Methi Ki Kheti: मेथी की खेती कैसे करे? यहाँ समझे बुवाई से लेकर कमाई तक का प्रोसेस

Methi Ki Kheti | मेथी “लिग्यूमनस” परिवार से संबंधित है. यह एक वनस्पति है जिसका पौधा 1 फुट से छोटा होता है. इसमे हरी पत्ती, छोटे सफेद फूल और फली होती है जिसमे छोटे, सुनहरे भूरे रंग के बीज होते है. मेथी के गुणों को देखते हुए इसकी बाजार मांग भी अच्छी है. किसान भाई इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते है. तो आइए जानते है मेथी की खेती की उन्नत तकनीक के बारे में जिससे अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके.

Methi Ki Kheti
Methi Ki Kheti

यदि आप भी एक जागरूक किसान है तो फिर आपको इस बार मेथी की खेती ही करना चाहिए क्योंकि इस खेती में लागत कम लगती है और मुनाफा ज्यादा मिलता है. इस लेख में हम आपको मेथी की खेती से संबंधित पूरी जानकारी देंगे. जैसे कि मेथी की खेती कैसे करे? मेथी की खेती का समय? मेथी की खेती वाले राज्य? मेथी की खेती से मुनाफा? मेथी की उन्नत किस्में? मेथी की खेती में खाद और सिंचाई? Methi Ki Kheti आदि.

मेथी की खेती की जानकारी

हमारे देश में मेथी की खेती एक व्यापक और लाभकारी कृषि व्यवस्था है. यह एक फूलदार पौधा है जिसके बीजों का उपयोग खाघ और औषधि में होता है. इसकी खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन, जलवायु और अच्छी ड्रेनेज की आवश्यकता होती है. इसकी खेती के लिए 6 से 7 के बीच का पीएच मान उपयुक्त माना जाता है. इसके अलावा, इसकी खेती में उचित देखभाल के लिए नियमित सिंचाई, खाद और उन्नत खेती तकनीकों का पालन किया जाना जरुरी है.

मेथी की खेती के लिए रेतीली बलुई दोमट मिट्टी और काली मिट्टी की आवश्यकता होती है. वैसे, जलभराव वाली भूमि में इसकी खेती को नही करना चाहिए क्योंकि जलभराव की स्थिति में इसके पौधों के खराब होने का खतरा बढ़ जाता है.

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मेथी की खेती का समय

बता दें कि मेथी की खेती करने के लिए उपयुक्त समय सर्दियों का मौसम माना जाता है. मेथी की खेती नवम्बर से लेकर मार्च महीने तक की जाती है. यदि इसकी अगेती खेती की बात करे तो अक्टूबर के महीने में मेथी की अगेती खेती की जाती है. वहीं, दक्षिण भारत के किसान इसकी खेती बारिश में भी करते है क्योंकि वहां औसत बारिश होती है. चूँकि, मेथी की फसल सर्दियों में भी उगाई जाती है इसलिए अन्य फसलों की तुलना में इसमें पाला सहने की क्षमता बहुत अधिक होती है.

मेथी की खेती वाले राज्य

हमारे भारत देश में मेथी की खेती सबसे ज्यादा राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, पंजाब और उत्तर प्रदेश में की जाती है. मेथी के कुल उत्पादन का 80 फीसदी उत्पादक केवल राजस्थान में होता है.

मेथी की खेती के लिए जलवायु

मेथी की खेती सर्दियों के मौसम में अच्छे से वृद्धि करती है. शुरू में इसके पौधों को अंकुरित होने के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है तथा पौधों की वृद्धि के समय 20 से 25 डिग्री तापमान को उपयुक्त माना जाता है. इसके पौधे सामान्य तापमान में अच्छे से विकास करते है तथा पौधों को अंकुरण के लिए 15 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.

मेथी की उन्नत किस्में

आज के समय में मेथी की कई उन्नत किस्में बाजार में मौजूद है, जिन्हे अलग-अलग जलवायु के हिसाब से अधिक पैदावार देने के लिए उगाया जाता है. प्रमुख किस्मों की जानकारी नीचे दी गई है:

  • पूसा अर्ली बंचिंग
  • लेम सेलेक्सन 1
  • कसूरी मेथी
  • सी.ओ 1
  • राजेंद्र क्रांति
  • हिसार सोनाली
  • पंत रागनी
  • हिसार माधवी
  • आर.एम.टी 1

मेथी की वैज्ञानिक खेती

बता दें, मेथी की वैज्ञानिक खेती एक मुख्य प्रक्रिया है जिसमे विशेष ध्यान देने वाले कदमों का पालन किया जाता है. इसमें उचित बुवाई, समय पर सिंचाई, उर्वरक का सही उपयोग और अच्छी गुणवत्ता की मिट्टी का चयन किया जाता है. वहीं, इसकी खेती में सही उर्वरक का उपयोग करके पौधों को पोषण प्रदान किया जाता है. वैज्ञानिक खेती के तरीको का पालन कर मेथी की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है और उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली उत्पादों का निर्माण किया जा सकता है.

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मेथी की खेती कैसे करे?

यदि आप मेथी की खेती से अच्छा उत्पादन चाहते है तो फिर आपको इसकी खेती सही विधि से करनी चाहिए. सही विधि से मेथी की खेती (Methi Ki Kheti) करने के लिए नीचे दी गई बातो को ध्यान में रखे:

  • मेथी की खेती के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करे. इससे खेत में मौजूद खरपतवार और कीट नष्ट हो जाएंगे.
  • इसके बाद, 2 से 3 बार देसी हल या कल्टीवेटर से जुताई करे.
  • जुताई के पश्चात, खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खाली छोड़ दे. इससे खेत की मिट्टी में अच्छी तरह से धूप लग जाएगी.
  • इसके बाद, खेत में प्रयाप्त मात्रा में उर्वरक दे. इसके लिए 8 से 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति एकड़ की दर से खेत में डाले.
  • खाद को मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाने के लिए एक बार पुनः कल्टीवेटर लगाकर 2 से 3 बार तिरछी जुताई करे.
  • अब मिट्टी में खाद को मिलाने के पश्चात पानी लगा कर पलेवा कर दे.
  • इसके बाद, जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगे, उस दौरान एक बार फिर से खेत की हल्की जुताई कर दे, इससे खेत की मिट्टी भुरभूरी हो जाएगी.
  • अब आपको खेत को समतल बनाने के लिए भूमि में पाटा लगाकर उसे समतल बना देना है. इससे जलभराव की समस्या नही होगी.
  • इसके बाद, सही समय आने पर उत्तम किस्म के बीजो की बुवाई करे.
  • फिर आप बीजों को फूंक कर इसकी बुवाई कर सकते है.
  • बुवाई के तुरंत बाद ही आपको पहली सिंचाई कर देनी है. सिंचाई के समय आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि सिंचाई के समय पानी की गति अधिक न हो.

कसूरी मेथी की खेती

कसूरी मेथी के पौधे लगभग 1 से 1.5 फुट की ऊंचाई तक होते है और इसके पत्ते सूखने पर मसाले के रूप में उपयोग किए जाते है. इसकी खेती के लिए मिट्टी के चयन पर विशेष ध्यान देना जरुरी है. कसूरी मेथी की 3 से 4 कटाई की जाती है लेकिन पानी, खाद की अच्छी व्यवस्था होने पर अधिक कटाई भी की जा सकती है. इसकी खेती में प्रत्येक कटाई के बाद यूरिया की मात्रा देने से फसल जल्दी बढ़ती है. अधिकतर इसका उर्वरक और खादों के साथ मिलकर उचित तरीके से उत्पादन किया जाता है. सही तकनीक और व्यवस्थित देखभाल के साथ, कसूरी मेथी की खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.

मेथी की खेती में सिंचाई

बता दें, मेथी की खेती में अधिक सिंचाई की आवश्यकता नही होती है. वैसे, इसके बीजों के अंकुरण के लिए खेत में नमी की आवश्यकता होती है, इसलिए खेत में नमी बनाए रखने के लिए समय- समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए. मेथी के खेत में पहली सिंचाई बीज रोपाई के समय कर देनी है. वैसे, इसकी खेती में लगभग 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है तथा प्रत्येक सिंचाई को 10 से 12 दिनों के अंतराल में करते रहना चाहिए.

मेथी की खेती में खाद

मेथी की खेती में उर्वरक की आवश्यकता अधिक होती है तथा अंतिम जुताई के समय प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 5 से 7 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद अवश्य दे. अगर खेत की भूमि कम उपजाऊ है तो सड़ी गोबर की खाद के साथ 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस तथा 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर के रूप में देना चाहिए.

फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा, नाइट्रोजन की आधी मात्रा खेत की तैयारी करते समय देना आवश्यक है. पहली बार 25 से 30 दिनों के बाद तथा दूसरी 40 से 45 बुवाई के बाद मेथी की खड़ी फसल में शेष आधा-आधा करके देना चाहिए.

मेथी की खेती में लगने वाले रोग

हमारे देश में मेथी की खेती के दौरान फसल में कई तरह के रोग लग सकते है जो उपयुक्त प्रबंधन के बिना उपज को प्रभावित कर सकते है. इसमें से कुछ प्रमुख रोग है:

  • चेपा कीट रोग
  • पाउडीरी मिल्ड्यू
  • किट इल्ली का प्रकोप
  • लीफ स्पॉट

मेथी की खेती के लाभ

भारत में मेथी की खेती से आपको कई तरह के लाभ मिल सकते है. इनमे से मिलने वाले कुछ प्रमुख लाभों की जानकारी नीचे दी गई है:

  • मेथी की खेती एक लाभकारी कृषि व्यवसाय है जो किसानों को अच्छा मुनाफा दिला सकती है.
  • मेथी की खेती एक साल में कई बार की जा सकती है, जिससे वार्षिक उत्पादन बढ़ता है.
  • मेथी की खेती से किसान क्षेत्रीय रूप से रोजगार के अवसर भी बढ़ा सकते है.
  • यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होती है.

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मेथी की खेती में लागत व मुनाफा

बता दें, मेथी की खेती को पूरी तरह से तैयार होने में लगभग 90 से 110 दिनों का समय लगता है. जब इसके पौधों पर पत्तियां पीली रंग की दिखाई देने लगे तो फिर आपको इसकी कटाई कर लेनी चाहिए. अगर मेथी की खेती (Methi Ki Kheti) में लागत की बात करे तो इसकी खेती में लगभग 80 से 90 हजार रुपए/ प्रति हेक्टेयर की लागत आती है.

वहीं, पैदावार की बात करे तो लगभग 12 से 15 क्विंटल/ प्रति हेक्टेयर पैदावार मिलती है. भारतीय बाजारों में यह 2 से 3 हजार रुपए/ प्रति क्विंटल तक बिक जाती है. इस हिसाब से इसकी खेती में लगभग 2.5 से 3.5 लाख रुपए हर सीजन में आसानी से कमाए जा सकते है.

FAQ- ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

मेथी बोने का सही समय कौनसा है?

मैदानी क्षेत्रों में मेथी बोने का सही समय अक्टूबर से नवंबर माह का है तथा पहाड़ी क्षेत्र में इसकी बुवाई मार्च से मई तक की जाती है.

मेथी की कटाई कब कब करे?

मेथी की कटाई आपको तभी करनी है जब इसकी पत्तियां हल्की पीली पड़ने लगे.

भारत में मेथी का सर्वाधिक उत्पादक राज्य कौनसा है?

हमारे भारत देश में मेथी का सर्वाधिक उत्पादक राज्य राजस्थान है. यहां मेथी की खेती सबसे ज्यादा होती है.

मेथी के बीज कितने दिन में अंकुरित होते है? 

मेथी के बीज को अंकुरण होने में लगभग 5 से 6 दिनों का समय लगता है तथा इसकी खेती में नमी रखना बहुत जरूरी है.

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