी अंकुरित होता है.

अरबी की खुदाई कब होती है? 

अरबी की खुदाई करने का सबसे अच्छा समय तब होता है, जब अरबी के पत्ते सूखने लग जाए. आपको पत्ते सूखने के बाद ही अरबी की खुदाई करनी चाहिए.

अरबी में कौनसा विटामिन होता है?

अरबी में मुख्य रूप से Vitamin A, Vitamin B, Vitamin C, मैग्नेशियम और कैल्शियम जैसे कई पोषक तत्व होते है.

अरबी के पौधों में रोग के 5 लक्षण क्या है? 

अरबी के पौधे में रोग के लक्षण निम्नलिखित है जैसे कि पीलापन, मुरझाना, डाईबैक, गॉल्स या ब्लाइट आदि शामिल है.

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