Arhar Ki Kheti: अरहर की खेती कैसे करे? पढ़े बुवाई से लेकर कमाई तक का पूरा गणित

Arhar Ki Kheti | हमारे भारत देश में दलहनी फसलों में अरहर का अपना एक विशेष स्थान है, इसीलिए भारत और दक्षिण अफ्रीका को अरहर दाल का जन्म स्थान कहा जाता है. बता दें, अरहर की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते है क्योंकि प्रोटीन युक्त होने के कारण लगभग सभी घरों में अरहर की दाल को भोजन में शामिल किया जाता है. वैसे, अगर अरहर की खेती सही समय और तरीके से की जाए तो किसानों को अच्छी उपज मिलती है. इसीलिए किसान भाईयों के लिए अरहर की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि इसकी खेती कम समय में ही तैयार होने के साथ अच्छा मुनाफा दे जाती है.

Arhar Ki Kheti
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अगर आप एक किसान है तो आपके लिए यह लेख महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि इस लेख में हम आपको अरहर की खेती से संबंधित पूरी जानकारी देंगे. जैसे कि- अरहर की खेती कैसे करें? अरहर की खेती के फायदे? अरहर की खेती करने वाले राज्य? अरहर की खेती के लिए जलवायु? अरहर की उन्नत किस्में? अरहर की खेती का समय? अरहर की खेती में खाद? Arhar Ki Kheti आदि.

अरहर की खेती की जानकारी

भारत में अरहर की खेती एक मुख्य खाद्य फसल की तरह की जाती है. व्यापारिक रूप से अरहर की खेती करने के लिए बीज, खाद्य, पानी और समय की सही व्यवस्था करने की जरूरत होती है. बीज चयन, रोपण, उन्नत तकनीकियों का उपयोग और समय पर खाद आदि इसमें महत्वपूर्ण है. यदि आपके खेत में बुवाई के समय नमी रहती है तो फिर अरहर के बीज को पूरी तरह से अंकुरित होने में लगभग 7 से 8 दिनों का समय लगता है.

अगर किसान भाई अरहर की अच्छी फसल प्राप्त करना चाहते है तो उसके लिए उचित भूमि का चुनाव जरूरी होता है. वहीं, जीवाश्म युक्त बलुई दोमट या दोमट मिट्टी वाली भूमि को इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना गया है. इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली ढ़ालू जगह को सर्वोत्तम माना जाता है.

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अरहर की खेती का समय

बता दें, अरहर की बुवाई अगेती व सिंचाई वाले क्षेत्रों में 15 जून तक व देर से पकने वाली किस्मों की बुवाई जुलाई माह तक करनी चाहिए. वैसे, 270 से अधिक दिनों में तैयार होने वाली फसल को जुलाई महीने में लगा देना उचित होता है. बुवाई के समय इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि आपको बीज मात्रा 5 से 7 किलोग्राम/ प्रति एकड़ ही रखनी है.

अरहर की खेती के लिए जलवायु

अरहर के पौधे नम तथा शुष्क जलवायु वाले पौधे होते है तथा इसके पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए नम जलवायु की आवश्यकता होती है. ऐसी जलवायु में पौधों में लगने वाले फूल, फली और दानों का विकास भी अच्छे से होता है. अत्यधिक बारिश वाले क्षेत्रों में इसकी खेती को नही करना चाहिए तथा 75 से 110 सेंटीमीटर तक बारिश वाले क्षेत्रों में इसकी खेती को आसानी से किया जा सकता है.

अरहर की खेती वाले राज्य

हमारे भारत देश में अरहर की खेती सर्वाधिक महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यो में की जाती है. वैसे, उत्तर प्रदेश राज्य में अरहर की खेती (Arhar Ki Kheti) को लगभग 20 फीसदी क्षेत्रों में उगाया जाता है.

अरहर की उन्नत किस्म

बता दें, अरहर की खेती से अधिक पैदावार पाने के लिए अच्छे और उन्नत बीजों का उपयोग करना बहुत जरूरी है. अरहर की कई किस्में बाजार में उपलब्ध है जिसकी जानकारी आपको नीचे दी गई है:

  • पूसा 992
  • पूसा 9
  • JKM 189
  • पारस
  • UPAS 120
  • ICPL 87
  • TJT 501

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अरहर की खेती कैसे करें?

अगर आप अरहर की खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते है तो फिर आपको अरहर की खेती (Arhar Ki Kheti) करने के लिए निम्न चरणों का पालन करना होगा:

  • अरहर की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लेना है.
  • इसके लिए आपको एक बार गहरी जुताई करनी है.
  • इसके बाद, आपको आवश्यकतानुसार सड़ी गोबर की खाद डाल देनी है. ध्यान रहे, खाद की उचित मात्रा का ही उपयोग करे.
  • अब आपको कुछ समय के लिए खेत को खाली छोड़ देना है ताकि भूमि का पोषण बना रहे.
  • बुवाई के 10 से 12 दिन पहले एक बार पुनः गहरी जुताई कर ले.
  • बीजों का सही चयन करे ताकि आपको अच्छी पैदावर मिल सके. ध्यान रखे, आपको प्रमाणित बीजों का ही चयन करना है.
  • अरहर के बीजों को सीड ड्रिल की मदद से बोना है.
  • विशेष रूप से ध्यान रखे कि बीजों को 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई में ही बोये.
  • इसके बाद, लगभग 6 से 7 दिनों में ही अरहर के बीज पूरी तरह से अंकुरित हो जाएंगे और पौधे बाहर निकलने लगेंगे.
  • अब समय- समय पर सिंचाई और उर्वरक दे और खरपतवार पर भी ध्यान दे.

हाइब्रिड अरहर की खेती

बता दें, हाइब्रिड अरहर की खेती में विभिन्न प्रकार के अरहर के बीजों का उपयोग किया जाता है जो बीज तकनीकी प्रगति और उत्पादन की दृष्टि से उन्नत होते है. यह अधिक उत्पादकता, अधिक रोग प्रतिरोधक और बेहतर गुणवत्ता वाले फसलों की खेती का एक तरीका है. हाइब्रिड अरहर की खेती के लिए उचित बुवाई समय, खाद, पानी प्रबंधन और पेस्टिसाइड का सही उपयोग जरुरी होता है. इसके अलावा, बीज चयन और विशेषज्ञ सलाह भी महत्वपूर्ण होती है.

अरहर की वैज्ञानिक खेती

इसकी वैज्ञानिक खेती में उन्नत अरहर किस्में, उपयुक्त उर्वरकों का प्रयोग और सही किसानी तकनीकियों का इस्तेमाल करके उत्पादकता में बढ़ोतरी हो सकती है. अरहर के पौधे को मजबूत बनाने के लिए आवश्यकतानुसार खाद देना भी जरुरी होता है. इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए अरहर की वैज्ञानिक खेती की जाती है. वैज्ञानिक खेती से किसान को अधिक मुनाफा होगा और खाद्य सुरक्षा में भी सुधार होगा.

अरहर की खेती में सिंचाई

बता दें, अरहर की फसल को असिंचित दशा में बोया जाता है इसीलिए अधिक समय तक वर्षा न होने पर तथा पूर्ण पुष्पकरण अवस्था व दाना बनते समय फसल की जरूरत के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए. वहीं, खरीफ ऋतु में बोई जाने वाली अरहर की फसल में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. अच्छी पैदावार के लिए उचित जल निकासी वाली जगह का होगा बहुत जरूरी है.

अरहर की खेती में खाद

हमारे देश में अरहर की बुवाई करते समय 20 किलोग्राम डीएपी, 10 किलोग्राम म्यूरेट व पोटाश, 5 किलोग्राम सल्फर का इस्तेमाल प्रति हेक्टेयर करना चाहिए तथा 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर प्रयोग करने से पैदावार में और भी अच्छी बढ़ोतरी होती है. इसके अलावा, आप इसमें सिंगल सुपर फास्फेट या फिर यूरिया खाद का भी इस्तेमाल कर सकते है परंतु आपको उर्वरक की मात्रा का विशेष ध्यान रखना होगा.

अरहर की खेती के फायदे

भारत देश में अरहर की खेती (Arhar Ki Kheti) करने से कई लाभ हो सकते है, प्रमुख लाभों की जानकारी नीचे दी गई है:

  • भारतीय बाजारों में अरहर की मांग बहुत ज्यादा है, इससे किसान भाईयों को उनकी अरहर फसल पर अच्छा भाव मिल जाता है.
  • अरहर की खेती फसल चक्र को संतुलित रखने में मददगार होती है.
  • अरहर के पौधों को पशुओं के चारे के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है.
  • इसकी खेती करने से आसपास के श्रमिक लोगो को रोजगार भी मिलेगा.

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अरहर की खेती में लागत व मुनाफा

बता दें, अरहर की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 90 से 100 दिनों का समय लगता है. यदि आप अरहर की खेती 1 हेक्टयर के खेत में करते है तो फिर आपको 15 से 20 क्विंटल की पैदावार मिल सकती है. वैसे, पैदावार किस्म के ऊपर भी निर्भर करती है.

इसके अलावा, अरहर का बाजारी भाव 8 से 10 हजार रुपए/ प्रति क्विंटल के बीच ही रहता है. इसके हिसाब से किसान भाई 1 हेक्टयर के खेत से लगभग 1.5 से 2 लाख रुपए आसानी से कमा सकते है. वहीं, यदि लागत की बात करे तो, इसकी खेती में खर्चा लगभग 50 हजार रुपए/ प्रति हेक्टेयर के आसपास आता है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

1 एकड़ में कितनी अरहर होती है?

अरहर की पैदावार मुख्य रूप से देखरेख पर निर्भर होती है. सामान्यतः 1 एकड़ में अरहर की औसत पैदावार 6 से 8 क्विंटल/ प्रति एकड़ होती है.

अरहर की सबसे अच्छी किस्म कौनसी है?

अरहर की सबसे अच्छी किस्म JKM 189, पारस, UPAS 120, ICPL 87 है.

अरहर में क्या पाया जाता है?

अरहर में कैल्सियम, आयरन, सोडियम, फास्फोरस, पोटेशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते है जो सेहत के लिए जरूरी है.

अरहर में कौनसा खाद डाले?

अच्छी उपज लेने के लिए आपको बुवाई से पहले खेतों में गोबर की कंपोस्ट खाद को डालकर मिट्टी को पोषण प्रदान करे.

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