Jeera Ki Kheti | हमारे भारत देश में जीरे की खेती एक व्यवसायिक खेती के रूप में की जाती है. मसाला फसलों में जीरे का अपना एक अहम स्थान है क्योंकि यह एक ऐसी मसाला फसल है जिसकी देश और विदेश में मांग सदैव उच्च स्तर पर बनी रहती है. वैसे, मांग के लिहाज से जीरा किसानों के लिए काफी लाभ देने वाली फसल है. यदि इसकी खेती उन्नत तरीके से की जाए तो इसका बेहतर उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. यदि आप इसकी खेती में उच्च गुणवत्ता और अधिक पैदावार प्राप्त करना चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती वैज्ञानिक तरीके से करनी चाहिए.
यदि आप एक किसान है तो आपके लिए यह लेख महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि इस लेख में हम आपको जीरे की खेती से संबंधित पूरी जानकारी देंगे. जैसे कि- जीरे की खेती कैसे करें? जीरे की खेती के फायदे? जीरे की खेती करने वाले राज्य? जीरे की खेती के लिए जलवायु? जीरे की उन्नत खेती? जीरे की खेती का समय? जीरे की खेती में खाद की मात्रा? Jeera Ki Kheti आदि.
जीरे की खेती की जानकारी
जीरा एक औषधीय पौधा है जिसका उपयोग खाने में स्वाद और सेहत के लाभ के लिए किया जाता है. इसकी उन्नत खेती के लिए विशेष रूप रूप से बीजों का उचित चयन, पोषण और तकनीकी देखभाल जरुरी है. इसके अलावा, इसकी खेती में समय पर सिंचाई, हार्वेस्टिंग, बीमारियों और कीटो के प्रभाव से बचाव भी महत्वपूर्ण होता है. इसके पौधों की अच्छी देखरेख और समय- समय पर सही उर्वरक का उपयोग, उच्च उत्पादकता की गारंटी देता है.
जीरे की खेती लगभग सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है लेकिन रेतीली, चिकनी बलुई या दोमट मिट्टी जिसमे कार्बनिक प्रदार्थ की अधिकता हो; वह उत्तम होती है. बता दें कि भूमि उचित जल निकासी वाली हो क्योंकि जलभराव वाली भूमि में इसकी फसल करना मुश्किल होता है.
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जीरे की खेती का समय
जीरे की बुवाई 1 नवंबर से 25 नवंबर के बीच करना उपयुक्त माना जाता है. इसकी बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 15 से 20 किलोग्राम की दर से बीजों की आवश्यकता होती है. ध्यान रहे कि आपको बीजों की बुवाई से पहले उपचार कर लेना है. इसके लिए आप ट्राईकोडर्मा हारजेनियम 4-6 ग्राम मात्रा/ प्रति किलोग्राम बीज में मिला सकते है. वहीं, अधिकतर किसान इसकी बुवाई छिड़काव विधि से ही करते है.
जीरे की खेती के लिए जलवायु
बता दें, जीरे की फसल रबी सीजन की फसल है इसलिए इसके पौधे सर्द जलवायु में अच्छे से वृद्धि करते है तथा अधिक गर्म जलवायु इसके पौधों के लिए उपयुक्त नही होती है. वहीं, इसके पौधों को रोपाई के समय 25 से 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है तथा पौधों की वृद्धि के समय लगभग 20 से 22 डिग्री तापमान उचित माना जाता है. इसके पौधे अधिकतम 35 डिग्री तथा न्यूनतम 15 डिग्री तापमान को आसानी से सहन कर सकते है.
जीरे की खेती करने वाले राज्य
हमारे देश में जीरे की खेती सबसे ज्यादा राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में की जाती है. वैसे, भारत का 80 फीसदी से अधिक जीरा गुजरात व राजस्थान राज्य में उगाया जाता है.
जीरे की उन्नत किस्म
जीरे फसल की कई ऐसी उन्नत किस्में है जिनकी खेती कर किसान ज्यादा से ज्यादा उपज प्राप्त कर सकते है. आइए जीरे की उन्नत किस्म के बीज के बारे में जानते है:
- आर.जेड. 19
- आर.जेड 209
- आर.जेड 223
- सी.जेड.सी 94 सीड्स
- जी.सी 1
- जी.सी 4
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जीरे की खेती कैसे करे?
बता दें, जीरे की खेती करके किसान भाई आसानी से मोटा मुनाफा कमा सकते है. जीरे की खेती (Jeera Ki Kheti) करने के लिए निम्न चरणों का पालन करे:
- जीरे की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लेना है. इसके लिए आपको एक बार गहरी जुताई करनी है.
- इसके बाद, आपको आवश्यकता अनुसार सड़ी गोबर की खाद डाल देनी है. ध्यान रहे, खाद की उचित मात्रा का ही उपयोग करे.
- अब आपको कुछ समय के लिए खेत को खाली छोड़ देना है.
- बुवाई के 15 दिन पहले एक बार पुनः गहरी जुताई कर ले.
- बीजों का सही चयन करे ताकि आपको अच्छी पैदावर मिले. ध्यान रखे, आपको प्रमाणित बीजों का ही चयन करना है.
- बीजों की सीड ड्रिल की मदद से या फिर छिड़काव विधि से ही बुवाई करनी है.
- बुवाई के लगभग 5 से 7 दिनों में ही जीरे के बीज पूरी तरह से अंकुरित हो जाएंगे और पौधे बाहर निकलने लगेंगे.
- अब समय- समय पर सिंचाई और उर्वरक दे और खरपतवार पर भी ध्यान दे.
जीरे की जैविक खेती
हमारे देश में जीरे की जैविक खेती के लिए सही मिट्टी का चयन बहुत जरुरी है. इसकी जैविक खेती में कार्बनिक संचयन, जैविक उर्वरक और जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करके फसल को सेहत बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते है. साथ ही, जीरे की जैविक खेती में बीमारियों और कीटो का प्रबंधन भी महत्वपूर्ण है. वैसे, इसकी जैविक खेती को सफल बनाने के लिए खासकर अच्छा प्रबंधन, समय पर देखभाल और तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है.
जीरे की खेती में सिंचाई
बता दें, जीरे के पौधों को सिंचाई की सामान्य जरूरत होती है. इसकी प्रारंभिक सिंचाई बीज रोपाई के तुरंत बाद ही कर देनी चाहिए. ध्यान रहे कि प्रारंभिक सिंचाई को पानी के धीमे बहाव के साथ सिंचाई करनी चाहिए ताकि बीज पानी में बहकर किनारे न आ जाए. वैसे, इसके पौधों को अधिकतर 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है तथा सिंचाई के बीच 8 से 10 दिनों का अंतराल अवश्य रखे.
जीरे की खेती में खाद
ध्यान रहे, जीरे की खेती में खाद भूमि की जांच करने के बाद देनी चाहिए. आमतौर पर इसकी फसल के लिए पहले 4 से 5 टन गोबर या फिर कंपोस्ट खाद अंतिम जुताई के समय खेत में अच्छी प्रकार से मिला दे. इसके बाद, बुवाई के समय 60 से 65 किलोग्राम DAP व 10 से 12 किलोग्राम यूरिया मिलाकर खेत में देना चाहिए. फिर प्रथम सिंचाई पर 30 से 35 किलोग्राम यूरिया/ प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए.
जीरे की खेती में रोग
बता दें, जीरे की खेती (Jeera Ki Kheti) के दौरान कई प्रकार के रोग लग सकते है जो उपयुक्त प्रबंधन के बिना उपज को प्रभावित कर सकते है. इनमे से कुछ रोग निम्नलिखित है:
- दीमक
- चैंपा या एफिड
- उखटा रोग
- छाछया रोग
- झुलसा रोग
जीरे की खेती के लाभ
हमारे भारत देश में जीरे की खेती से कई तरह के लाभ हो सकते है परंतु हमने आपको नीचे कुछ प्रमुख लाभों की जानकारी दी है, जोकि कुछ इस प्रकार से है:
- जीरे की उच्च मांग के कारण किसानों को अच्छा आर्थिक लाभ हो सकता है.
- जीरे का उपयोग आयुर्वेद में बहुत उपयोगी माना जाता है. इसका उपयोग औषधि और स्वास्थ्य के लाभ के लिए किया जा सकता है.
- जीरे की खेती से आसपास के श्रमिक लोगो को रोजगार का अवसर भी मिलेगा.
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जीरे की खेती में लागत व मुनाफा
बता दें, जीरे की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 90 से 100 दिनों का समय लगता है. यदि आप जीरे की खेती 1 हेक्टयर के खेत में करते है तो फिर आपको 7 से 8 क्विंटल की पैदावार मिल सकती है. वैसे, पैदावार किस्म के ऊपर भी निर्भर करती है. इसकी खेती में करीबन 40 से 50 हजार रुपए/ प्रति हेक्टेयर की लागत आती है. दूसरी तरफ, भारतीय बाजारों में जीरे की अच्छी मांग की वजह से इसका भाव 21 हज़ार से 25 हज़ार रूपए/ प्रति क्विंटल के आसपास रहता है. वहीं, किसान भाई जीरा की खेती से किसान भाई 2 लाख रूपए आसानी से कमा सकते है.
FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
जीरा कितने दिन में पकता है?
जीरा के पकने का समय किस्म, स्थानीय मौसम और सिंचाई पर निर्भर होता है. वैसे, जीरे को पूरी तरह से पकने में लगभग 90 से 100 दिन का समय लगता है.
जीरा कितने प्रकार का होता है?
जीरा 3 प्रकार का होता है. इसमें काला जीरा, हरा जीरा और सफेद जीरा शामिल है.
भारत की सबसे बड़ी जीरा मंडी कौनसी है?
हमारे भारत देश में सबसे बड़ी जीरा मंडी गुजरात के ऊंझा में है. यह पूरे भारत में प्रसिद्ध है.
अच्छे जीरे की पहचान कैसे करे?
अच्छे जीरे की पहचान करने के लिए एक गिलास पानी में 2 चमच जीरा डाले. पानी डालते ही अगर जीरा रंग छोड़ दे तो समझ जाए की जीरा नकली है और रंग नही छोड़ता है तो फिर वह असली जीरा है.
Eska bij kaha hai aur kese milegaa aapka no chahiye
आप किसी भी बीज भंडार से इसका बीज खरीद सकते हो.