Kheera Ki Kheti: खीरा की खेती कैसे करे? ऐसे मिलेगी अच्छी पैदावार

Kheera Ki Kheti | खीरा का वैज्ञानिक नाम “कुकुमिस सेटाइवस” है. इसका उत्पत्ति स्थल भारत माना गया है. बता दे खीरा की खेती ज्यादातर जायद और खरीफ सीजन में ही की जाती है. वैसे, आमतौर पर खीरे की मांग गर्मियों के मौसम में ज्यादा देखने को मिलती है क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है. खीरा की खेती एक ऐसी खेती है जो बहुत कम लागत में अच्छा मुनाफा दे सकती है. तो आइए जानते है खीरे की खेती की उन्नत तकनीक के बारे में जिससे अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके.

Kheera Ki Kheti
Kheera Ki Kheti

यदि आप भी एक जागरूक किसान है तो फिर आपको इस बार खीरा की खेती ही करना चाहिए क्योंकि इस खेती में लागत कम लगती है और मुनाफा ज्यादा मिलता है. इस लेख में हम आपको खीरा की खेती से संबंधित पूरी जानकारी देंगे. जैसे कि खीरा की खेती कैसे करे? खीरा की खेती का समय? खीरा की खेती वाले राज्य? खीरा की खेती से मुनाफा? खीरा की जैविक खेती? खीरा की उन्नत किस्में? खीरा की खेती में खाद और सिंचाई? Kheera Ki Kheti आदि की विस्तारपूर्वक जानकारी आपको इस पोस्ट में ही मिलेगी.

खीरा की खेती की जानकारी

भारत में खीरा की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादन क्षेत्र है जो व्यापक रूप से की जाती है. खीरा एक मुख्य सलाद सब्जी होती है जिसे लोग स्वदिष्टता और पौष्टिकता के कारण खाना पसंद करते है. खीरा के पौधो को उचित मात्रा में जल और पोषण देने से खीरा की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है. इसके अलावा, खीरा की खेती के लिए अच्छी जलवायु, अच्छी ड्रेनेज वाली मिट्टी और प्राथमिक खाद की आवश्यकता होती है.

जानकारी के लिए बता दे, खीरा की खेती किसी भी उपजाऊ भूमि में की जा सकती है किंतु बलुई दोमट मिट्टी में इसकी खेती कर अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है. इसकी खेती के लिए भूमि का पी.एच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए.

खीरा की खेती का समय

ग्रीष्म ऋतु के लिए इसकी बुवाई फरवरी व मार्च के महीने में की जाती है और वर्षा ऋतु के लिए इसकी बुवाई जून से जुलाई में करते है. वहीं, पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी बुवाई मार्च व अप्रैल माह में की जाती है. ध्यान रहे बिजाई से पहले फसल को कीटो और बीमारियों से बचाने के लिए तथा जीवनकाल बढ़ाने के लिए बीजों का उपचार जरूर करें.

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खीरा की खेती वाले राज्य

बता दे खीरा का उत्पादन लगभग देश के सभी राज्यों में किया जाता है. लेकिन, सिर्फ 7 राज्यों में ही 70 फीसदी खीरा का उत्पादन होता है. राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अनुसार मध्यप्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, पंजाब, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, असम और अन्य राज्यों में भी खीरा उत्पादन होता है.

खीरा की खेती के लिए जलवायु

भारत देश में खीरा की खेती (Kheera Ki Kheti) के लिए शीतोषण और समशितोषण दोनों ही जलवायु अच्छी मानी गई है. हमारे देश में इसे अधिकतर बारिश और गर्मियों के मौसम में उगाया जाता है. खीरे की अच्छी फसल के लिए सामान्य तापमान की जरुरत होती है. इसकी फसल अधिकतम 40 डिग्री तथा न्यूनतम 20 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकती है.

खीरा की उन्नत किस्में

आज के समय बाजारों में खीरा की कई प्रजातियां देखने को मिल जाती है. परंतु किसान भाईयों को केवल उन्नत किस्म के बीजों को ही खरीदना चाहिए जो आपके क्षेत्र की जलवायु में अच्छा उत्पादन दे सके. यहां नीचे आपको खीरा की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी दी गई है जोकि इस प्रकार है:

  • खीरा 75
  • खीरा 90
  • हिमांगनी
  • स्वर्ण पूर्णिमा
  • कल्याणपुर ग्रीन
  • पूसा उदय
  • स्वर्ण अगेती
  • पूना खीरा
  • पूसा बरखा
  • पंजाब सिलेक्शन

गर्मी में खीरे की खेती

बता दे गर्मी में खीरे की खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक है. खीरा का पौधा गर्मियों के मौसम में अच्छी तरह से फलने और अधिक फल देने की क्षमता रखता है. गर्मी के समय धूप ज्यादा पड़ती है इसलिए आपको 3 से 4 दिनों के अंतराल में सिंचाई कर ही देना चाहिए ताकि खेती में नमी बनी रहे है. गर्मियों में सही देखभाल और प्रबंधन के साथ खीरो की खेती किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद हो सकती है.

बरसाती खीरा की खेती

बरसात के मौसम में खीरा की खेती करने के लिए आपकी जमीन ऊंचाई पर होनी चाहिए, जहां पर जलभराव न हो. यदि आप बरसात के मौसम में खीरा की खेती करना चाहते है तो आपको जून से जुलाई महीने में इसकी बुवाई कर देनी है.

बता दे, इसकी फसल को सिंचाई की आवश्यकता कम ही पड़ती है. यदि वर्षा लंबे समय तक नही होती है तो सिंचाई कर देनी चाहिए क्योंकि बेलो पर फल लगते समय मिट्टी में नमी का होना जरूरी है. यदि खेत में नमी की कमी रहती है तो फल नष्ट भी हो सकते है या फिर फल कड़वे भी हो सकते है. वैसे, बरसात के मौसम में रोग लगने का खतरा ज्यादा रहता है इसलिए रोग लगने की संभावना होने पर तुरंत ही दवाई का छिड़काव करे.

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खीरा की खेती कैसे करे?

यदि आप खीरा की खेती (Kheera Ki Kheti) सही विधि से करते है तो फिर आपको अच्छी पैदावार मिल सकती है तथा आपको अच्छा मुनाफा होगा. सरल तथा सही विधि से खेती करने के लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:

  • खीरा की खेती के लिए आपको सबसे पहले खेत की गहरी जुताई कर लेनी है.
  • फिर खेत मे 12 से 15 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डाल देना है.
  • इसके बाद, पुनः खेत की अच्छी से जुताई करे.
  • खाद को मिट्टी में मिलाने के लिए खेत में पानी देकर पलेव करे. पलेव के बाद मिट्टी सूखने तक खेत को ऐसे ही छोड़ दे.
  • इसके बाद, खेत को पाटा की मदद से समतल करे ताकि जलभराव की समस्या पैदा न हो.
  • फिर, बीजों की रोपाई के लिए खेत में मेड़ या फिर धोरेनुमा क्यारियों को तैयार कर ले और खीरा के बीज लगा दे.
  • जब आप इसकी बुवाई कर देते है तो फिर आपको सिंचाई तथा खरपतवार का विशेष ध्यान रखना है.
  • बिजाई के बाद तुरंत सिंचाई करना आवश्यक है.

खीरा की जैविक खेती

यदि आप खीरा की खेती से अधिक पैदावार पाना चाहते है तो इसके लिए आपको खेती में जैविक खाद और कम्पोस्ट खाद की पर्याप्त मात्रा देना अनिवार्य है. खेत तैयार करते समय 200 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद या 100 क्विंटल नाडेपा कम्पोस्ट, 70 क्विंटल वर्मीकम्पोस्ट प्रति एकड़ की दर से खेत में डालना होगा. बुआई के एक महीने बाद आपको उसमे नीम का काढ़ा तथा उचित मात्रा में गौमूत्र मिलाकर फसल में 10 से 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करना है.

खीरा की खेती में सिंचाई

बता दे खीरा के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नही होती है. इसके पौधों को केवल 3 से 4 सिंचाई की जरुरत होती है. यदि आप इसकी खेती गर्मी के मौसम में करते है तो फिर आपको 8 से 10 दिनों के अंतराल में सिंचाई कर देनी चाहिए. वहीं, यदि आप इसकी खेती बरसात के मौसम में करते है तो फिर इसमें ज्यादा सिंचाई करने की आवश्यकता नही होती है.

खीरा की खेती मे लगने वाले रोग

बता दे खीरा की खेती (Kheera Ki Kheti) के दौरान फसल में कई तरह के रोग लग सकते है जो उपयुक्त प्रबंधन के बिना उपज को प्रभावित कर सकते है. इसमें से कुछ प्रमुख रोग है:

  • सुंडी रोग
  • चूर्णी फफूंदी
  • फल मक्खी
  • बीज गलन रोग
  • एफिड

खीरा की खेती में खाद

ध्यान रहे खीरा की खेती में 25 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद को बुवाई से पहले मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए. इस फसल को लगभग 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस एवं 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की जरुरत होती है.

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खीरा की खेती से लाभ

बता दे खीरा की खेती से व्यापारिक और आर्थिक लाभ कमाया जा सकता है, परंतु इसमें सावधानी और अच्छी प्रबंधन की आवश्यकता होती है. यहां कुछ मुख्य लाभ है:

  • खीरा की मांग गर्मी के मौसम में अधिक होती है. किसान गर्मी के मौसम में इसकी खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है.
  • खीरा की खेती से किसान क्षेत्रीय रूप से रोजगार के अवसर भी बढ़ा सकते है.
  • यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है.

खीरा की खेती में लागत व कमाई

बता दे खीरा की खेती अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है. खीरा की खेती (Kheera Ki Kheti) में लागत की बात करे तो बुवाई से लेकर कटाई तक की लागत यानि खर्च लगभग 40 से 50 हजार रुपए तक हो सकता है. वहीं, इसकी पैदावार की बात करे तो अगर आप खीरा की खेती 1 हेक्टेयर में करते है तो लगभग 250 से 300 क्विंटल की उपज आसानी से मिल जाएगी.

अगर मुनाफा की बात करे तो भारतीय बाजार या मंडी में खीरा का भाव लगभग 1500 से 2000 रुपए/ प्रति क्विंटल के आसपास होता है, इस हिसाब से किसान भाई खीरा की खेती करके आराम से 3 से 4 लाख रूपए कमा सकते है. वैसे, गर्मी के मौसम में खीरा की खेती करना काफी मुनाफे का सौदा है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

खीरे के बीज जल्दी कैसे उगाएं?

खीरे को जल्दी उगाने के लिए बीजों को 0.5 से 1 इंच गहराई में 2 से 3 बीज लगाना चाहिए. बुवाई करते समय आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि बीज ज्यादा गहराई में न लगाए.

खीरा कितने दिनों में फल देता है?

खीरा की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में 45 से 50 दिनों का समय लगता है. वैसे, फल आने का समय किस्म के ऊपर भी निर्भर करता है.

एक पौधा कितने खीरे पैदा करता है?

जानकारी के लिए बता दे कि हर खीरे का पौधा लगभग 15 से 20 खीरे पैदा करता है. फलों की संख्या किस्म तथा देखरेख पर भी निर्भर करती है.

खीरे के लिए सबसे अच्छा कीट नियंत्रण क्या है?

खीरे के लिए सबसे अच्छी कीट नियंत्रण बेसियान कीटनाशक है. यह कीटनाशक दवाई कीट को जल्दी नियंत्रण कर लेती है.

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