Singhara Ki Kheti: सिंघाड़े की खेती कैसे करे? पढ़े कमाई और लागत का आईडिया

Singhara Ki Kheti | जलीय फसलों में सिंघाड़े का महत्वपूर्ण स्थान है. इसकी खेती कच्चे फल के रूप में की जाती है. सिंघाड़े एक जलीय पौधा होता है जिसके कारण इसकी जड़ अंदर की ओर होती है तथा पत्तियां पानी की सतह के ऊपर तैरती है. वैसे, अगर सिंघाड़े की खेती सही समय और तरीके से की जाए तो किसानों को अच्छी उपज मिल सकती है. इसकी खेती में थोड़ा समय अवश्य लगता है, परंतु इसका परिणाम आपको एक अच्छे लाभ के रूप में दिखाई देगा. इसीलिए किसान भाईयों के लिए सिंघाड़े की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है.

Singhara Ki Kheti
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प्रिय किसान भाईयों, आज हम आपको इस लेख में बताने जा रहे है कि सिंघाड़े की खेती कैसे करे? सिंघाड़े की खेती के लिए जलवायु? सिंघाड़े की खेती का समय? सिंघाड़े की खेती वाले राज्य? सिंघाड़े की उन्नत किस्में? सिंघाड़े की वैज्ञानिक खेती? सिंघाड़े की खेती में खाद? सिंघाड़े की खेती में लागत व मुनाफा? Singhara Ki Kheti आदि के बारे में.

सिंघाड़े की खेती से जुड़ी जानकारी

हमारे देश भारत में सिंघाड़े की खेती व्यापक रूप से की जा रही है. बता दे, यह एक जलीय पौधा है तथा यह ठंडे पानी में अच्छी तरह से उगता है. सिंघाड़े की खेती झीलों, तालाबों और जिस जगह पर 3 से 4 फिट तक का पानी हो वहां पर की जाती है. इसके अलावा, इसकी खेती में समय- समय पर सुरक्षित उर्वरकों का उपयोग करके पौधों को पोषण प्रदान करना भी जरुरी है. उचित प्रबंधन के साथ, सिंघाड़े की खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकता है.

सिंघाड़े की खेती के लिए पानी का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है. इसके पौधे को अच्छे पानी की आवश्यकता होती है तथा इसकी खेती के लिए जल की उपलब्धता और गुणवत्ता को ध्यान में रखकर पानी के नियंत्रण और उपयोग को समय- समय पर मापना चाहिए. पानी की उचित मात्रा और स्थानीय मौसम और जलवायु के आधार पर सिंघाड़े की खेती के लिए सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त किए जा सकते है.

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सिंघाड़े की खेती का समय

कई प्रगतिशील किसान इसकी खेती नर्सरी द्वारा और कई किसान सीधे मानसून के समय बीज बुवाई करते है. मानसून की बारिश के समय बीज द्वारा सिंघाड़े की बुवाई जून- जुलाई में शुरू हो जाती है. जबकि नर्सरी में जनवरी- फरवरी में तैयार कर मानसून के समय जलाशयों में बेल को 1-1 मीटर लंबाई में बोया जाता है.

सिंघाड़े की खेती करने वाले राज्य

हमारे भारत देश में सिंघाड़े की खेती सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यो में की जाती है. इन सभी राज्यों में सिंघाड़े का उत्पादन और खेती काफी प्रमुख है.

सिंघाड़े की खेती के लिए जलवायु

इसकी खेती के शुरुआती समय में पौधों को अंकुरित के लिए 25 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता है जबकि फूल के विकास के लिए 30 डिग्री तापमान की जरुरत होती है. बसंत और गर्मी वाले मौसम के दौरान उच्च तापमान तथा सर्दियों में कम तापमान सिंघाड़े की फसल के सफल उत्पादन के लिए फायदेमंद है.

सिंघाड़े की उन्नत किस्में

बता दे, सिंघाड़े की कई उन्नत किस्में मौजूद है जिन्हे अलग- अलग जलवायु और क्षेत्रों के हिसाब से अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. प्रमुख किस्मो की जानकारी निम्नलिखित है:

  • लाल छिल्का सिंघाड़े
  • हरे छिल्का सिंघाड़े
  • लाल गठुआ
  • हरिरा गठुआ
  • लाल चिकनी गुलरी
  • कटीला

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सिंघाड़े की खेती कैसे करे?

यदि आप सिंघाड़े की खेती सही तरीके से करते है तो इससे आपको अच्छा उत्पादन मिलेगा. अगर आप सिंघाड़े की खेती (Singhara Ki Kheti) करना चाहते है तो निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करे:

  • सिंघाड़े की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले ऐसे स्थान का चयन करना होगा जहां 3- 4 फिट से भी अधिक गहराई में पानी भरा हो.
  • इसकी खेती के लिए आप किसी छोटी नदी या झील का भी चयन कर सकते है.
  • इसके बाद, आपको इसके बीज नीचे मिट्टी में लगा देना है या फिर आप सीधे नर्सरी से पौधे खरीद कर भी लगा सकते है.
  • अब आपको इसके पौधे को मजबूत बनाने के लिए उपयुक्त मात्रा में खाद डालना होगा.
  • इसके चलते यदि पौधे पर किसी रोग का प्रभाव दिखाई दे तो इसका प्रबंधन अवश्य करे. यदि आप समय पर रोगथाम नही करते है तो फिर यह रोग धीरे- धीरे पूरी फसल बर्बाद कर सकता है.
  • सिंघाड़े की खेती में आपको समय- समय खाद देना और देखरेख पर भी ध्यान देना आवश्यक है.

Note : सिंघाड़े की खेती करते समय यदि आपको किसी तरह की समस्या आए तो फिर आप अपने नजदीकी कृषि केंद्र जाकर अधिकारी से अपनी समस्या का हल ले सकते है.

सिंघाड़े की वैज्ञानिक खेती

हमारे भारत देश में सिंघाड़े की वैज्ञानिक खेती में बीमारियों और कीटो से बचाव के लिए उपयुक्त प्रबंधन की आवश्यकता होती है. विशेषकर, सिंघाड़े की सही खेती के लिए उचित जलवायु, मिट्टी की उपयुक्त देखभाल और व्यवस्थित प्रक्रियाएं अत्यंत जरुरी होती है. इसके अलावा, सही उच्च उत्पादन तकनीकियों का अनुसरण करना भी महत्वपूर्ण होता है. सिंघाड़े के पौधे को मजबूत बनाने के लिए आवश्यकतानुसार खाद देना भी जरुरी होता है. इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए सिंघाड़े की वैज्ञानिक खेती की जाती है.

सिंघाड़े की खेती में खाद

बता दे, सिंघाड़े की फसल अधिक पानी वाली होती है इसलिए इसकी खेती ज्यादातर नदी, तालाब आदि स्थानों में होती है और इसी वजह से इसे कम खाद की आवश्यकता होती है. इसमें आपको कई तरह के खाद देने की जरूरत पड़ती है. बता दे, पौधारोपण से पूर्व 8 से 10 टन पुरानी गोबर की खाद प्रति हेक्टयर के हिसाब से दे. इसके अलावा, प्रति हेक्टेयर में 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम नाइट्रोजन और 40 किलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल किया जाता है. इस खाद का इस्तेमाल रोपाई से पहले ⅓ मात्रा में किया जाता है और बच्ची हुई नाइट्रोजन खाद की मात्रा को एक माह के अंतराल में डालना होता है.

सिंघाड़े की खेती से लाभ

बता दे कि सिंघाड़े की खेती (Singhara Ki Kheti) से कई लाभ हो सकते है. प्रमुख लाभों की जानकारी नीचे दी गई है जो कुछ इस प्रकार से है:

  • सिंघाड़े की बाजार में अच्छी मांग है, जिससे आप बढ़िया मुनाफा कमा सकते है.
  • सिंघाड़े में कई पोषण तत्व होते है परंतु कैल्सियम प्रचुर मात्रा में होता है जोकि हड्डियों की मजबूती तथा आंखो के लिए फायदेमंद होने के साथ ही शारीरिक ऊर्जा भी प्रदान करता है.
  • सिंघाड़े की खेती से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बनते है.

सिंघाड़े की खेती में लगने वाले रोग

सिंघाड़े की खेती में कई तरह के रोग लग सकते है, जिसकी विस्तार जानकारी नीचे दी गई है. यह इस प्रकार से है:

  • माहू
  • सिंघाडा भृंग
  • घुन
  • नीला भृंग
  • लाल खजूरा

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सिंघाड़े की खेती में लागत व मुनाफा

बता दे, सिंघाड़े की खेती को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 14 से 16 महीने का समय लगता है. इसमे प्रति हेक्टेयर के तालाब से आप लगभग 40 से 50 क्विंटल सिंघाड़े मिल सकते है. यह बाजार में लगभग 50 से 60 रुपए प्रति किलोग्राम बिकते है. इस तरह से आप इसकी खेती से लगभग 2 से 3 लाख रुपए आसानी से कमा सकते है. यदि हम लागत की बात करे तो इसकी कुल लागत लगभग 60 से 70 हजार रुपए तक हो सकती है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

सिंघाड़े कब बोया जाता है?

सिंघाड़े की बुवाई जून- जुलाई माह में की जाती है. बुवाई के लगभग 14 माह बाद ही इसके फलों की तुड़ाई कर सकते है.

सिंघाड़े खाने से क्या फायदा होता है?

सिंघाड़े एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है. इसके नियमित रूप से सेवन करने से वजन कम होता है तथा ऑक्सीडेटिव तनाव भी कम होता है.

सिंघाड़े कितने प्रकार के होते है?

बाजार में आपको सिंघाड़े कई प्रकार के देखने को मिलेंगे. कच्चा और सुखा सिंघाड़े. वैसे, यह एकमात्र ऐसा फल है जिसकी खेती पानी में होती है.

सिंघाड़े मे कौन से तत्व पाए जाते है?

सिंघाड़े में कई पोषक तत्व पाए जाते है जिनमे मैगनिज, कॉपर, पोटेशियम और विटामिन B6 शामिल है.

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