Sitafal Ki Kheti: सीताफल की खेती कैसे करे? एक बार की लागत से 30 साल तक कमाई का मौका

Seetafal Ki Kheti | सीताफल को शरीफा फल भी कहते है, यह एक अत्यंत स्वादिष्ट और मीठा फल होता है. इसमें मौजूद विटामिन, मिनरल्स और फाइबर की प्रचुर मात्रा की वजह से बाजार में इसकी काफी अच्छी मांग है. सीताफल को सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाला पेड़ माना जाता है क्योंकि किसान इस पेड़ की एकबार बागवानी कर लगभग 25 से 30 वर्षो तक अच्छा उत्पादन ले सकता है. प्रिय किसान भाईयों, यदि आप सीताफल की खेती वैज्ञानिक विधि से करते है तो फिर आपको इसकी अच्छी पैदावार मिल सकती है.

Sitafal Ki Kheti
Sitafal Ki Kheti

सीताफल की खेती भी मुनाफे वाली खेती में से एक है. अगर आप भी इसकी खेती करना चाहते है तो फिर आपके लिए यह लेख बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि इस लेख में हम आपको- सीताफल की खेती कैसे करे? सीताफल की खेती के लिए उत्तम जलवायु? सीताफल की खेती में सिंचाई? सीताफल की खेती के लाभ? Sitafal Ki Kheti आदि की पूरी जानकारी देंगे.

सीताफल की खेती की जानकारी

हमारे देश भारत में सीताफल की खेती व्यापक रूप से की जाती है. इसकी खेती के लिए उचित जलवायु, मिट्टी और उपयुक्त पोषण की आवश्यकता होती है. वहीं, इसे गर्म और उमस से भरा हुआ मौसम पसंद होता है तथा इसके पौधे को नियमित रूप से पानी देना आवश्यक है और पोषण की देखभाल के लिए उपयुक्त उर्वरकों का उपयोग किया जा सकता है. उचित प्रबंधन के साथ, सीताफल की खेती (Sitafal Ki Kheti) से अच्छा उत्पाद क्षमता प्राप्त की जा सकती है. सीताफल की खेती की पूरी प्रक्रिया में बुआई से लेकर पौधरोपण, पानी प्रबंधन, उर्वरक का उपयोग और सही समय पर प्रोफिंग जैसे कई कदम शामिल होते है.

सीताफल की खेती सामान्यतः सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है परंतु अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी को इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है. इसकी खेती करने से पहले आपको मिट्टी की जांच करवा लेनी है और ध्यान रहे कि मिट्टी का पी.एच मान 6 से 7 के बीच ही होना चाहिए.

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सीताफल की खेती का समय

अगर सीताफल की खेती के समय की बात करे तो, इसके पौधों को लगाने के लिए जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त होता है क्योंकि इस दौरान वर्षा ऋतु का मौसम होता है और पौधों को विकास के लिए उचित वातावरण मिल जाता है. पौधे रोपाई के 3 से 4 साल बाद, सीताफल का पौधा उत्पादन के लिए तैयार हो जाता है. वैसे, इस दौरान पौधा करीबन 5 से 7 मीटर की ऊंचाई भी प्राप्त कर लेता है.

सीताफल की खेती वाले राज्य

बता दे कि सीताफल जिसे शरीफा का एक जंगली फल के रूप में भी जाना जाता है. इसकी खेती भारत में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, उड़ीसा, तेलंगाना, असम, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तामिलनाडु राज्य में की जाती है.

सीताफल की खेती के लिए जलवायु

हमारे देश में सीताफल की खेती (Sitafal Ki Kheti) के लिए उष्णकटिबंधीय व उपोष्णकटिबंधीय जलवायु उत्तम मानी जाती है. वैसे, शुष्क जलवायु में भी इसकी खेती की जा सकती है. अधिक ठंड इस फसल के लिए हानिकारक होती है तथा इसके पौधे को शुरुआती समय में अंकुरण होने के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है.

इसकी फसल के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना जाता है और इसका पौधा अधिकतम 40 डिग्री के तापमान को ही सहन कर सकता है. ध्यान रहे कि पौधों पर फल और फूल बनने के दौरान 40 डिग्री से अधिक तापमान होता है तो फूल व फल दोनों ही झड़ने लगते है.

सीताफल की वैज्ञानिक खेती

बता दे, सीताफल जिसे अंग्रजी में Custard Apple भी कहते है, एक आकार में बड़ा फल है जो आमतौर पर गर्म क्षेत्रों में उगाया जाता है. इसकी वैज्ञानिक खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातो को ध्यान में रखना जरुरी है. सीताफल को अच्छे तौर से उगाने के लिए योग्य जलवायु, मिट्टी और पानी की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, समय- समय पर सही मात्रा में उर्वरक का प्रयोग और प्रकृति से मिली उचित साझेदारी के माध्यम से सीताफल की वैज्ञानिक खेती से उत्पादन क्षमता हासिल की जा सकती है.

सीताफल की उन्नत किस्म

भारतीय बाजारों में सीताफल की कई उन्नत किस्में मौजूद है. व्यापक दृष्टि से सीताफल की बागवानी हेतु उन्नतशील किस्मों को अधिक उगाया जाता है. इसकी विस्तारपूर्वक जानकारी नीचे दी गई है, जो कुछ इस प्रकार है:

  • लाल सीताफल
  • अर्का सहन
  • मैमथ
  • बाला नगर
  • वनशिंगटन पी.आई 107, 005
  • ब्रिटिश ग्वाइना
  • बारबाडोज सिडलिंग

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सीताफल की खेती कैसे करे?

यदि आप सीताफल की खेती से अच्छी कमाई और उत्पादन प्राप्त करना चाहते है, तो आपको इसकी खेती सही विधि से करनी होगी. निचे दिए गए स्टेप से आप सीताफल की खेती (Sitafal Ki Kheti) आसानी से कर सकते है:

  • सीताफल की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले इसके पौधे तैयार कर लेने है.
  • आप चाहे तो नर्सरी में भी इसके पौधे तैयार कर सकते है या फिर पौधे खरीद कर भी लगा सकते है.
  • इसके बाद, आपको खेत अच्छे से तैयार कर लेना है. इसके लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करे.
  • गहरी जुताई के बाद, खेत में पुरानी गोबर की खाद को डालकर, रोटावेटर की मदद से एक बार पुनः जुताई कर ले.
  • अब मिट्टी को समतल कर ले ताकि जलभराव की समस्या न हो.
  • इसके बाद, पौधों की रोपाई के लिए गड्डे तैयार कर ले.
  • खेत में 3 से 4 मीटर की दूरी रखते हुए 2 फिट चौड़ी और 1 फिट गहरे गड्ढे तैयार कर ले.
  • गड्डे को पंक्ति में तैयार करे और प्रत्येक पंक्ति के बीच 3 मीटर की दूरी रखे.
  • पौधे रोपाई के तुरंत बाद ही आपको पहली सिंचाई कर देनी है.
  • इसके बाद, जब भी फसल में खरपतवार नजर आए तब आपको तुरंत ही निराई- गुड़ाई करवा लेनी है. गुड़ाई करने से पौधों की जड़ों को उपयुक्त मात्रा में हवा मिलने लगती है.

सीताफल की खेती से लाभ

  • इन दिनों बाजार में सीताफल की मांग काफी बढ़ रही है और जिससे आप अच्छा मूल्य प्राप्त कर सकते है. इससे आपको आर्थिक लाभ होगा.
  • सीताफल विटामिन, मिनरल्स और फाइबर आदि से भरपूर होता है. यदि आप सीताफल को नियमित रूप से सेवन करते है तो स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचता है.
  • अगर आप सीताफल की खेती करते है तो, इससे आस-पास के क्षेत्र में स्थिति छोटे श्रमिक लोगो को रोजगार का अवसर मिलेगा क्योंकि इसकी खेती में किसान को खेत में खरपतवार निकालने, खाद डालने तथा फल की तुड़ाई के समय मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है.

सीताफल की खेती में रोग

इसके पौधों से अजीब किस्म की महक निकलती है जिस वजह से इसके पौधों पर किसी तरह की बीमारी या फिर रोग का प्रकोप देखने को नही मिलता है. यदि फलन के दौरान पौधों से फूल झड़ने लगे तो फिर सिंचाई करनी बंद कर देनी चाहिए तथा फलों की तुड़ाई उचित समय पर करते रहे क्योंकि इसका फल बहुत जल्द सड़ने लगता है.

सीताफल की खेती में खाद

बता दे, सीताफल के पौधों को खाद और उर्वरक की बहुत आवश्यकता होती है. उचित मात्रा में खाद व उर्वरक देने के लिए गड्डे को तैयार करने के दौरान प्रत्येक गड्डे में 5 से 7 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद और 50 ग्राम NPK की मात्रा को मिलाए, फिर इस मिश्रण को गड्डे में भर दे. खाद की यह मात्रा 1 वर्ष तक रखनी है तथा 3 से 4 वर्ष तक यह खाद देते रहे. इसके अतिरिक्त, पौधे की वृद्धि के साथ साथ खाद की मात्रा में भी वृद्धि करे.

सीताफल की खेती में सिंचाई

इसके पौधों की रोपाई करने के पश्चात उनकी तुरंत सिंचाई कर देना उचित माना जाता है. वैसे, इसके पौधों को थोड़ी कम सिंचाई की जरूरत होती है परंतु फिर भी 1 वर्ष में इसके पौधों को 10 से 15 बार पानी आवश्य ही देना चाहिए. यदि ठंड का मौसम हो तो 10 से 12 दिनों के अंतराल में सिंचाई कर देनी है तथा गर्मी के मौसम में 4 से 6 दिनों के अंतराल में सिंचाई करे और बारिश वाले मौसम में आवश्यकता अनुसार ही सिंचाई करे.

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सीताफल की खेती में लागत व कमाई

अगर आप सीताफल की खेती (Sitafal Ki Kheti) अच्छे से करते है तथा खेती में तकनीकी विधि का उपयोग करते है तो यह रोपाई के लगभग 2 से 2.5 साल बाद ही फल देने लग जाते है. कुछ सालो के बाद प्रति पौधे से लगभग 1 क्विंटल फल प्राप्त होता है.

इसके चलते यदि आप 1 एकड़ में सीताफल की खेती करते है तो आप लगभग 350 से 400 पेड़ लगा सकते है. इस हिसाब से आपको 400 क्विंटल की उपज आसानी से मिल जाएगी. भारतीय बाजारों और मंडियों में सीताफल का भाव लगभग 50 से 60 रुपए/ प्रति किलोग्राम है. इस हिसाब से आप प्रति हेक्टेयर एक सीजन में ही लगभग 12 से 15 लाख रुपए बड़ी आसानी से कमा सकते है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

सीताफल में कौन सा विटामिन मिलता है?

सीताफल Vitamin A और Vitamin C से भरपूर होता है. यह आपकी आखों की रोशनी को बेहतर बनाने में मदद करता है.

सीताफल का पेड़ कितने साल में फल देता है?

सीताफल के पौधे लगाने के तीसरे वर्ष से यह फल देना प्रारंभ कर देता है. वैसे, फल देने का समय पौधे की किस्म पर भी निर्भर करता है.

सीताफल कौन सी बीमारी में काम आता है?

सीताफल का उपयोग कफ को ठीक करने के लिए, खून की मात्रा को बढ़ाने के लिए, उल्टी, दातों के दर्द से आराम पाने के लिए किया जाता है.

सीताफल के बीज का क्या करे?

सीताफल के बीजों का पाउडर बनाकर सेवन किया जाए तो कैंसर और डिबाइटिस के खतरे को कम किया जा सकता है तथा यह इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करता है.

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