Tinda Ki Kheti: टिंडा की खेती कैसे करे? जून में लगाए फसल और कमाए 4 लाख रूपए

Tinda Ki Kheti | टिंडा एक कद्दूवर्गीय सब्जी है तथा सब्जियों में इसका अपना एक विशेष स्थान है. यह कुकरबिटेसी कुल परिवार की सबसे गुणकारी सब्जी है. बता दें, गर्मियों के मौसम में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल टिंडे की फसल मानी जाती है. इसकी खेती सबसे ज्यादा उत्तरी भारत में की जाती है. टिंडा की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि यह कम समय में तैयार हो जाती है और मुनाफा अच्छा देती है. तो आइए जानते है, टिंडा की खेती की उन्नत तकनीक के बारे में, जिससे आपको अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके.

Tinda Ki Kheti
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टिंडा की खेती भी मुनाफे वाली खेती में से एक है. अगर आप भी इसकी खेती करना चाहते है तो फिर आपके लिए यह लेख बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि इस लेख में हम आपको- टिंडा की खेती कैसे करे? टिंडा की खेती के लिए उत्तम जलवायु? टिंडा की खेती में सिंचाई? टिंडा की जैविक खेती? टिंडा की वैज्ञानिक खेती? टिंडा की खेती के लाभ? Tinda Ki Kheti आदि की पूरी जानकारी देंगे.

टिंडा की खेती की जानकारी

भारत में टिंडा की खेती व्यापक रूप से की जाती है. इसकी खेती में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है और फसल की गुणवत्ता बढ़ती है. बता दें, टिंडा भारतीय उपमहाद्वीप में प्रमुख रूप से उत्तर भारत में पाई जाने वाली एक लोकप्रिय सब्जी है. इसका पौधा गर्मी के मौसम में अधिक विकास करता है. इस मौसम में बीज को अंकुरित होने के लिए मात्र 5 से 6 दिनों का ही समय लगता है.

इसकी खेती के लिए उचित जलवायु और मिट्टी का चयन अहम है. टिंडा की खेती से किसान अच्छी आमदनी कर सकते है, लेकिन सही देखभाल, प्रबंधन और गुणवत्ता की खेती के नियमों का पालन करना जरुरी होता है. टिंडे की खेती के लिए अच्छी भूमि का चयन महत्वपूर्ण है तथा आपको अच्छी समतल नमी वाली भूमि पर ही इसकी खेती करना चाहिए. बता दें, चयनित भूमि में जल निकासी अच्छी होना चाहिए. इसके अलावा, इसकी खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है तथा बुवाई से पहले आपको मिट्टी की जांच आवश्य करवा लेनी चाहिए. ध्यान रहे, मिट्टी का पी.एच 6 से 7 के बीच में हो.

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टिंडा की खेती का समय

बता दें, टिंडा की खेती दोनो ही मौसम में की जा सकती है. गर्मी के मौसम में इसकी खेती करने के लिए आपको टिंडे की बुवाई फरवरी से मार्च माह तक कर देनी चाहिए. वही, वर्षा के मौसम में इसकी खेती के लिए जून से जुलाई माह तक बुवाई की जा सकती है.

टिंडा की खेती के लिए जलवायु

जानकारी के लिए बता दें, टिंडा मुख्य रूप से गर्म जलवायु की फसल है. इसके बीज के अंकुरण व पौधों के अच्छे विकास के लिए 25 से 30 डिग्री का तापमान उपयुक्त माना जाता है. यह फसल अधिकतम 40 डिग्री सेल्सियस तापमान को ही सहन कर सकती है, इससे अधिक तापमान होने पर फसल के उपज तथा गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.

टिंडा की खेती करने वाले राज्य

बता दें, टिंडे की खेती पूरे भारत में की जाती है. उत्तर भारत में इसकी सबसे ज्यादा खेती दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में की की जाती है.

टिंडा की उन्नत किस्में

टिंडा की अधिक पैदावार को प्राप्त करने के लिए समय और जगह के हिसाब से उन्नत किस्मों को तैयार किया जाता है. यहां नीचे आपको टिंडा की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी दी गई है जोकि इस प्रकार है:

  • टिंडा 48
  • टिंडा लुधियाना
  • पंजाब टिंडा 1
  • अर्का टिंडा
  • अनामलाई टिंडा
  • महिको टिंडा
  • स्वाति टिंडा

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टिंडा की खेती कैसे करें?

यदि आप टिंडा की खेती सही विधि से करते है तो फिर आपको अच्छी पैदावार मिल सकती है तथा आपको अच्छा मुनाफा होगा. सरल तथा सही विधि से टिंडा की खेती करने के लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:

  • टिंडा की खेती के लिए आपको सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की अच्छे से जुताई कर लेनी है.
  • इसके बाद, आपको उचित मात्रा में खाद डालकर एक बार पुनः जुताई करनी है. अब खाद और मिट्टी आपस में अच्छी तरह से मिश्रित हो जाएगी.
  • फिर आपको पाटा की मदद से मिट्टी को समतल करना है ताकि जलभराव की समस्या न हो.
  • इसके बाद, आपको उचित प्रमाणित बीजों का चयन करना है. प्रमुख किस्मो की सूची ऊपर दी गयी है.
  • अब बीज को अच्छे से तैयार करना है. उसके बाद ही आपको बुवाई शुरू करनी है.
  • एक सप्ताह के अंदर ही बीज अंकुरित होकर बाहर निकल आएगा.
  • इसके बाद, समय- समय पर सिचाई करे और खरपतवार हटा दे.
  • इस फसल में पैदावार आपके देखरेख पर भी निर्भर होती है.

टिंडा की जैविक खेती

बता दें, टिंडा की जैविक खेती एक प्रगतिशील तकनीक है जिसमे प्राकृतिक तत्वों का उपयोग होता है. इस विधि में केवल जैविक खाद सामग्री और उर्वरक का प्रयोग होता है, जिससे मिट्टी को स्वस्थ बनाए रखा जा सकता है. यह खेती विधि उन किसानों के लिए भी फायदेमंद है जो स्थानीय बाजारों के लिए उत्पाद बनाते है, क्योंकि इन दिनों जैविक टिंडे की मांग काफी बढ़ रही है.

टिंडा की वैज्ञानिक खेती

भारत देश में टिंडे की खेती को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तत्वों का ध्यान रखना आवश्यक है. बीज का उचित चयन, उपयुक्त मिट्टी तथा उपयुक्त खाद्य प्रदार्थ का प्रयोग भी महत्वपूर्ण है. बता दें, विशेषज्ञों की सलाह और वैज्ञानिक तंत्रों का प्रयोग करके इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है. वैज्ञानिक खेती के माध्यम से टिंडे की उत्पादकता और गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है.

टिंडा की खेती में सिंचाई

यदि आप इसकी खेती गर्मी के मौसम में करते है तो फिर आपको इसमें 4 से 6 दिनों के अंतराल में सिंचाई कर देनी चाहिए. यदि आप इसकी खेती वर्षा के मौसम में करते है तो फिर इस फसल को सिंचाई करने की आवश्यकता नही होती है. वैसे, यदि लंबे समय तक वर्षा न हो तो फिर आप इसकी एक हल्की सिंचाई कर सकते है.

टिंडा की खेती में खाद

बता दें, टिंडे की खेती में खाद व उर्वरक की मात्रा मिट्टी पर निर्भर करती है, परंतु सामान्य रूप से खेत की अंतिम जुताई के समय 200 से 250 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर की दर से डाल देनी चाहिए. इसके अलावा नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश की मात्रा क्रमशः 80:60:60 किलोग्राम/ प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डाल देनी चाहिए.

टिंडा की खेती के लाभ

हमारे देश में टिंडा की खेती से व्यापारिक और आर्थिक लाभ कमाया जा सकता है, परंतु इसमें सावधानी और अच्छी प्रबंधन की आवश्यकता होती है. यहां कुछ टिंडा की खेती के मुख्य लाभ है:

  • टिंडा एक लाभदायक सब्जी फसल है जिससे आप अच्छा- खासा मुनाफा कमा सकते है.
  • टिंडा की फसल को कीट तथा रोग कम ही लगते है.
  • इस खेती में लागत भी कम ही आती है और मुनाफा ज्यादा होता है.
  • इसकी खेती करने पर छोटे श्रमिको को भी रोजगार का अवसर मिलता है.

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टिंडा की खेती में लागत व मुनाफा

बता दें, टिंडा की फसल को तैयार होने में लगभग 90 दिनों का समय लगता है. इसके फलों की तुड़ाई कच्चे के रूप में की जाती है, जिसका उपयोग सब्जी के रूप में करते है. यदि हम इस फसल की लागत की बात करे तो, इसमें टिंडे की बुवाई से लेकर कटाई तक लगभग 40 से 45 हजार रुपए/ प्रति हेक्टेयर की लागत आती है.

उन्नत किस्मों के आधार पर टिंडा की पैदावार लगभग 100 से 150 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर होती है जिसका बाजारी भाव लगभग 3 से 4 हजार रुपए/ प्रति क्विंटल के आसपास होता है. इस हिसाब से किसान भाई इस फसल से लगभग 3 से 4 लाख रुपए/ प्रति हेक्टेयर आसानी से कमा सकते है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

टिंडे में कौन सा विटामिन होता है?

टिंडे में विटामिन ए, विटामिन सी होता है. इसके अलावा कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम आदि पोषण तत्व भी इसमें पाए जाते है.

टिंडे का पौधा कितना बड़ा होता है?

टिंडे की बेल लगभग 75 से 100 सेंटीमीटर लंबी या इससे अधिक भी हो सकती है.

टिंडे का स्वाद कैसा होता है?

टिंडे का सफेद गुदा कोमल, नम और स्पंजी होता है. टिंडा खीरे के समान हल्के स्वाद के साथ नरम होते है.

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