Chawal Ki Kheti: चावल की खेती कैसे करे? इस तरह होगी 2 लाख रूपए की मोटी कमाई

Chawal Ki Kheti | चावल की खेती खरीफ मौसम की फसल मानी जाती है जिसकी खेती लगभग पूरे भारत देश में की जाती है. बता दें, विश्व में चावल का सबसे बड़ा उत्पादक देश चीन के बाद दूसरे नंबर पर भारत है. वैसे, दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश भारत ही है. अगर चावल की खेती सही समय और तरीके से की जाए तो किसानों को अच्छी उपज मिलती है. इसीलिए किसान भाईयों के लिए चावल की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि इसकी खेती कम समय में ही तैयार होने के साथ मुनाफा अच्छा दे जाती है.

Chawal Ki Kheti
Chawal Ki Kheti

यदि आप भी एक जागरूक किसान है तो फिर आपको इस बार चावल की खेती करनी चाहिए क्योंकि इस खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा मिलता है. इस लेख में हम आपको चावल की खेती से संबंधित पूरी जानकारी देंगे, जैसे कि- चावल की खेती कैसे करे? चावल की खेती के लिए जलवायु? चावल की खेती का समय? चावल की खेती से लाभ? चावल की उन्नत किस्में? चावल की खेती में खाद और सिंचाई? चावल की खेती में लागत व मुनाफा? Chawal Ki Kheti आदि.

चावल की खेती की जानकारी

भारत देश में चावल की खेती एक महत्वपूर्ण खाघ फसल है जिसे विभिन्न क्षेत्रों में उगाया जाता है. इस खेती का मुख्य उद्देश्य वाणिज्यिक और खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करना है. इसकी खेती के लिए उपयुक्त मौसम, जलवायु और मिट्टी की आवश्यकता होती है तथा इसकी खेती में समय पर सिंचाई, उचित रोपाई और नियमित खाद व कीट प्रबंधन जैसे कई प्रकार के कृषि तकनीकों का उपयोग किया जाता है.

बता दें, चावल एक अनाज है जोकि ग्रामिने के घास परिवार से संबंधित है तथा इसके पौधे 3 से 5 फिट लंबे होते है जिसमे एक गोल, संयुक्त तना, लंबी नुकीली पत्तियां और अलग-अलग डंठल पर घने सिर में खाद्य बीज होते है. चावल की खेती के लिए अधिक जलधारण क्षमता वाली मिट्टी जैसे चिकनी, मटियार या मटियार दोमट मिट्टी उचित मानी जाती है. इसकी खेती के लिए भूमि का पी.एच. मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए. ध्यान रहे, चावल की रोपाई से पहले मिट्टी के पी.एच मान की जांच आवश्य करवाए.

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चावल की खेती का समय

बता दें, चावल एक प्रकार की खरीफ फसल है जो मुख्य रूप से बरसात शुरू होने के पहले लगाई जाती है. चावल की रोपाई का उपयुक्त समय 21 जून से 21 जुलाई तक होता है. यदि आप इसकी खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करना चाहते है तो फिर आपको इसकी बुवाई समय पर कर देनी चाहिए.

चावल की खेती करने वाले राज्य

चावल के उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है. हमारे भारत देश में चावल की खेती सर्वाधिक उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, असम, पंजाब, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, हरियाणा और केरल जैसे राज्यो में की जाती है.

चावल की खेती के लिए जलवायु

बता दें, चावल की खेती करना उन क्षेत्रों में उपयुक्त माना जाता है जहा उचित मात्रा में पानी की आपूर्ति, उच्च आर्द्र और लंबे समय तक धूप उपलब्ध हो. इसकी खेती के लिए न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस तापमान तथा अधिकतम 40 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है. हालांकि, चावल के पौधे 45 डिग्री सेल्सियस तक के गर्म तापमान को भी सहन कर सकते है.

चावल की उन्नत खेती

चावल की कई किस्म भारतीय बाजार में मौजूद है जिन्हे पकने के समय और भूमि की स्थिति के आधार पर कई प्रजातियों में बांटा गया है. चावल की उन्नत किस्म की विस्तार जानकारी नीचे दी गई है:

  • नरेंद्र 118
  • नरेंद्र 359
  • मनहर
  • मालवीय 917
  • सीता
  • सूरज 52
  • कस्तूरी
  • तरावड़ी बासमती
  • हरियाणा बासमती 1

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चावल की खेती कैसे करें?

खरीफ फसलों में चावल की खेती देश की प्रमुख फसल है. इस फसल से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. अगर आप सही विधि से चावल की खेती (Chawal Ki Kheti) कर अधिक पैदावार लेना चाहते है तो यह स्टेप फॉलो करे:

  • चावल फसल को खेत में लगाने से पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर लेनी चाहिए. इससे पुरानी फसल के अवशेष निकल जाते है.
  • इसके बाद, आपको खाली खेत मे पानी छोड़ देना है. उसके बाद, इसे कुछ दिनों के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दे.
  • उर्वरकों का प्रयोग हमेशा मिट्टी जांच के आधार पर ही करना चाहिए.
  • इसके बाद, खेत की फिर से जुताई कर मेड बंदी बना दे, ताकि खेत में बारिश का पानी अधिक समय तक जमा रहे.
  • ध्यान रहे, चावल की बुवाई या रोपाई के लिए एक सप्ताह पहले खेत की सिंचाई कर देनी चाहिए.
  • चावल की सीधी बुवाई करे तो, इसमें बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर लगभग 30 से 35 किलोग्राम तक होनी चाहिए.
  • चावल रोपाई के लिए पंक्तियों से पंक्तियों की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी करीबन 10 से 12 सेंटीमीटर तथा एक स्थान पर केवल 2 से 3 पौधे ही लगाने चाहिए.

बासमती चावल की खेती

बता दें, बासमती चावल की खेती विशेष रूप से भारत के पश्चिमी और उत्तरी भागों में की जाती है. यह चावल उत्तम गुणवत्ता और खुशबू के लिए प्रसिद्ध है. इसकी खेती के लिए उच्च नमी वाली मिट्टी और अधिक गर्मी की आवश्यकता होती है. इसकी खेती में उत्पादन को बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीकी जल संरक्षण की तकनीकों का उपयोग किया जाता है. इसके चलते यदि हम इसके उत्पादन की बात करे तो, इसकी उपज क्षमता 50 से 55 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर तक है.

चावल की वैज्ञानिक खेती

बता दें, चावल की वैज्ञानिक खेती एक महत्वपूर्ण कृषि प्रक्रिया है जो उत्तम उत्पादकता और गुणवत्ता की दिशा में काम करती है. इसमें विज्ञान, प्रौद्योगिक और नए-नए विचारो व तकनीकों का उपयोग किया जाता है.

बता दे, वैज्ञानिक खेती के तकनीकी तथा प्रौद्योगिक तरीको का उपयोग करते हुए किसान अधिक मात्रा में और अधिक गुणवत्ता वाले चावल उत्पन्न कर सकते है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है और खाद्य सुरक्षा में भी सुधार होता है. वैज्ञानिक खेती से न केवल उत्पादकता बढ़ती है बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है. वहीं, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में भी यह मदद करती है.

चावल की खेती में सिंचाई

हमारे देश में चावल की खेती में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है इसलिए खेत में बीजों की रोपाई के तुरंत बाद इसकी पहली सिंचाई कर देनी चाहिए. चावल की फसल की एक रोपाई के एक सप्ताह तक पौधों के कल्ले फूटने तक तथा दाना भरते समय तक खेत में पानी की पूर्ति नियमित रूप से होनी चाहिए. इसके लिए आपको बांध बनाकर उसमे पानी भर देना चाहिए जिससे की पानी खेत में बना रहे और पौधे ठीक से वृद्धि कर सके.

चावल की खेती में खाद

बता दें, चावल की फसल की अच्छी उत्पादकता के लिए खेत में सही मात्रा में उर्वरक का होना आवश्यक होता है. इसकी रोपाई के बाद यदि फसल में उर्वरक की सही मात्रा दी जाती है तो पैदावार काफी अच्छी होती है. चावल की खेती (Chawal Ki Kheti) में यूरिया के अधिक इस्तेमाल से बचना चाहिए क्योंकि इससे पैदावार को नुकसान होता है.

चावल की फसल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए 100 से 120 किलोग्राम डीएपी, 70 से 80 किलोग्राम MOP, 40 से 50 किलोग्राम यूरिया तथा 25 से 30 किलोग्राम जिंक प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई के समय व यूरिया की 60 किलोग्राम मात्रा रोपाई के एक सप्ताह बाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में प्रयोग करना चाहिए.

चावल की खेती से लाभ

भारत देश में चावल की खेती करने से कई लाभ हो सकते है, प्रमुख लाभों की जानकारी नीचे दी गई है:

  • भारतीय बाजारों में चावल की मांग बहुत ज्यादा है, जिससे किसान भाईयों को उनकी चावल फसल पर अच्छा भाव मिल जाता है.
  • इसकी खेती करने से आसपास के श्रमिक लोगो को भी रोजगार मिलेगा.
  • चावल की खेती कृषि व्यवसाय को सुधारने में भी मदद करती है.

चावल की खेती में रोग

बता दें, चावल के पौधों में भी अनेक प्रकार के रोग लगने का खतरा होता है. यदि इन रोगों पर सही समय पर ध्यान नही दिया जाए तो यह चावल की फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर सकता है. कुछ प्रमुख रोगों की जानकारी निम्नलिखित है:

  • तनागलन
  • बदरा
  • भूरी-चित्ती
  • उदबत्ता
  • जीवाणुज पत्ती रेखा
  • पर्णच्छद गलन

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चावल की खेती में लागत व मुनाफा

बता दें, चावल की खेती को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 3 महीने का समय लगता है. यदि चावल की पैदावार की बात करे तो, 50 से 60 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर तक इसकी पैदावार हो सकती है. वहीं, इसका बाजारी भाव लगभग 3000 से 4000 रुपए/ प्रति क्विंटल के आस-पास होता है.

इस हिसाब से किसान भाई 1 हेक्टेयर के खेत में चावल की खेती कर 1.5 से 2 लाख रुपए की तगड़ी कमाई कर सकते है. यदि हम लागत की बात करे तो, इसकी खेती में पौधे रोपाई से लेकर कटाई तक लगभग 40 हजार रुपए/ प्रति हेक्टेयर तक का खर्चा आता है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

सबसे खुशबूदार चावल कौन से है?

सबसे खुशबूदार बासमती चावल है. यह अपने बनावट, स्वाद और अनोखी सुगंध के लिए काफी प्रसिद्ध है.

चावल कितने दिन में तैयार होता है?

चावल की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 3 माह का समय लगता है. वैसे, चावल के पकने का समय इसके किस्म के ऊपर भी निर्भर होता है.

भारत का सबसे महंगा चावल कौन सा है?

भारत का सबसे महंगा चावल “काला चावल” है, जिसकी कीमत 300 रुपए/ प्रति किलोग्राम के आसपास होती है. काले चावल को हसावी चावल के नाम से भी जाना जाता है.

सबसे सस्ता चावल कौन सा होता है?

अगर हम सबसे सस्ते चावल की बात करे तो, वह मोगरा चावल है जो भारतीय बाजारों में कम दाम पर मिल जायेगा. इस चावल को लोग कम खाना पसंद करते है जिसके कारण से इसका भाव कम होता है.

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